श्रीकाशी विश्वनाथ कारिडोर को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने दी जमीन, कारीडोर परिक्षेत्र में होगा इजाफा

पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्‍ट काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर के लिए ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष की ओर से 1000 वर्ग फ‍ीट जमीन आधिकारिक तौर पर लिखा-पढ़ी के बाद सरकारी दस्‍तावेजों में मंदिर के पक्ष में दर्ज कर दी गई।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 05:48 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 08:38 AM (IST)
श्रीकाशी विश्वनाथ कारिडोर को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने दी जमीन, कारीडोर परिक्षेत्र में होगा इजाफा
काशी विश्‍वनाथ मंदिर कार्यालय की ओर से भी ज्ञानवापी पक्ष से जमीन मंदिर को हस्‍तांतरण की पुष्टि की गई है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। श्रीकाशी विश्वनाथ कारिडोर को भव्यता प्रदान करने के लिए वाराणसी में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने एक हजार वर्ग फीट की जमीन दी है। इसके बदले मंदिर प्रशासन ने भी बांसफाटक क्षेत्र में एक हजार वर्ग फीट की जमीन अंजुमन इंतजामिया मसाजिद को सौंपी है। श्रीकाशी विश्वनाथ कारिडोर निर्माण में इसे ऐतिहासिक कदम बताया जा रहा है। लंबी बातचीत के बाद दोनों पक्ष इस निर्णय पर पहुंच सके हैं। आर्टिकल 31 में निहित एक्सचेंज आफ प्रापर्टी के तहत ही दोनों संपत्तियों का हस्तांतरण शुक्रवार को हुआ।

विनिमय प्रणाली के तहत इन संपत्तियों के हस्तांतरण में 9.29 लाख रुपये की ई-स्टांप ड्यूटी अदा की गई। इस प्रकिया को दो चरणों में पूरा किया गया। इसके तहत एक पक्ष ने आठ जुलाई तो दूसरे पक्ष ने 10 जुलाई को रजिस्ट्री की। यह विनिमय पत्र राज्यपाल की स्वीकृति पर बना। स्थानीय स्तर पर राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व नोडल अधिकारी व मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर सुनील कुमार वर्मा ने प्रथम पक्ष के तौर किया। वहीं, द्वितीय पक्ष के तौर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी बजरिए सेक्रेटरी अब्दुल बातिन नोमानी ने दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की यह जमीन ज्ञानवापी मस्जिद से महज सवा सौ फीट दूर है। विधिक कार्यवाही पूरा होने के साथ ही श्रीकाशी विश्वनाथ कारिडोर निर्माण में लगी कंपनी ने कब्जे में ले लिया है। जमीन पर बने ढांचागत निर्माण को गिराने का कार्य शुरू हो गया है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अपनी इस जमीन को वर्ष 1993 में स्थानीय प्रशासन को सौंप दिया था। इस जमीन पर प्रशासन ने कंट्रोल रूम स्थापित किया है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने स्पष्ट किया है कि इस जमीन का संबंध ज्ञानवापी मस्जिद से नहीं है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने हस्तांतरण प्रक्रिया को पूर्ण कराया है।

कॉरिडोर निर्माण में जमीन का यह हिस्‍सा रोड़ा बन रही थी। इस जमीन को लेकर कई बार आपस में दोनों पक्ष में बात हुई थी। आखिरकार पांच सौ मीटर की दूरी पर बांस फाटक के पास ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष को जमीन दी गई है। मुस्लिम पक्ष को जो जमीन दी गई है, वह मंदिर प्रशासन ने उपलब्‍ध कराया है। इस बाबत पूर्व में शासन की ओर से भी जमीन को लेकर पहल की गई थी। आर्टिकल 31 के तहत एक्‍सचेंज ऑफ प्रॉपर्टी के तहत जारी दस्‍तावेजों में ई स्‍टांप के जरिए इस संपत्ति का हस्‍तांतरण किया गया है। इसमें काशी विश्‍वनाथ मंदिर प्रशासन और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से नौ लाख उनतीस हजार रुपये की स्‍टांप ड्यूटी चुकाकर संपत्ति का हस्‍तांतरण किए जाने की जानकारी सामने आई है। जमीन के बारे में जारी रिपोर्ट के अनुसार, जमीनों का हस्‍तांतरण आदि विश्‍वेश्‍वर और ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष की ओर से जमीनों की अदला-बदली के तौर पर की गई है।

बोले कमिश्‍नर : एक हजार वर्ग फीट जमीन अंजुमन इंतजामिया मसाजिद को दी गई है। इसके बदले एक हजार वर्ग फीट जमीन श्रीकाशी विश्वनाथ कारिडोर को मिली है। इसके लिए सहमति पहले बन चुकी थी। विधिक प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। - दीपक अग्रवाल, कमिश्‍नर।

जमीन का ज्ञानवापी मस्जिद से ताल्लुक नहीं है

इस जमीन का ज्ञानवापी मस्जिद से कोई ताल्लुक नहीं है। यह सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जमीन थी, जिसे 1993 में स्थानीय प्रशासन को सौंपा गया था। इस पर कंट्रोल रूम बना है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बिहाफ पर इस जमीन के बदले अंजुमन इंतजामिया मसाजिद को बांसफाटक के पास 1000 वर्ग फीट जमीन मिली है। - एसएम यासीन, संयुक्त सचिव-अंजुमन इंतजामिया मसाजिद।

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