वाराणसी के छोटे से गांव से निकला हाकी इंडिया की उम्मीदों का बड़ा सितारा ललित उपाध्याय

ललित से बनारस पूर्वांचल ही नहीं देश को भी ढेरों उम्मीदें हैं। यूपी कालेज के ग्राउंड पर परमानंद मिश्रा से हॉकी का ककहरा सीखने वाले ललित अब तक 200 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं। वर्ष 2018 में उनका चयन राष्ट्रीय हाकी टीम में हुआ था।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 12:04 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 02:45 PM (IST)
वाराणसी के छोटे से गांव से निकला हाकी इंडिया की उम्मीदों का बड़ा सितारा ललित उपाध्याय
ललित से बनारस, पूर्वांचल ही नहीं देश को भी ढेरों उम्मीदें हैं।

वाराणसी, जेएनएन। टोक्यो ओलंपिक के लिए ललित उपाध्याय के चयन की खबर मिलते ही बनारस सहित पूर्वांचल के हाकी खिलाड़ियों में उत्साह की लहर दौड़ पड़ी। शिवपुर के एक छोटे से गांव भगतपुर के ललित ने गांव की पगडंडियों से लेकर अंतरराष्ट्रीय फलक तक छा जाने का सफर बड़ी जद्देजहद के साथ तय किया। छोटे शहर का होने बावजूद ख्वाब हमेशा बड़े रहे। इसके लिए उन्होंने न केवल अपने खेल, बल्कि शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का भी संजीदगी के साथ ध्यान रखा।

ललित से बनारस, पूर्वांचल ही नहीं देश को भी ढेरों उम्मीदें हैं। यूपी कालेज के ग्राउंड पर परमानंद मिश्रा से हॉकी का ककहरा सीखने वाले ललित अब तक 200 से अधिक अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं। वर्ष 2018 में उनका चयन राष्ट्रीय हाकी टीम में हुआ था। भारत पेट्रोलियम में अधिकारी पद पर कार्यरत ललित ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि सफलता का कोई शार्ट कट नहीं होता। खेल का पूरा आनंद लें। जब आपको खेलने में खुशी मिलेगी तो प्रदर्शन खुद-ब-खुद बेहतर होता जाएगा। कभी इस बात को मन में न आने दें कि आप छोटे शहर से हैं और अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेल सकते।

युवा खिलाड़ी बस अपने खेल, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर अच्छे से ध्यान दें। टाइम पास के खेलने से बेहतर है खेल से दूर ही रहें। खेलना है तो पूरा टाइम दें, तभी तरक्की के रास्ते भी खुलेंगे। कहा जिस तरह से वाराणसी और उत्तर प्रदेश में हॉकी का विकास हो रहा है, निश्चय ही अगले कुछ दिनों में यहां से और अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी निकलेंगे।

23 जुलाई से शुरू होगा आेलंपिक

- कोरोना संकट के बीच 23 जुलाई से आठ अगस्त के बीच टोक्यो आेलंपिक का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन वर्ष 2020 में ही होना था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार इसे टाला गया।

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