आपको भी आती है ज्यादा हिचकी तो इससे सीने और गले में हो सकता है दर्द, जानिए आयुर्वेदिक उपचार

कई बार जल्दी जल्दी खाने से या फिर अधिक मसालेदार व्यंजन के सेवन से हिचकी आने लगती है इसके साथ ही कई लोगों को हिचकी की समस्या होती है जिससे वे परेशान हो जाते हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 18 Nov 2019 11:14 AM (IST) Updated:Mon, 18 Nov 2019 05:22 PM (IST)
आपको भी आती है ज्यादा हिचकी तो इससे सीने और गले में हो सकता है दर्द, जानिए आयुर्वेदिक उपचार
आपको भी आती है ज्यादा हिचकी तो इससे सीने और गले में हो सकता है दर्द, जानिए आयुर्वेदिक उपचार

वाराणसी, जेएनएन। कई बार जल्दी जल्दी खाने से या फिर अधिक मसालेदार व्यंजन के  सेवन से हिचकी आने लगती है। इसके साथ ही कई लोगों को हिचकी की समस्या होती है जिससे वे परेशान हो जाते हैं। अधिक पानी पी लेने से भी हिचकी आने लगती है और चिकित्सक से संपर्क करना पड़ता है। अधिक पेय पदार्थों का सेवन, ज्यादा खाना, किसी प्रकार का उत्साह या स्ट्रेस, स्मोकिंग करना, कमरे के  तापमान में अचानक बदलाव होना, इन कारणों से भी हिचकी आ सकती है। लगातार हिचकी आने से सांस लेने में बहुत कठिनाई होती है। गले और सीने में दर्द भी होने लगता है। 

राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के  वैद्य डा. अजय कुमार बताते हैं कि हिचकी आने की ठोस वजह को लेकर मेडिकल साइंस के  पास जवाब नहीं है। इनके मुताबिक डायफ्रॉम के अनियमित रूप से सिकुडऩे पर हिचकी आती है। मगर आयुर्वेद में इसके  होने का विस्तार से वर्णन मिलता है। आयुर्वेद में पाच प्रकार की हिचकी बताई गई है-

अन्नजा- यह हिचकी अधिक या गलत तरीके  से खाना-खाने और पानी पीने से होती है। इस प्रकार की हिचकी कुछ देर में ठीक हो जाती है।

यमला-  यह हिचकी थोड़ी तीव्र होती है और गर्दन और सिर को कंपाती हुई 2-2 बार निकलती है।

क्षुद्रा- इस प्रकार की हिचकी देर से धीरे-धीरे उठती है। इसका प्रभाव केवल कंठ तक ही रहता है।

गंभीरा- यह हिचकी नाभि के पास से उठती है और गंभीर शब्द करती है। यह हमेशा किसी अन्य रोगों के अंत में उपद्रव के  रूप में होती है।

महती -इसमें पेडू, हृदय, मस्तिष्क आदि कोमल स्थानों में पीड़ा करती हुई, सब अंगों को कंपाती हुई लगातार चलती है। इसका क्रम नहीं टूटता है। 

क्या हैं कारण

आयुर्वेद के  अनुसार यह रोग मुख्य रूप से वात और कफ के  कारण उत्पन्न होता है। इसके  अलावा निम्न कारण होते हैं

-अत्यधिक जल्दीबाजी में खाने से।

-अधिक मिर्च मसालेयुक्त भोजन लेने से।

-भोजन के  बाद बहुत अधिक पानी पीने से।

-बहुत अधिक गले तक भरकर खाना खाने से।

-खाना खाकर तुरंत लेटने से।

-अत्यधिक मानसिक तनाव के  कारण।

-बिना चबाए तेज खाने से हिचकी आती है इसलिए खाना धीरे-धीरे चबा कर खाएं। 

यह है इलाज-

- सहिजन के  पते को उबालकर उसका पानी निकालकर उसे धीरे-धीरे पीने से राहत मिलती है।

- सूखी मूली को उबालकर उसका पानी पीने से आराम मिलता है।

- हिचकी रोकने के लिए एक चम्मच नींबू का रस और शहद मिलाएं और फिर उसे पी जाएं। इससे हिचकी बंद हो जाएगी।

- मोर के पंख की भस्म (मयूरपिच्च भस्म) को पिप्पली और शहद के साथ सेवन करने से हिचकी और कास रोग नष्ट होते हैं।

- प्याज के रस में 10 ग्राम शहद को मिलाकर उसे चाटकर खाने से हिचकी जल्द बंद हो जाती है।

- तुलसी के  पत्तों का रस दो चम्मच और शहद एक चम्मच मिलाकर पीने से हिचकी समाप्त हो जाती है।

- कालीमिर्च का चूर्ण, शहद में मिलाकर चाटने से हिचकी मिट जाती है।

- अकरकरा का चूर्ण एक चम्मच शहद के  साथ चाटने से हिचकी शांत हो जाती है।

- गर्म दूध को घूंट-घूंटकर पीने से हिचकी सही हो जाती है।

- सोंठ का चूर्ण गुड़ के साथ सेवन करने से या बकरी के दूध के साथ लेने से हिचकी बंद हो जाती है। मगर ये सारे उपाय विशेषज्ञ वैद्य या आयुर्वेद चिकित्सक के अनुसार करें।

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