पंचायत चुनाव के लिए खादी वस्त्र तैयार, वाराणसी में सफेद के मुकाबले रंगीन कपड़े ज्यादा आ रहे पसंद
वैसे तो गर्मी में खादी के कपड़ों की मांग बढ़ती है लेकिन इस पंचायत चुनाव और होली के कारण खादी के कपड़ों की मांग बढ़ी है। चुनाव में नेता खादी के कपड़ों को तवज्जों देते हैं। मांग के अनुसार आपूर्ति देने के लिए खादी ने तैयारी पूरी कर ली है।
वाराणसी [सौरभ चंद्र पांडेय]। वैसे तो गर्मी में खादी के कपड़ों की मांग बढ़ती है, लेकिन इस पंचायत चुनाव और होली के कारण खादी के कपड़ों की मांग बढ़ी है। चुनाव में नेता खादी के कपड़ों को तवज्जों देते हैं। ऐसे में कपड़ों की बढ़ती मांग को देखते हुए खादी ने इस बार बाजार में कई नए कलेक्शन उतारे हैैं। मांग के अनुसार ग्राहकों को आपूर्ति देने के लिए खादी ने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग के क्षेत्रिय कार्यालय के अनुसार इस बार मांग को देखते हुए 30-40 फीसद कपड़ों का ज्यादा उत्पादन किया गया है।
कलर फुल कपड़े युवा नेताओं की पहली पसंद
पंचायत चुनाव की तैयारी कर रहे युवा नेताओं की पहली पसंद खादी के कलर फुल अधि के कपड़े हैं। इससे पूर्व के चुनाव में खादी के सफेद कपड़े ट्रेंड में रहे हैं। राजनीति में नई पीढ़ी के कूदने से अब पोशाक में भी परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
रेशम के आगे काटन के सदरी की मांग घटी
इस बार केवल कपड़ों का ही ट्रेंड नहीं बदला है। बल्कि खादी के सदरी में भी ट्रेंड बदलता दिख रहा है। इस बार ग्राहकों में रेशम के सदरी की मांग ज्यादा है। वहीं काटन की सदरी मांग घटी है। कारण कि आकर्षक रंगों के साथ बाजार में नए कलेवर के साथ प्रस्तुत खादी की इस सदरी से खरीदारों की नजर ही नहीं हट रही है। सबसे खास बात यह है कि यह काटन की सदरी के मुकाबले बहुत मुलायम है।
गर्मी के लिए खादी स्टोर पर उपलब्ध है मसलीन
बात सामान्य खरीदारों की करें तो इस बार समय से पहले शुरु हुई गर्मी को देखते हुए खादी के स्टोर पर दो सूत वाले कपड़े यानी मसलीन की मांग शुरु हो गई है। इसमें भी इस बार खादी ने कई नए रंगों को बाजार में उतारा है। जिसे ग्राहकों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है।
रेट एक नजर में
अधि सफेद 380-520
अधि रंगीन 440-600
सदरी काटन 1000-1200 (प्रति पीस)
सदरी रेशम 1600-2000 (प्रति पीस)
मसलीन सफेद 220-350
मसलीन रंगीन 280-400
नोट अन्य सभी उत्पाद के रेट प्रति मीटर में हैं।
चुनाव के कारण खादी के कपड़ों की मांग बढ़ी है
समय से पूर्व गर्मी पडऩे और चुनाव के कारण खादी के कपड़ों की मांग बढ़ी है। मांग को देखते हुए खादी ने भी अपनी तैयारी कर ली है। पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार लगभग 30-40 फीसद तक अधिक कपड़े का उत्पादन किया गया है।
- डीएस भाटी, निदेशक खादी और ग्रामोद्योग