काशी में करवाचौथ के व्रत का चढ़ा खुमार, महिलाएं कर रहीं अब चंद्र दर्शन का है इंतजार

इस बार सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्योहार करवाचौथ व्रत 27 अक्टूबर को किया जाएगा, इस दिन चतुर्थी तिथि रात 7.58 से शुरू हो रहा है जो 28 को शाम 6.23 तक रहेगा।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 26 Oct 2018 10:40 PM (IST) Updated:Sat, 27 Oct 2018 11:20 AM (IST)
काशी में करवाचौथ के व्रत का चढ़ा खुमार, महिलाएं कर रहीं अब चंद्र दर्शन का है इंतजार
काशी में करवाचौथ के व्रत का चढ़ा खुमार, महिलाएं कर रहीं अब चंद्र दर्शन का है इंतजार

वाराणसी (जेएनएन) । सनातन धर्म में धर्मशास्त्र के अनुसार अखंड सौभाग्य के लिए किया जाने वाला व्रत करवाचौथ का विशेष महत्व है। यह व्रत कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। करवाचौथ सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है। इस बार करवाचौथ व्रत 27 अक्टूबर को किया जाएगा। इस दिन चतुर्थी तिथि रात 7.58 से शुरू हो रहा है जो 28 को शाम 6.23 तक रहेगा। 

ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि प्रसाद द्विवेदी के अनुसार इस व्रत में चंद्र को अर्घ देने का विधान होता है। अत: चंद्र को अर्घ दान 27 को 7.58 पर दिया जाएगा। इस व्रत में शिव, शिवा, कार्तिकेय व चंद्रमा का पूजन कर कथा वाचन व अर्घ देने का प्रावधान है। नैवेद्य में घी में सेके हुए खाड़ मिला हुआ आटे का लड्डू अर्पण करना चाहिए। इस व्रत को सौभाग्यवती स्त्रियां करतीं हैं। प्रात: काल स्रान आदि करके तिथि वार व नक्षत्र का उच्चारण कर हाथ में जल, अक्षत व पुष्प लेकर संकल्प लेना चाहिए। मन में सुख सौभाग्य पुत्र, पौत्र व स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए करवाचौथ का व्रत करुंगी। उसके बाद शिव-गौरी और कार्तिकेय की मूर्ति स्थापित करके पूजन करना चाहिए। इसके बाद चंद्र को अर्घ देकर, बड़ों से आशीर्वाद लेकर भोजन ग्रहण करना चाहिए। 

बाजारों में रही रौनक, ब्यूटी पार्लर में धमक 

सुहागिनों के लिए करवाचौथ बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। इस पर्व पर महिलाएं हाथों में मेहंदी रचाकर, सोलह श्रृंगार कर पूजा-अनुष्ठान करती हैं। सुहागिन महिलाएं इस व्रत को पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं। शुक्रवार को विभिन्न बाजारों में महिलाओं ने जमकर खरीदारी की। इसमें साज-श्रृंगार व पूजा से संबंधित वस्तुओं की खरीदारी की। कुछ रंग-बिरंगी पारंपरिक व फैंसी डिजाइन की साडिय़ां खरीदारी की गई तो वहीं कई महिलाएं दोनों हाथों में मेहंदी लगाकर अपनी परंपरा और संस्कृति को बरकरार रख रही हैं। इसके अलावा कई महिलाएं पार्लर जाने में कोई देरी नहीं की। पार्लरों में प्री-बुकिंग रही। इसके अलावा मिठाइयों की दुकानों पर भी लोगों की भीड़ देखने को मिली। दरअसल इस व्रत को करने से पूर्व सरगी खाने की परंपरा है जिसे महिलाएं भोर में खाकर व्रत रखती हैं। 

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