लमही महोत्‍सव 2021 : मुंशी जी की जयंती पर झूमी हिंदी और उनकी लमही में थिरक उठा लोक

सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत तुलिया एवं मंत्र नाटकों का ऑनलाइन मंचन किया गया। तुलिया नाटक की प्रस्तुति प्रेरणा कला मंच द्वारा रंगश्री मोतीलाल गुप्त के निर्देशन में किया गया जबकि मंत्र का मंचन लोक कला विकास एवं शोध समिति द्वारा नौटंकी शैली में किया गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 04:14 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 04:14 PM (IST)
लमही महोत्‍सव 2021 : मुंशी जी की जयंती पर झूमी हिंदी और उनकी लमही में थिरक उठा लोक
सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत तुलिया एवं मंत्र नाटकों का ऑनलाइन मंचन किया गया।

वाराणसी, जेएनएन। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 141वीं जन्म तिथि पर लमही महोत्सव-2021 का त्रिदिवसीय आयोजन संस्कृति विभाग द्वारा प्रेमचंद शोध संस्थान-लमही (बीएचयू) एवं प्रेमचंद मार्गदर्शन केन्द्र, लमही के सहयोग से किया जा रहा है। इस क्रम में 30 जुलाई से एक अगस्त तक ऑन लाइन हिन्दी एवं उर्दू कहानी लेखन प्रतियोगिता एवं चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है।

दूसरे दिन शनिवार को प्रेमचंद जयन्ती के अवसर पर मुंशी प्रेमचंद स्मारक को फूल-मालाओं से सुसज्जित किया गया। कोविड-19 के अन्तर्गत दिये गये निर्देशों का पालन करते हुये सुबह 10 बजे स्मारक स्थित मुंशी प्रेमचंद की प्रतिमा पर साहित्यकार डा. राम सुधार सिंह, प्रो श्रद्धानंद, श्री ओम धीरज सहित अन्य साहित्यकारों द्वारा माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इसके साथ ही संस्कृति विभाग द्वारा प्रबुद्ध साहित्यकारों को अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के प्रथम चरण में शैक्षणिक वार्ता का आयोजन प्रेमचंद शोध केन्द्र, लमही में किया गया। “प्रेमचंद की कथा दृष्टि” विषय पर प्रो. श्रद्धानन्द, पूर्व विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग, काशी विद्यापीठ ने प्रेमचंद की कथा दृष्टि को राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तक के रूप में चित्रित करते हुए कहा कि प्रेमचंद का लेखन सही मायने में राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सहायक रहा है। इस क्रम में प्रख्यात साहित्यकार डा. राम सुधार सिंह ने मुंशी प्रेमचंद को लोक जन का लेखन बताया । कहा कि प्रेमचंद की कथाएं समाज के लिये आईना है एवं हासिये के लोगों का सच प्रस्तुत करती हैं। ओम प्रकाश चौबे ( ओम धीरज ) ने प्रेमचंद कथा लेखन को भोगा हुआ यर्थाथ के रूप में प्रस्तुत करते हुए बताया कि प्रेमचंद अपनी कथाओं के पात्र उनके आस-पास के जीवन के लोग ही है।

कार्यक्रम के अगले क्रम में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रो. आभा गुप्ता ठाकुर एवं प्रो. नीरज खरे द्वारा सम्पादित पुस्तक “प्रेमचंद और हमारा समय” का लोकापर्ण प्रो. विजय बहादुर सिंह, संकाय प्रमुख, कला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। पुस्तक पर चर्चा करते हुये प्रो. आफताब अहमद, प्रो. अनुराग दवे, प्रो. नीरज खरे, प्रो. आभा गुप्ता ठाकुर ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर प्रेमचंद शोध संस्थान, लमही की वेबसाईट का लोकार्पण भी किया गया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत तुलिया एवं मंत्र नाटकों का ऑनलाइन मंचन किया गया। तुलिया नाटक की प्रस्तुति प्रेरणा कला मंच द्वारा रंगश्री मोतीलाल गुप्त के निर्देशन में किया गया जबकि मंत्र का मंचन लोक कला विकास एवं शोध समिति द्वारा नौटंकी शैली में किया गया। सांगीतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत सुचरिता गुप्ता द्वारा कजरी एवं डा. शिवानी शुक्ला एवं नीलम सिंह द्वारा लोकगायन का प्रस्तुतिकरण किया गया। मुंशी प्रेमचंद के जन्म दिवस की संध्या पर शाम को भव्य दीपोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इसके अन्तर्गत मुंशी प्रेमचंद की जन्म स्थली एंव स्मारक को दीपों से सुसज्जित किया जाएगा।

इस अवसर पर डा. हरेन्द्र नारायण सिंह, डॉ. अत्रि भारद्वाज, विजय नारायण सिंह, दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव, अफलातून, अदिति गुलाटी , शशि कुमार आनन्द पाल, पंचबहादुर, प्रदीप कुमार, प्रशान्त राय, मनोज कुमार, शैज खान, बलराम यादव, सोहन मौर्या सहित अन्य लोग उपास्थित रहे। अतिथियों का स्वागत एवं कार्यक्रम का संयोजन डा. सुभाष चन्द्र यादव, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी/संयोजक वाराणसी ने किया। कार्यक्रम का संचालन सौरभ चक्रवर्ती, धन्यवाद ज्ञापन डा. हरेन्द्र नारायण सिंह, प्राविधिक सहायक (इतिहास) द्वारा किया गया।

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