डटे रहे खादी के कामगार, गाजीपुर में कोरोना कर्फ्यू के दौरान घर पर रहकर कामगारों ने किया उत्पादन

लाकडाउन के दौरान भी इनके उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। काफी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। कोरोना संकट के दौर में खादी ग्रामोद्योग से लोगों को राहत मिली है। फिलहाल खादी ग्रामोद्योग में रोजगार के खूब अवसर उभर रहे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sat, 05 Jun 2021 04:27 PM (IST) Updated:Sat, 05 Jun 2021 04:34 PM (IST)
डटे रहे खादी के कामगार, गाजीपुर में कोरोना कर्फ्यू के दौरान घर पर रहकर कामगारों ने किया उत्पादन
खादी के कामगारों ने अपने व्यवसाय को जिंदा रखा और घर पर ही रहकर सूत कातते व उत्पादन करते रहे।

गाजीपुर, जेएनएन। कोरोना संकट के दौर में जहां कंपनियों के बंद होने से हजारों कामगार बेरोजगार हो गए, वहीं खादी के कामगारों ने इस दौर में भी अपने व्यवसाय को जिंदा रखा और घर पर ही रहकर सूत कातते व उत्पादन करते रहे। इसके चलते उनका रोजगार बचा रहा और खादी का उत्पादन भी होता रहा।

जिले में 22 खादी संस्थाएं वस्त्र निर्माण करा रही हैं। खादी कुर्ता, पाजामा, पैंट-शर्ट, लुंगी, गमछा व धोती तैयार होती है। करीब चार से पांच हजार बुनकरों, कारीगरों एवं मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा है। प्रतिदिन 300 रुपये की आमदनी हो जाती है। इन संस्थाओं से तैयार सामान यूपी, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तराखंड, दिल्ली समेत कई प्रांतों के अलावा रेलवे, केंद्रीय रिजर्व बल को भेजा जाता है। संस्था की ओर से अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देने की कोशिश की जा रही है।

लाकडाउन के दौरान बढ़ी उत्पादों की मांग

लाकडाउन के दौरान भी इनके उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। काफी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। कोरोना संकट के दौर में खादी ग्रामोद्योग से लोगों को राहत मिली है। फिलहाल खादी ग्रामोद्योग में रोजगार के खूब अवसर उभर रहे हैं। इस काम में सरकार का सहयोग काफी उल्लेखनीय रहा। कोरोना संकट के दौर से निराशा के वातावरण में यहां रोजगार के अवसर विकसित हुए हैं।

आधुनिक डिजाइन के तैयार हो रहे वस्त्र

: महादेव खादी ग्रामोद्योग संस्थान में डिजिटल टेक्सटाइल्स प्रिंटिंग की व्यवस्था की गई है। जिले के सभी संस्थाओं का इस प्रिंटिंग से आधुनिक डिजाइन के वस्त्र तैयार हो रहे हैं। नवयुवकों की मांग के हिसाब से डिजाइन प्रिंट किया जाता है। इसके लिए संस्थाओं को पहले अहमदाबाद जाना पड़ता था। अब लागत के साथ समय की भी बचत हो रही है।

श्री महादेव खादी ग्रामोद्योग संस्थान के मंत्री जयप्रकाश प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि सूत की कताई के साथ ही वस्त्रों की बुनाई होती है। जिले के खादी कंबल संस्थान अंहारीपुर, ग्रामीण विकास सेवा संस्थान गोशंदेपुर, समग्र लोकहित सेवाश्रम भदेसर बैरान, ग्रामोदय आश्रय कलवरा में खादी वस्त्र तैयार हो रहे हैं। इसे अन्य प्रांतों में भेजा जाता है। कोरोना काल में भी काम बंद नहीं किया गया और बुनकरों व महिलाओं को उनके घर कच्चा माल पहुंचाया गया, जिससे वह कताई व बुनाई का कार्य आसानी से करते रहे।

घरेलू कामगार महिलाओं के स्वलंबन बनाने की दिशा में भी बेहतर काम हो रहा है

घरेलू कामगार महिलाओं के स्वलंबन बनाने की दिशा में भी बेहतर काम हो रहा है। कोरोना काल में उन्हें गांव में रोजगार मिलने पर उनकी जरूरतें पूरी हो जा रही हैं। यहां उत्पादित वस्त्र अन्य प्रांतों में भेजे जाते हैं। कोरोना काल में सूत की कताई के लिए कामगारों को उनके घर पर ही रोजगार दिया जा रहा है।

- डीएस भाटी, निदेशक, वाराणसी, खादी और ग्रामोद्योग आयोग।

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