दुनिया में चमकेगी अब जूट की कालीन, आइआइसीटी ने बनाया देश का पहला टफ्टेड व पर्सियन जूट यार्न

दरी व हैंडलूम उत्पाद के बाद अब कालीन भी जूट से बनेगी। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ कारपेट टेक्नॉलाजी (आइआइसीटी) ने जूट से देश का पहला टफ्टेड और पर्सियन कारपेट तैयार किया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 08:45 AM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 01:07 PM (IST)
दुनिया में चमकेगी अब जूट की कालीन, आइआइसीटी ने बनाया देश का पहला टफ्टेड व पर्सियन जूट यार्न
दुनिया में चमकेगी अब जूट की कालीन, आइआइसीटी ने बनाया देश का पहला टफ्टेड व पर्सियन जूट यार्न

भदोही [संग्राम सिंह]। दरी व हैंडलूम उत्पाद के बाद अब कालीन भी जूट से बनेगी। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ कारपेट टेक्नॉलाजी (आइआइसीटी) ने जूट से देश का पहला टफ्टेड और पर्सियन कारपेट तैयार किया है। यह कालीन ऊन सरीखा मुलायम है। कोई कठोरता नहीं। इसलिए इंटरनेशनल ट्रायल में सफलता मिलने के बाद यह तकनीक कई कालीन कंपनियों में आत्मसात होने जा रही है। बहुत जल्द भारत से जूट निर्मित हैंडमेड कारपेट निर्यात किया जा सकेगा। चूंकि ऊन के मुकाबले जूट यार्न (सूत या धागा) की लागत 40 फीसद तक कम है, इसलिए यह सस्ते और चमकदार कालीन के रूप में आयातकों के लिए नया विकल्प बनेगा। तकनीक को इंडियन जनरल आफ नेचुरल फाइबर्स (कोलकाता) और जनरल आफ इंस्टीट्यूशन आफ इंजीनियर्स(स्वीट्जरलैंड) ने प्रकाशित भी कर लिया है। कपड़ा मंत्रालय ने अब तकनीक के विस्तार की तैयारी कर दी है।

ऐसे तैयार हुआ जूट यार्न

दो तरह के जूट के धागे होते हैं, इसमें पहला रॉ और दूसरा वूलेनाइज्ड। रॉ में कोई केमिकल ट्रीटमेंट नहीं होता है जबकि वूलेेनाइज्ड में सोडियम हाइड्राक्साइड का केमिकल ट्रीटमेंट हुआ। फिर दोनों जूट की हाइड्रोजन पराक्साइड केमिकल से ब्लीचिंग की गई। फिर सॉफ्टरन केमिकल लक्सिल का प्रयोग हुआ। 50 डिग्री सेल्सियस के तापमान में इसे दो घंटे तक ट्रीट किया गया। इससे दोनों जूट की प्रापर्टीज की तुलना ऊन के धागे से हुई। ऐवरेजन लॉस (घर्षण हानि) निकाला गया तो यह ऊन के बराबर आई। दबाव डाला गया तो कंप्रेशर वैल्यू (दबाव मूल्य) ऊन से भी अच्छी आई।

नौ रुपये लागत घटेगी

अगर सौ रुपये का कारपेट बनता है तो उसमें 19 रुपये वूलेन मटेरियल पर खर्च होते हैं लेकिन इस तकनीक से कारपेट बनता है तो जूट मटेरियल पर मात्र 10 रुपये लागत आएगी। इस तरह प्रति सौ रुपये में नौ रुपये की बचत होगी।

जूट उत्पादन में पहले पायदान पर भारत

जूट उत्पादन में भारत दुनिया में पहले नंबर पर है। वर्ष 2016-17 में दुनिया में कुल जूट उत्पादन का 50 प्रतिशत हिस्सेदार सिर्फ भारत रहा जबकि 46 प्रतिशत बांग्लादेश। शेष चार फीसद उत्पादन में चीन, म्यांमार, नेपाल व थाईलैंड शामिल हैं।

पूर्वांचल में 150 टन जूट के धागे की खपत

जूट के थोक कारोबारी रतन सिंह का कहना है कि भदोही और मीरजापुर में प्रति माह 150 टन जूट के धागे की खपत होती है। इसकी आपूर्ति पश्चिम बंगाल से होती है। जूट की कोई कमी नहीं है। अभी दरी, बोरा, बैग, पैकेजिंग व हैंडलूम उत्पादों में ही इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। 

दो साल लगे हैं इस प्रयोग को सफल होने में

दो साल लगे हैं इस प्रयोग को सफल होने में। हस्तशिल्प के विकास आयुक्त की ओर से प्रोजेक्ट के लिये पांच लाख रुपये मिले थे। जूट की अधिक उपलब्धता को देखते हुए देश में अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

 - डा. श्रवण कुमार गुप्ता, एसिस्टेंट प्रोफेसर, आइआइसीटी, भदोही

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