कृष्ण जन्माष्टमी : गोकुला में बाजत बधइया, जन्मे हैं कृष्ण-कन्हैया, शिवधाम में पधारे नंदलाला

मंगलवार को कृष्ण जन्माष्टमी पर घर-घर लडडू गोपाल के जन्म पर सोहर गीत गाए जा रहे थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था काशी कृष्ण भक्ति में डूब गई। हर ओर यशोदानंदन के जन्म की धूम मची रही।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 11 Aug 2020 09:42 PM (IST) Updated:Tue, 11 Aug 2020 09:42 PM (IST)
कृष्ण जन्माष्टमी : गोकुला में बाजत बधइया, जन्मे हैं कृष्ण-कन्हैया, शिवधाम में पधारे नंदलाला
कृष्ण जन्माष्टमी : गोकुला में बाजत बधइया, जन्मे हैं कृष्ण-कन्हैया, शिवधाम में पधारे नंदलाला

वाराणसी [वंदना सिंह]। आज देवकी को ललना हुआ है। नाचे है पूरा गोकुल, नंदजी लुटावे है सोना, चांदी, यशोदा लुटावे हीरा-मोती। मंगलवार को कृष्ण जन्माष्टमी पर घर-घर लडडू गोपाल के जन्म पर सोहर गीत गाए जा रहे थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था काशी कृष्ण भक्ति में डूब गई। हर ओर यशोदानंदन के जन्म की धूम मची रही। घरों में महिलाओं ने सोहर गाया, तो कहीं राधा रानी और कृष्ण रूप धरे स्वरूपों ने रासलीला प्रस्तुत की। ढोलक की थाप पर युवा कान्हा ने बांसुरी बजाई तो राधा रानी झूमकर नाच उठीं। साथ में गोपियों ने भी पुष्पा वर्षा और गुलाल उड़ाया। तो कहीं पैरां में पैजनियां पहने नन्हें कान्हा को देख हर मन मोह गया। कोरोना के कारण इस बार बाहर कोई भी उत्सव नहीं हो रहा है। ऐसे में जन्माष्टमी से जुड़ी झांकी लोगों ने घर में सजाई। संस्थाओं व क्लबों द्वारा हर साल जन्माष्टमी पर आकर्षक कार्यक्रम हुआ करते थे मगर इस बार ऐसा संभव नहीं था। इसलिए पूरा परिवार जुटा और इस पल को यादगार बनाने में कसर नहीं छोड़ी।

दो साल की राधा रानी

मानस नगर कालोनी निवासी ममता द्विवेदी ने अपने घर पर कान्हा का जन्म उत्सव धूम धाम से मनाया। इस मौके पर दो साल की पीहू राधा रानी बनीं और जब ठुमक ठुमक कर कृष्ण के झूले के इर्द गिर्द नृत्य करने लगी तो ऐसा लगा जैसे झूले पर बैठे कान्हा को अपने साथ खेलने के लिए बुला रही हो। इसके बाद झूले की डोर पकड़े कान्हा को पीहू ने झुलाया। फिर परिजनों के साथ बैठकर पूजा में शामिल हो गई।

ढोलक लेकर झूमें कृष्ण

उधर रामकटोरा निवासी डा.माधुरी श्रीवास्तव के घर में कृष्ण जन्म में सोहर गीतों की धूम रही जिसमें तीन लोक के नाथ कन्हैयाजी ने जनम लियो है, कहवां बजत हौ बधइया कन्हैया ने जनम लियो है गीत सभी को भाया। परंपरागत सोहर गीतों को महिलाओं ने ढोलक की थाप पर गाया। वहीं युवा राधा और कृष्ण की जोड़ी ने भी जमकर रासलीला नृत्य किया। एक मौका ऐसा भी आया जब कृष्ण स्वरूप ने ढोलकर स्वंय उठाया और इसे बजाकर सभी को झूमने पर विवश कर दिया। माधुरी यशोदा बनीं थीं और कृष्ण उनसे पूछ रहे थे मां मैं क्यूं काला हूं। तो मां उन्हें समझाती हैं। झूले पर सजे लडडू गोपाल को उनके मनपसंदीदा मक्खन का भोग लगाया गया।

उधर कबीरनगर निवासी अर्चना अग्रवाल के घर पर मानों पूरा गोकुल ही उतर आया हो। ग्वालबाल, गोपियां, कान्हा, राधा और गोकुल की जनता जैसा दृश्य था। घर के लोगों ने एक एक किरदार को निभाया। इस दौरान फूलों के झूले पर कृष्ण विराजमान थे। ऐसा लग रहा था जैसे वो दर्शक बन अपने जन्म के उत्सव का आनंद ले रहे हों। इस बीच नृत्य संगीत के बीच काशी में आयो नंदलाला गाते हुए भक्तों ने श्रीकृष्ण की पूजा की। राधा व कृष्ण का रूप धरे बच्चों की नटखट लीला देख हर कोई मोहित हो रहा था। इस बीच छोटे कान्हा ने नन्ही राधा को झूले पर भी झुलाया।

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