जल संरक्षण की पहल : 'पवन गुरु-पाणि पिता', इसके बिना जीवन की परिकल्पना असंभव
जल है तो कल है पानी की एक-एक बूंद सोना है पानी अनमोल है। ऐसे कई नारे हैं जो पानी की महत्ता को दर्शाते हैं। पानी के बिना जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती।
वाराणसी, जेएनएन। 'जल है तो कल है' 'पानी की एक-एक बूंद सोना है' 'पानी अनमोल है'। ऐसे कई नारे हैं जो पानी की महत्ता को दर्शाते हैं। पानी के बिना जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती। पानी इस धरा को हरा-भरा किया हुआ है। जल न होता तो पूरा यह भू-भाग सूखा होता। धरती पर जीवन पनपता ही नहीं। इस प्रकार जीवन का मुख्य स्रोत ही पानी है। गुरुनानक में करीब 500 साल पहले हवा-पानी की महत्ता को बताते हुए कहा था कि 'पवन गुरु -पाणि (पानी) पिता' अर्थात पवन यानी हवा गुरु व पाणि यानी पानी पिता के समान है। जीवन में गुरु व पिता दोनों की भूमिका अहम हैं। जल के बिना जीवन संभव नहीं है। पानी हमारे जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। जल से ही पौधे होंगे। पौधे होंगे तो जल होगा। जल होगा तभी जीवन का कल होगा।
जल संरक्षण को लेकर दैनिक जागरण की ओर से जागरूकता कार्यक्रम जारी है। मुहिम से तहत शुक्रवार को गुरुनानक खालसा बालिका इंटर कालेज (गुरुबाग) व संत साई शिक्षण संस्थान (महमूरगंज) में जल संरक्षण पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। इस दौरान विद्यार्थियों ने प्रकृति के अनमोल खजाने को संरक्षित करने का संकल्प लिया। कहा कि जीवन का मुख्य स्रोत पानी का उतना ही उपयोग करेंगे, जितनी जरूरत होगी। पानी का दुरुपयोग नहीं करेंगे। वहीं वक्ताओं ने कहा कि जीवन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पानी है। पानी हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है। पानी पीकर जहां हम अपनी प्यास मिटाते हैं। वहीं नहाने धोने से लेकर खाना बनाने तक हर जगह पानी का प्रयोग होता है। वहीं हम पानी का सर्वाधिक दुरुपयोग भी करते हैं। हम अपनी सुविधाओं के फेर में भूजल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। भू-जल का दुरुपयोग करना हमारे आदत में शामिल हो गया है।
इसे बदलने की जरूरत है। कारण प्रति वर्ष इस धरती से पीने के पानी का स्तर कम होता जा रहा है। देश के कई बड़े शहरों में पानी का संकट गहराता जा रहा है। कई महानगर पानी के संकट से जूझ रहे हैं। आबादी लगातार बढ़ती जा रही है। वहीं पानी के प्राकृतिक स्रोत सूख रहे हैं। आने वाले वर्षो में दुनिया के आधे बड़े शहर पानी के संकट से जूझ रहे होंगे। ऐसे में हमें आज से ही पानी की बर्बाद रोकने का संकल्प लेना होगा। साथ ही बरसात के स्रोत को भी जीवंत बनाए रखने की जरूरत है। ऐसा नहीं है कि हम कुछ जानते नहीं है। हम सब कुछ जानते व समझते हैं। इसके बावजूद हम अपने निहित स्वार्थवश इन बातों की ओर ध्यान नहीं देते हैं। हालांकि अनजाने में हम कोई नहीं करते हैं। हम जानबूझ कर या शौक में पानी की बर्बादी करने से नहीं चूकते हैं।
वहीं यदि एक दिन बिजली कट जाती है तो हमें पानी की एक-एक बूंद मोती लगने लगती है। ऐसा नहीं है कि उस दिन हम पानी का उपयोग नहीं करते हैं। उस दिन हम पानी को जरूरत के हिसाब से उपयोग करते हैं। वहीं दूसरे दिन पानी की उपलब्धता होने पर हम कल की बात भूल जाते हैं। हम आने वाले कल के लिए नल के पानी का दुरूपयोग रोकना ही होगा। अन्यथा आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेंगी। वर्तमान में हम अपने निहित स्वार्थवश तालाब, कुंडों पर कब्जा करते जा रहे हैं। इसके सीधा असर भू-जल पर पड़ रहा है। हमें तालाब व कुंडों को संरक्षित करने की जरूरत है। साथ ही नए तालाब व कुंड बनाए जाने की भी आवश्यकता है। इसके अलावा बरसात के पानी को संरक्षित करने के लिए रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम को अपनाना होगा। घरों, मोहल्लों से लगायत सार्वजनिक पार्को, स्कूलों, अस्पतालों में भी पानी को लेकर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
भारत ही नहीं, पूरी दुनिया जल संकट को लेकर चिंतित हैं। इसे लेकर तमाम कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि भविष्य में जल की कमी की समस्या सुलझाने के लिए जल संरक्षण ही एक मात्र उपाय है। ऐसे में हमें आज से ही जल संरक्षित करने का संकल्प लेना होगा। -डा. अविनाश चंद्र सिंह, प्रधानाचार्य, संत साई शिक्षण संस्थान
दैनिक जरूरतों में सर्वाधिक उपयोग पानी का है। पानी का महत्व के बारे में किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है लेकिन जागरूक करने की जरूरत है। कारण हम पानी का सर्वाधिक दुरुपयोग कर रहे हैं। इसे रोकना ही होगा। -जगजीत कौर अहलूवालिया , निदेशक, गुरुनानक खालसा बालिका इंटर कालेज।
पानी प्रकृति के द्वारा मानवता के लिए जल एक अनमोल उपहार है। जल की वजह से ही धरती पर जीवन संभव है। पृथ्वी का एक चौथाई भाग पानी से घिरा हुआ है। इसके बावजूद हम पानी के संकट से जूझ रहे हैं। विश्व को बचाने के लिए हमें जल को बचाना ही होगा। -डा. मीना कुमारी, कार्यवाहक प्रधानाचार्या, गुरुनानक खालसा बालिका इंटर कालेज
पानी का महत्व हम सभी को समझना होगा। अन्यथा आने वाले समय में हमें पानी की एक-एक बूंद पर तरसना होगा। ऐसे में हमें जल संरक्षण का असली महत्व समझकर उसे अपने जीवन में शामिल करना होगा। - गिरीशा सिंह, प्रधानाचार्य सरस्वती इंटर कालेज