कोरोना महामारी के दूसरे लहर की वजह ज्योतिष ने किया उजागर, जानिए कब खत्म होगा कोरोना का कहर
Know in Jyotish the second wave of corona epidemic वैश्विक महामारी कोविड 19 को लेकर जिस तरह विश्वपटल पर भारत अमेरिका सहित विश्व के अन्य देशों में महाप्रलय दिख रहा है उसमें ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 13 दिन के पखवाड़े का अहम योगदान है।
वाराणसी [सौरभ चंद्र पांडेय]। वैश्विक महामारी कोविड 19 को लेकर जिस तरह विश्वपटल पर भारत, अमेरिका सहित विश्व के अन्य देशों में महाप्रलय दिख रहा है, उसमें ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 13 दिन के पखवाड़े का अहम योगदान है। गत वर्ष महामारी में भारत को उतना नुकसान नहीं हुआ जितना कि इस वर्ष हुआ है। इससे बचने के लिए सरकार और लोगों द्वारा किए जा रहे सारे इंतजाम नाकाम साबित हो रहे हैं। देश को महामारी से कब निजात मिलेगा कोई भी गारंटी के साथ इस बात को बताने के लिए तैयार नहीं है।
ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार हिंदी नव वर्ष 2078 के प्रवेश के साथ ही कोरोना की दूसरी लहर ने भारत सहित पूरे विश्व में मौत का तांडव मचा रखा है। उनके अनुसार ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाए तो हिंदी नव वर्ष में खगोल मंडल में कई दुरुयोग बने हुए है। पहला इस वर्ष 2078 में जो सबसे बड़ा दुरुयोग बना है, वह संवत 2078 (वर्ष 2021-22) में भाद्र शुक्ल पक्ष 13 दिनों का है। जिसमें भाद्र शुक्ल प्रतिपदा व भाद्र शुक्ल त्रयोदशी दो तिथियों का क्षय हो रहा है। देखा जाए तो किसी भी पक्ष में किसी को हानि और लाभ हो सकता है। यह 13 दिनों का पक्ष हजारों वर्षों में एक ही बार आता है। इसका वर्णन महाभारत के भीष्म पर्व में है। जिसमें कहा गया है कि
" चत्रुर्दशी पंचदशी, भूतपूर्वा च षोडशीम। इमाम तु नाभिजानेहममावस्यां त्रयोदशीम्।।
अपर्वणि ग्रहं यातौ प्रजा संक्षयमिच्छतः।।
अर्थात भीष्म पितामह कहते है कि 14, 15 और 16 दिनों के पक्ष तो रहते हैं तो यह प्राणियों के लिए संहारक है। वहीं दूसरी तरफ ज्योतिष ग्रंथ ज्योतिष निबंधवाली तथा स्मृतिरत्नावलनी में कहा गया है कि-
यदा च जायते पक्षी त्रयोदशदिनात्मकः। भवेल्लोक क्षयोघोरो मुंडमालायुता मही ।।
अर्थात जिस पक्ष में दो तिथियों का क्षय होता है उस वर्ष देश में भारी जन-धन की हानि होती है। 13 दिनों का पक्ष द्वापर युग के महाभारत काल में पड़ा था। उस समय भी भारी जन-धन की हानि हुई थी। दूसरा 2078 के जग लग्न में बना राहु, मंगल युति से अंगारक योग है। इस योग में राजा-मंत्री का होना भी किसी बड़ी त्रासदी को दर्शा रहा है। तीसरा इस नव वर्ष के राजा और मंत्री मंगल है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस वर्ष के राजा और मंत्री दोनों ग्रह पाप या क्रूर ग्रह हों तो वह वर्ष देश और समाज के लिए शुभ नहीं माना जाता है। चौथा 26 मई को चंद्रग्रहण लग रहा है। जो भारत में खग्रास (आंशिक) चंद्रग्रहण के नाम से जाना जाएगा। यह भारत के पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल के कुछ भाग में आंशिक रूप से दृश्य होगा। शास्त्र के अनुसार ग्रहण से पूर्व और ग्रहण के 15 दिन बाद तक इसका विशेष दुष्प्रभाव रहता है। ऐसे में भारत को 2021 तक सावधान रहने की आवश्यकता है। यह पखवाड़ा इस वर्ष 8 से 20 सितंबर तक रहेगा। इस पखवाड़े की समाप्ति के बाद जनहानि में कमी आएगी। लेकिन कोरोना से मुक्ति संवत 2078 की समाप्ति (मार्च 2022) के बाद ही मिलेगी। वहीं अंकशास्त्री भी 13 का अंक अशुभ मानते रहे हैं।