यहां ठहरी हुई ट्रेन में दौड़ रही है जिंदगी, केवल भोजन-नाश्ते के लिए बाहर निकलते हैं लोग

ट्रेन भी है प्लेटफार्म भी है लोग सवार भी हो रहे हैं लेकिन सफर ऐसा है कि घर से आए हैं और सुरक्षित वापस घर ही जाने की जिद है। ऐसा ही मऊ में देखने को मिल रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 03:34 PM (IST) Updated:Fri, 03 Jul 2020 12:57 AM (IST)
यहां ठहरी हुई ट्रेन में दौड़ रही है जिंदगी, केवल भोजन-नाश्ते के लिए बाहर निकलते हैं लोग
यहां ठहरी हुई ट्रेन में दौड़ रही है जिंदगी, केवल भोजन-नाश्ते के लिए बाहर निकलते हैं लोग

मऊ, [सूर्यकांत त्रिपाठी]। जीवन के सफर के तमाम उतार-चढ़ाव के बीच किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन ऐसा भी आएगा, जब प्लेटफार्म पर ट्रेन के पहिए ठहरे हुए होंगे और जिंदगी को दौड़कर मंजिल तक पहुंचना होगा। आलम यह है कि ट्रेन भी है, प्लेटफार्म भी है, लोग सवार भी हो रहे हैं, लेकिन सफर ऐसा है कि घर से आए हैं और सुरक्षित वापस घर ही जाने की जिद है। देश में इस मुश्किल सफर की शुरुआत भी हुई है तो मऊ जंक्शन से, जहां पहली बार कोविड केयर कोच में कोरोना वायरस के संक्रमण से संदिग्ध लोगों को क्वारंटाइन करने का सिलसिला शुरू हुआ। बुधवार को क्वारंटाइन किए गए लोगों ने दूरभाष पर बताया कि एक-एक पल बड़ी मुश्किल से गुजर रहा है। केवल भोजन व नाश्ते के लिए ही वे कोच से बाहर निकलकर प्लेटफार्म के धरातल पर कदम रख रहे हैं।

क्वारंटाइन सेंटर से कोविड केयर कोच ज्यादा बेहतर

नाम न छापने की शर्त पर क्वारंटाइन किए गए एक व्यक्ति ने बताया कि कोच में जेल जैसा तो महसूस हो रहा है, लेकिन महाविद्यालयों में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर से कोविड केयर कोच ज्यादा बेहतर है। जिला प्रशासन कोविड केयर में स्वच्छता व सैनिटाइजेशन को लेकर बेहद सतर्क है। सैनिटाइज करने वाले कर्मचारी समर्पण से काम कर रहे हैं जो लोग भी क्वारंटाइन में रखे गए हैं, उन्हें इस कंपार्टमेंट से उस कंपार्टमेंट में भी नहीं टहलना है। सुबह चाय-काढ़ा और नमकीन का पैकेट लाकर प्लेटफार्म की एक टेबल पर रख दी जा रही है और उसकी सूचना दे दी जा रही है। सभी लोग शारीरिक दूरी के साथ कोच से नीचे उतरकर टेबल से चाय-नाश्ता ले ले रहे हैं। इसी तरह से दोपहर में चावल, दाल, रोटी, सब्जी और लहसुन की चटनी दी जा रही है। वहीं, शाम सात से आठ बजे के बीच इसी प्रकार रात का भोजन दिया जा रहा है।

क्‍वारंटाइन किए गए मरीज भोजन से संतुष्‍ट

भोजन की गुणवत्ता बेहतरीन रह रही है। क्वारंटाइन व्यक्तियों का कहना था कि खाने-पीने के लिए जो भी दिया जा रहा है वह अच्छा दिया जा रहा है, इससे संतुष्टि मिल रही है। प्रत्येक व्यक्ति को एक चादर व तकिया दिया गया है। तीन शौचालय व एक बाथरूम है, जिसमें लोग सुबह नहा-धो रहे हैं। कपड़े ऊपर की सीट पर फैला दिए जा रहे हैं जो पंखा चलने के कारण समय से सूख जा रहे हैं।

सबसे ज्यादा न्यूज देख रहे, गाना अच्छा नहीं लग रहा

एक व्यक्ति ने बताया कि कोविड केयर कोच में राहत की बात यह है कि रेलवे की वाइ-फाइ सुविधा का लाभ मिल रहा है। पूरा दिन फोन पर कहीं बात करके या कभी यू-ट्यूब पर वीडियो देखकर बीत रहा है। हर घंटे न्यूज भी लोग सुन रहे हैं। मोबाइल पर गाना-बजाना थोड़ा मन को अच्छा नहीं लग रहा है। हर कोई जल्द से जल्द ठीक होकर घर पहुंचना चाह रहा है। लोग आपस में बातचीत भी कर ले रहे हैं। गर्मी बहुत ज्यादा नहीं है, इसलिए पंखे से काम चल जा रहा है। हालांकि धूप होने पर गर्मी लग रही है। 

कोविड केयर कोच में रखे गए हैं 28 लोग

डीआरएम वाराणसी के जनसंपर्क अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि  फिलहाल कोविड केयर कोच में 28 लोग रखे गए हैं। जिनमें से 14 लोग कोराना वायरस से संक्रमित हैं, लेकिन उनमें कोई लक्षण नहीं है। रेलवे की तरफ से जो सुविधाएं दी जानी हैं वह पूरी मुस्तैदी से दी जा रही है। कोविड केयर कोच में बिजली का कनेक्शन दिया गया है।

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