करवा चौथ 2021 : पांच राजयोग बढ़ाएंगे सुहागिनों का अखंड सौभाग्य, रात 7:52 बजे के बाद चंद्रमा को दें अर्घ्‍य

कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। चतुर्थी तिथि शनिवार 23 अक्टूबर को मध्य रात्रि के बाद 1243 बजे से लेकर रविवार 24 अक्टूबर को मध्यरात्रि के बाद 251 बजे तक रहेगी। सुहागिन महिलाएं रात 752 बजे के बाद चंद्रमा को अर्ध्‍य देंगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 08:14 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 04:58 PM (IST)
करवा चौथ 2021 : पांच राजयोग बढ़ाएंगे सुहागिनों का अखंड सौभाग्य, रात 7:52 बजे के बाद चंद्रमा को दें अर्घ्‍य
कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य बनाए रखने के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को सुहागिन महिलाएं अपना अखंड सौभाग्य बनाए रखने के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। यह व्रत इस बार रविवार यानी 24 अक्टूबर को पड़ रहा है। करवा चौथ पति और पत्नी दोनों के लिए अपार प्रेम, त्याग, उत्सर्ग की चेतना को लेकर आता है। इस दिन सुहागिनें दिनभर निर्जल व्रत रखकर शाम को चंद्रमा से अपने अखंड सुहाग के लिए आशीष मांगती हैं।

रात 7:52 बजे के बाद चंद्रमा को दें अर्घ्‍य

काशी विद्वत परिषद के महामंत्री रामनारायण द्विवेदी के अनुसार वामन पुराण में करक चतुर्थी व्रत का उल्लेख है। यह व्रत कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। चतुर्थी तिथि शनिवार 23 अक्टूबर को मध्य रात्रि के बाद 12:43 बजे से लेकर रविवार 24 अक्टूबर को मध्यरात्रि के बाद 2:51 बजे तक रहेगी। सुहागिन महिलाएं रात 7:52 बजे के बाद चंद्रमा को अर्ध्‍य देंगी।

पांच राजयोगों की जुगलबंदी से सौभाग्यवती होंगी सुहागिनें

बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय के अनुसार इस बार का करवा चौथ बेहद खास है। पांच योगों की जुगलबंदी (शशमहापुरुष योग, उभयचरी योग, शंख योग, शुभकर्तरी योग, विमल योग) सुहागिनों के अखंड सौभाग्य को बढ़ाएंगे। इस वर्ष करवा चौथ का सूर्योदय भी सुहागिन महिलाओं के जीवन में ऊर्जा का संचार करेगा।

रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा चांद

बीएचयू के ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री के अनुसार इस बार करवाचौथ पर कई विशिष्ट संयोग बन रहे हैं। करवा चौथ का चांद इस बार रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा। इस नक्षत्र में व्रत रखना बेहद शुभफलदायी होता है। मान्यता यह भी है कि इस नक्षत्र में चंद्र दर्शन से व्रती को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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