गाजीपुर में बैल चोरी के मामले में 35 साल बाद आया फैसला, चार गवाहों को किया पेश

गाजीपुर के अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी घनश्याम शुक्ला की अदालत ने शुक्रवार को बैल चोरी के 35 साल पुराने मामले में दो को पांच साल की कैद व 10-10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। दोनों तरफ की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने फैसला सुनाया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 07:48 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 07:48 PM (IST)
गाजीपुर में बैल चोरी के मामले में 35 साल बाद आया फैसला, चार गवाहों को किया पेश
बैल चोरी के 35 साल पुराने मामले में कोर्ट ने दंडित किया है।

जागरण संवाददाता, गाजीपुर। अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी घनश्याम शुक्ला की अदालत ने शुक्रवार को बैल चोरी के 35 साल पुराने मामले में दो को पांच साल की कैद व 10-10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है।

गहमर थाना क्षेत्र के मनिया निवासी एजाज खां ने तहरीर दी थी कि दो मई 1986 को आधी रात में खड़खड़ाहट की आवाज पर उसकी नींद खुल गई। टार्च की रोशनी में देखा कि उसी के गांव के असलम खां, असरफ खां, नसीम खां व जमील खां उसके दो बैल को खोल कर ले जा रहे थे। उनके हाथों में बंदूक व कट्टा भी था। इसके कारण शोर नहीं किया। तहरीर पर आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ और विवेचना उपरांत पुलिस ने आरोपितों के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र प्रेषित किया। दौरान विचारण आरोपित असलम खां व जमील खां की मृत्यु हो गई। विचारण के दौरान अभियोजन की तरफ से सहायक अभियोजन अधिकारी आशीष कुमार ने कुल चार गवाहों को पेश किया। दोनों तरफ की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने उपरोक्त फैसला सुनाया।

हत्या का मुकदमा दर्ज, मामा को भेजा गया जेल

गहमर थाना क्षेत्र के बारा गांव में गुरुवार को नींद में खलल पड़ने पर वहशी नशेड़ी मामा ने भांजे नादियाल को चाकू से मौत के घाट उतारा था। शुक्रवार को पुलिस ने आरोपित मामा को जेल भेज दिया। मृतक के चाचा की तहरीर पर पुलिस ने मामा अमजद खां के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया। घटना में प्रयुक्त चाकू को बरामद कर लिया गया है। उधर, मुंबई से सीधे पहुंचा पिता अमजद अपने इकलौते पुत्र की मौत से पोस्टमार्टम हाउस पर बिलख पड़ा। घटना के दूसरे दिन भी गांव में मातमी सन्नाटा पसरा रहा। पहले दिन जहां लोग सांत्वना देने में लगे रहे वहीं दूसरे दिन शुक्रवार की सुबह घर पर ताला लगा होने के कारण वापस लौट गए। हादसे के बाद सभी दानियाल के घर मिर्चा चले गए। दरअसल, दानियाल के पिता दस दिन पूर्व मुंबई गए हुए थे। वे विदेश में नौकरी करते हैं। दो वर्ष पूर्व मिर्चा गांव स्थित अपने घर आए तब तक कोरोना महामारी फैल गई और वह विदेश नहीं जा सके थे। हालात काबू में होने के बाद वह पुनः विदेश जाने की सिलसिले में मुंबई गए हुए थे। हालांकि, घटना की जानकारी मिलते ही वे मुंबई से चल दिए। शुक्रवार को अपने इकलौते पुत्र के शव से लिपट कर रोने लगे तो सभी की आंखें नम हो गईं।

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