वाराणसी में जन औषधि स्टोर पर छूट काफी पर दवाएं नाकाफी, डॉक्टर लिखते हैं सिर्फ ब्रांडेड दवाई

डॉक्टर भी जन औषधि केंद्र में उपलब्ध दवाएं कम ही लिखते हैं। वैसे इन अस्पतालों में मुफ्त में दवाएं उपलबध हैं। बावजूद इसके यहां के तमाम डॉक्टर कुछ ऐसी भी दवाएं लिखते हैं जो बाहर मिले और वह भी महंगी ब्रांडेड।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 06:30 AM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 11:47 AM (IST)
वाराणसी में जन औषधि स्टोर पर छूट काफी पर दवाएं नाकाफी, डॉक्टर लिखते हैं सिर्फ ब्रांडेड दवाई
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र , मंडलीय अस्पताल , कबीर चौरा।

वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर जिले के कई क्षेत्रों में जन औषधि स्टोर खोली गई है। ताकि गरीब मरीजों को सस्ती एवं सुलभ दवाएं मिल सके। इन स्टोर पर 50 से 90 फीसद की छूट के साथ दवाएं मिल रही है। हालांकि मरीजों को एक बात का मलाल है कि सभी दवाएं यहां पर नहीं मिल रही है। अगर एम्स नई दिल्ली का दर्जा प्राप्त कर चुके चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल की बात की जाए तो यहां की स्थिति जन औषधि को लेकर ठीक नहीं है। लंका पर एक स्टोर है। यहां पर बीएचयू के डॉक्टरों द्वारा लिखे महज 80 से 100 पर्चे ही आते हैं, जबकि सामान्य दिनों की ओपीडी में एक दिन में सात हजार से अधिक मरीज आते हैं। इससे पता चलता है कि बीएचयू के डॉक्टर सरकार की इस योजना को धता बताते हुए सिर्फ ब्रांडेड दवाएं लिखने में ही भलाई समझते हैं। हालांकि यह स्थिति सिर्फ बीएचयू ही नहीं बल्कि शहर के अन्य बड़े अस्पतालों यथा - कबीरचौरा एवं पांडेयपुर के डॉक्टर भी जन औषधि केंद्र में उपलब्ध दवाएं कम ही लिखते हैं। वैसे इन अस्पतालों में मुफ्त में दवाएं उपलबध हैं। बावजूद इसके यहां के तमाम डॉक्टर कुछ ऐसी भी दवाएं लिखते हैं जो बाहर मिले और वह भी महंगी ब्रांडेड। गरीबों को राहत प्रदान करने वाले कुछ जन औषधि स्टोर की दैनिक जागरण की टीम ने गुरुवार को पड़ताल की।

बीएचयू सर सुंदरलाल अस्पताल के पास लंका-बरेका रोड पर पीपल के पेड़ के पास स्थित जनऔषधि केंद्र पर ग्राहक ठीकठाक आ रहे थे। केंद्र के फार्मासिस्ट लक्ष्मीकांत का कहना था कि उनके यहां छोटी बीमारियों की सभी दवाएं उपलब्ध हैं। उन पर 90 फीसद तक छूट भी है। बड़ी बीमारियों में कैंसर की दवाएं उपलब्ध हैं। कैंसर का इंजेक्शन जेनेरिक में मात्र 760 रुपये में मिलता है। वहीं ब्रांडेड के नाम पर अन्य दुकानों में इसे करीब सात हजार रुपये में बेचा जाता है। उनके यहां रोजाना 80 से 100 तक पर्चे बीएचयू से आते हैं।

यहां दवा लेने पहुंचे संजय कुमार ने बताया कि जन औषधि केंद्र खुलने से बहुत राहत है। दवाएं सस्ती मिल जाती हैं। हालांकि अक्सर ही डॉक्टर महंगी दवाएं ही लिख रहे हैं, जो जन औषधि केंद्र पर नहीं मिल पाती है। अगर जेनेरिक दवा ली भी तो डॉक्टर नाराज हो जाते हैं।

रामनगर स्थित लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के परिसर में मरीजों की सुविधा के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोला गया है। यहां से मरीजों को जेनेरिक व आयुर्वेदिक दवाएं सस्ते दामों पर उपलब्ध होती हैं। फार्मासिस्ट बृजेश पांडेय ने बताया कि औषधि केंद्र पर लगभग 300 से ज्यादा दवाएं  हैं। इनमें सर्दी, बुखार, खांसी, शुगर  व ब्लड प्रेशर सहित अन्य आवश्यक दवाएं शामिल हैं। बाजार में मिलने वाली दवाओं की तुलना में लगभग 50 से 90 फीसद तक सस्ती हैं। अस्पताल परिसर में बैठने वाले डॉक्टरों द्वारा लिखी जाने वाली हर प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं। हालांकि ज्यादातर डॉक्टर खुद यहां की दवा लेने से मना करते हैं। एक दिन में ओपीडी में लगभग 500 मरीजों को देखा जाता है लेकिन 50 के आसपास पर्ची आती है। औषधि केंद्र पर ब्रांडेड दवाएं नहीं बेची जाती हैं।

कबीरचौरा अस्पताल परिसर स्थित प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में दवाएं तो उपलब्ध हैं लेकिन फार्मासिस्ट राजेश यादव का दर्द है कि डॉक्टर सिर्फ ब्रांड नाम लिखकर ही भेजते है। इससे मरीजों को सस्ती दवा का लाभ नहीं मिल पाता है। ब्रांडेड दवाएं दूसरी दुकानों पर महंगी मिलती है। डॉक्टर पूरी ईमानदारी से दवा लिखें तो गरीब जनता को लाभ मिलेगा।

पहडिय़ा जन औषधि केंद्र के फार्मासिस्ट अजय कुमार का कहना है कि जन औषधि केंद्र में सूचीबद्ध 1750 दवाओं में से सिर्फ 350 ही  उपलब्ध हैं। हार्ट, बीपी, शुगर, एंटी बायोटिक लगभग सभी दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन कैंसर जैसी बीमारियों की दवा वे नहीं रखते है। कारण कि उनके यहां कैंसर की दवा बिक्री नहीं हो पाती। जिन दवाइयों की मांग होती है वे रखी जाती है। इंजेक्शन की बिक्री नहीं होती है। बाकी रोजमर्रा में बिकने वाली सभी दवाइयां उपलब्ध है। जन औषधि केंद्र में बिकने वाली सभी दवाईयां भारत सरकार द्वारा निर्धारित कंपनियों की है। वे अपने मन से नहीं बेच सकते है।

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