अवध की तरह व्याकुल हो गई काशी, राम लीला के मंच पर त्रेतायुग होगा जीवंत
चित्रकूट रामलीला समिति की ओर से आश्विन शुक्ल एकादशी तद्नुसार शनिवार की शाम इस खास प्रसंग का नाटी इमली के मैदान में मंचन किया जाएगा। सूर्य की किरणें अस्ताचल की ओर प्रस्थान की राह पर होंगी और चारो भाइयों के चरण पखारते हुए विदा होंगी।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। आश्विन शुक्ल प्रतिदपदा से नवमी यानी नौ दिनों तक शक्ति की अधिष्ठात्री मां जगदंबा की विधि-विधान से पूजा-आराधना और आश्विन शुक्ल एकादशी को विदाई के बाद काशी राममय हो उठी है। भगवान राम ने रावण को मार दिया है। मानो विपदाओं, भय व्याधियों से उबार दिया है। अब इंतजार है भगवान राम के अवध आने का।
चौदह साल से तपस्वी की तरह पर्ण कुटी में तपस्वी की तरह इंतजार के दिन काट रहे भइया भरत को गले लगाने का। लक्खा मेला के रूप में ख्यात नाटी इमली का भरत मिलाप इन्हीं भावों से सजता है। चित्रकूट रामलीला समिति की ओर से आश्विन शुक्ल एकादशी तद्नुसार शनिवार की शाम इस खास प्रसंग का नाटी इमली के मैदान में मंचन किया जाएगा। कह सकते हैं भावों से जीवंत कर दिया जाएगा। सूर्य की किरणें अस्ताचल की ओर प्रस्थान की राह पर होंगी और चारो भाइयों के चरण पखारते हुए विदा होंगी।
काशी इन्हीं भावों को समेटे हुए व्याकुल हुई जा रही है। उसे इंतजार है शाम का जब उसके राम आएंगे। धूपचंडी स्थित लीला स्थल चित्रकूट का मान पाएगा। नाटीइमली का मैदान अवध-चित्रकूट की सीमा इस भाव से निहाल हो जाएगा। हनुमान जी प्रभु के आगमन की सूचना लेकर अयोध्या जाएंगे। भरत भइया शत्रुघ्न संग दौड़ते आएंगे और भइया श्रीराम व माता जानकी के चरणों में दंडवत हो जाएंगे।
गोस्वामी तुलसीदास की चौपाइयों को बीच चारो भाइयों का मिलन होगा और उमड़े अथाह जनसमूह के नयन गीले कर जाएंगे। पिछले साल कोरोना संकट के कारण भरत मिलाप की लीला झांकी नहीं सजाई गई थी। इस कारण पर्व उत्सवों की रसिया नगरी काशी को इस लक्खा मेला का इंतजार कुछ अधिक ही बेसब्री से है। नाटी इमली मैदान सज धज कर तैयार है। दुकानें सजाई जाने लगी हैं। काशी नरेश परिवार भी परंपरा के निर्वाह के लिए तैयार है। हर साल काशी नरेश परिवार की ओर से इसमें हाथी पर सवार हो राजसी अंदाज में भागीदारी की जाती है।