Kashi Ghat Walk : वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर दी गई डोम राजा को उनके कटआउट के सामने श्रद्धांजलि

काशी घाट वॉक की ओर से मंगलवार शाम हरिश्चन्द्र घाट पर श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान उनके स्मृति की भी चर्चा हुई। लोकनाट्य कलाकर अष्टभुजा मिश्रा व ताना-बाना ग्रुप के देवेंद्र दास व उनके साथियों ने स्वरांजलि भी अर्पित की।

By saurabh chakravartiEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 06:41 PM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 07:56 PM (IST)
Kashi Ghat Walk : वाराणसी के हरिश्चंद्र घाट पर दी गई डोम राजा को उनके कटआउट के सामने श्रद्धांजलि
हरिचंद्र घाट पर डोम राजा स्व.जगदीश चौधरी कटआउट के सामने श्रद्धांजलि देते काशी घाट वॉक के लोग ।

वाराणसी, जेएनएन। काशी घाट वॉक की ओर से मंगलवार शाम हरिश्चन्द्र घाट पर श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान उनके स्मृति की भी चर्चा हुई। लोकनाट्य कलाकर अष्टभुजा मिश्रा व ताना-बाना ग्रुप के देवेंद्र दास व उनके साथियों ने स्वरांजलि भी अर्पित की। श्रद्धांजलि कार्यक्रम में डोम राजा स्व. जगदीश चौधरी के पुत्र ओम चौधरी ने अपने पिता को पहला दीपक समर्पित किया। उनके बाद काशी घाट वॉक के लोगों ने श्रद्धांजलि दी।

इस दौरान प्रो. विजयनाथ मिश्र ने  कहा कि हम घाट वॉक के सदस्य हैं। हम घाट वॉक के लोग डोम समाज, केवट, मौलवी यहाँ के रहने वाले बाशिंदे, साधु-संत, भिक्षुक इनसे ही हम ज्ञान लेते हैं। यहां न कोई ऊँचा है और न कोई नीचा है। एक सामाजिक न्याय व्यवस्था बनाने वाला यह घाट वॉक विश्वविद्यालय है। स्व. जगदीश चौधरी डोमराजा आज उन्हें श्रद्धांजलि दी गई है और नए डोमराजा ओम चौधरी का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि जो डोम समाज है इनके पास काशी का वह समाज है जिसे भगवन शिव ने सबको मोक्ष दिलाने का अधिकार दिया है। हम सभी इन्हें नमन करते हैं।

इस दौरान प्रो. श्री प्रकाश शुक्ला ने कहा कि जगदीश चौधरी कोई व्यक्ति नहीं थे वो एक मूल्य थे, काशी की एक संस्था थे और मानव मुक्ति के मोक्ष द्वार हैं और सदा हमारे बीच रहेंगे। काशी ही नहीं इस धरती का हर मनुष्य उनके द्वारा दी गई अग्नि के बगैर मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि हमारा देह तो है लेकिन देह के भीतर जो ज्वाला होती है उस ज्वाला को हम सिर्फ एक दिन ही पहचानते हैं। जिस दिन अपने जीवन के अंतिम क्षण में श्मशान घाट पर मौजूद होते हैं, जब हम खुद नहीं जानते कि हमारा क्या हश्र हो रहा होता है। हमारे भीतर जो ज्वाला होती है उसे निकालने की भूमिका डोमराज ही निभाते हैं। सदियों से यह परम्परा चली आ रही है। इसलिए ऐसी ज्वाला को जलाने वाले काशी के मोक्ष द्वार के रूप में हमारे बीच मौजूद रहे।

इस दौरान कटआउट बनाने वाले युवा कलाकार अभिषेक गुप्ता, ख्यात फोटोग्राफर मनीष खत्री, शैलेश तिवारी, डॉ विंध्याचल यादव, अजय कुमार तिवारी, अरविंद पटेल, अमर गुप्ता, गुरुदेव चौधरी, पवन चौधरी सहित डोम समाज मौजूद रहा।

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