खादी से जुड़कर बने आत्मनिर्भर और दूसरों को दें रोजगार, खादी ग्रामोद्योग आयोग ने बनाई कई योजनाएं
केंद्र एवं राज्य सरकार बेरोजगारों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसके लिए खादी ग्रामोद्योग आयोग ने कई योजनाएं बनाई हैं। इससे युवा जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं।साथ ही साथ बेरोजगारों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं।
वाराणसी [सौरभ पांडेय] । केंद्र एवं राज्य सरकार बेरोजगारों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इसके लिए खादी ग्रामोद्योग आयोग ने कई योजनाएं बनाई हैं। इससे युवा जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं।साथ ही साथ बेरोजगारों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं। कोरोना काल के दौरान खादी ही एक ऐसा विभाग
था जिसका न तो चरखा रुका और न हीं करघा।युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खादी की क योजनाएं धरातल पर हैं और कई योजनाएं अगले वित्तीय वर्ष में शुरु होने वाली हैं। नई योजनाओं एवं बेरोजगारों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खादी ग्रामोद्योग आयोग की तरफ से उठाए जा रहे कदम के संबंध में निदेशक खादी ग्रामोद्योग डीएस भाटी से बात की दैनिक जागरण के संवाददाता ने। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश...
- रोजगार परक योजनाओं में क्या-क्या शामिल है ?
- खादी ग्रामोद्योग का मूल उद्देश्य है देश के दूर-दराज के गांवों में लोगों को रोजगार मुहैया करना। इसमें हम स्वयं सेवी संस्थाओं की मदद से लोगों को रोजगार से जोड़ते हैं। विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लोगों को तकनीकि प्रशिक्षण, वित्तीय सुविधाएं, विपणन सुविधाएं उपलब्धकराते हैं। इस वित्तीय वर्ष में कुम्हारी सशक्तिकरण, हनी मिशन, मोची मिशन, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत मत्स्य पालन, पोलेट्री फार्म जैसी योजनाएं सफल रही हैं। इससे जुड़कर लोग आत्मनिर्भर हुए हैं। कई को रोजगार भी मिला है।
- इन सभी योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट क्या है ?
- सफल रही योजनाओं के प्रगति रिपोर्ट की बात करें तो लोगों की आय में तीन से चार गुना का इजाफा हुआ है। कुम्हारी सशक्तिकरण योजना को ही उदाहरण मान लें तो पहले एक कुम्हार पत्थर के चाक से एक दिन में 100-150 रुपये कमाता था। खादी ने उसकी हुनर को पहचाना और इलेक्ट्रिक चाक दिया। उसके बाद उसकी आमदनी 500-600 रुपये हो गई। कारण कि इलेक्ट्रिक चाक से उसका उत्पादन बढ़ गया। वहीं दूसरी ओर जो किसान पहले से वृहद स्तर पर खेती कर रहे थे। हमने उनको हनी मिशन से जोड़ा। उनको खादी ने प्रशिक्षित
किया और बी बाक्स दिया। जिससे वह वर्ष में 100-150 किलोग्राम शहद का उत्पादन कर सकते हैं। जिससे वह आठ से दस हजार रुपये खेती के अलावा अपनी आय को बढ़ा सकते हैं।
- अभी तक विभिन्न योजनाओं से कितने लोग लाभांवित हुए हैं ?
- खादी के बनारस मंडल में 12 जिले शामिल हैं। खादी की विभिन्न योजनाओं से अभी तक लगभग 15 हजार लोग लाभांवित हो चुके हैं। सरकार की ओर से खादी को जो लक्ष्य मिला था वह पूरा हो चुका है। हम उससे कहीं आगे बढ़ रहे हैं। बलिया में लक्ष्य के सापेक्ष 90 फीसदी, कौशांबी में 92 फीसदी, मीरजापुर में सौ फीसदी, प्रयागराज में 98 फीसदी लक्ष्य प्राप्त किया जा चुका है। बनारस के सेवापुरी में पांच सौ बुनकरों को चरखा, लगभग छह किसानों को हनी बाक्स, मिशन मोची के तहत पचास लोगों को टूल किट का वितरण किया गया है।
- कोरोना काल के बाद कितने लोगों को रोजगार मिला है ?
- खादी से जुड़े लोग कोरोना काल में भी अपना रोजगार करते रहे। कोरोना काल के दौरान भी खादी का चरखा और करघा निरंतर चलता रहा है। यह देखकर बाहर से लौटे लोग भी दंग रह गए। सेवापुरी ब्लाक में ही लिज्जत पापड़ से जुड़कर 350 महिलाएं प्रतिदिन सुबह में संस्था के कारखाने से जाकर कच्चा माल लाती हैं। उसे बनाकर अगले दिन वह वापस पहुंचाती हैं। उनकी मजदूरी सीधे उनके खाते में भेज दी जाती है। लाकडाउन में जो लोग बाहर से गांव में आएं हैं। उनमें से कई लोगों ने हमशे मुलाकात किया। हमने उन्हें खादी से जोड़ा आज वह साइकिल रिपेयरिंग और इलेक्ट्रानिक उपकरणों की मरम्मत कर रहे हैं। कई लोगों को अपने यहां वह रोजगार भी दिए हैं।
- खादी की आगामी योजनाएं क्या-क्या हैं ?
- अप्रैल माह में खादी की एक योजना वुड कार्विंग की लांचिंग की जाएगी। योजना को धरातल पर उतारने के लिए लोगों को प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम पहले सप्ताह में शुरु होने जा रहा है। इसमें प्रशिक्षार्णियों को लकड़ी
के बुरादे और छीलन से लकड़ी के खिलौने बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
परिचय-
नाम- डीएस भाटी
पद निदेशक खादी और ग्रामोद्योग आयोग
गौतमबुद्ध नगर के सैफली गांव निवासी डीएस भाटी ने प्रारंभिक से लेकर स्नातक तक की शिक्षा गाजियाबाद के एमएमएच कालेज से प्राप्त की। उसके बाद स्नातकोत्तर के लिए मेरठ गए। उसके बाद एलएमएल कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर के पद से नौकरी की शुरुआत की। वर्ष 1991 में खादी विलेज इंडस्ट्री कमिशन से जुड़े। फिर सरकार ने कार्य की प्रगति को भांपते हुए 1993 से लेकर 2017 तक दिल्ली से मुंबई और मुंबई से दिल्ली तक सेवा लिया।वर्ष 2018 में सरकार ने जम्मू और कश्मीर में ट्रांसफर कर दिया। उसके बाद जून 2020 में काशी में सेवा देने का अवसर मिला। जो अभी तक निभा रहा हूं।