वाराणसी में जल निगम : आरोप और स्पष्टीकरण में कार्यकाल बीता, भूगर्भ जल दोहन बरकरार

भूगर्भ जल दोहन को रोकने के लिए एक दशक पूर्व बनी गंगा आधारित योजना अब तक मूर्तरूप नहीं ले सकी। बसपा के बाद सपा और अब भाजपा की सरकार का भी कार्यकाल बीत गया लेकिन आरोप और स्पष्टीकरण के आगे पेयजल परियोजना नहीं बढ़ सकी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 11:33 AM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 11:33 AM (IST)
वाराणसी में जल निगम : आरोप और स्पष्टीकरण में कार्यकाल बीता, भूगर्भ जल दोहन बरकरार
वाराणसी में जल निगम : आरोप और स्पष्टीकरण में कार्यकाल बीता

वाराणसी, जागरण संवाददाता। भूगर्भ जल दोहन को रोकने के लिए एक दशक पूर्व बनी गंगा आधारित योजना अब तक मूर्तरूप नहीं ले सकी। बसपा के बाद सपा और अब भाजपा की सरकार का भी कार्यकाल बीत गया लेकिन आरोप और स्पष्टीकरण के आगे पेयजल परियोजना नहीं बढ़ सकी। बसपा व सपा सरकार में हुई धांधली का दुष्परिणाम है कि अब भी शहर में भूगर्भ जल दोहन बरकरार है। बीते पांच साल में भी व्यवस्था नहीं सुधरी। एक बाद एक करीब दो दर्जन से अधिक मिनी नलकूप भी स्थापित हो गए।

शहर के रहनवारों के लिए हर घर गंगा जल उपलब्ध कराने की मंशा से जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्युअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत दो परियोजनाएं बनाई गईं। वरुणा नदी को आधार बनाकर उस पार की परियोजना का नाम ट्रांस वरुणा तो पुराने शहर के हिस्से को सिस वरुणा नाम दिया गया। ट्रांस वरुणा पेयजल परियोजना की जिम्मेदारी निजी कंपनी मेघा को दी गई जो अब तक ट्रायल कर रही है तो सिस वरुणा पेयजल परियोजना की जिम्मेदारी जल निगम ने खुद उठाई। यह परियोजना धांधली की भेंट चढ़ गई। इसे जनोपयोगी बनाने के लिए फिर से डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की गई। नई कार्रवाई इसी डीपीआर को लेकर हुई है। इसे अपूर्ण बनाने का आरोप लगाते हुए तत्कालीन अधिशासी अभियंता अंकुर श्रीवास्तव पर कार्रवाई हुई है। उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। हालांकि, इस मामले में शासन स्तर के अफसरों को जल निगम के स्थानीय अफसरों ने गलत जानकारी दी है। अंकुर श्रीवास्तव ने धांधली को दुरुस्त करने के लिए दो प्रोजेक्ट बनाए थे जिसे तीन हिस्से में बांटा गया था। पहला दो हिस्सा टंकी तक पानी पहुंचाने के लिए बनाया गया जिसके लिए 108 व सात करोड़ का बजट निर्गत हुआ है। वहीं, 40 करोड़ रुपये घर-घर तक पानी पहुंचाने वाली पाइप लाइन को दुरुस्त करने के लिए बनाया गया था जिसका जिक्र शासन स्तर के अफसरों से जल निगम के अफसरों ने नहीं किया। इसका दुष्परिणाम हुआ कि यह प्रस्ताव अब भी ठंडे बस्ते में पड़ा है।

115 करोड़ से होगी धांधली दुरुस्त

पूर्व की बसपा व सपा सरकार में प्रस्तावित पेयजल योजना में हुई धांधली के लीकेज को दुरुस्त किया जाएगा। इसकी शुरुआत दीपावली से हो गई है। शासन स्तर से 108 करोड़ रुपये पास हुआ है। सात करोड़ के बजट से पेयजल योजना के डैमेज पाइप, लीकेज, गड़बड़ बूस्टर व पंप आदि दुरुस्त किया जा रहा है। वहीं, निर्गत 108 करोड़ के बजट से भदैनी में लगे लिफ्टिंग पंप की क्षमता 250 एमएलडी किया जाएगा। वर्तमान में यह क्षमता 140 एमएलडी है। इसके अलावा भेलूपुर में स्थापित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता को भी बढ़ाया जाएगा। पुराने पंपों को बदलकर नए पंप लगाए जांएगे। इसके अलावा ट्रांस वरुणा में नलकूपों को बंद कर गंगा आधारित पेयजल योजना को पूर्ण कर लिया जाएगा।

466 किमी लंबी वितरण प्रणाली

सिस वरुणा इलाके में 466 किमी लंबे वितरण प्रणाली को दुरुस्त करना है। इस कार्य के लिए पूर्व की सपा सरकार में हुई धांधली से लीकेज अब तक दूर नहीं हुए। इतनी लंबी पाइप लाइन कार्य के लिए चार सौ ठेकेदारों को जिम्मेदारी दी गई जिन्होंने मनमाना कार्य किया। लिहाजा, पाइप लाइन में गैप हो गया जो अब तक नहीं भरा जा सका है।

ऐसे बनी थी पेयजल योजना

जेएनएनयूआरएम के तहत गंगा जल स्रोत से नगर में प्राथमिकता वाली तीन परियोजनाएं बनाई गईं जिसकी स्वीकृति अक्टूबर 2008 में मिली। तीनों परियोजनाओं का अनुमानित बजट करीब 700 करोड़ रुपये था। ट्रांस वरुणा के लिए करीब 209 करोड़ रुपये व सिस वरुणा के लिए करीब 227 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित हुआ। वहीं, 50 हजार नए कनेक्शन व एक लाख 58 हजार घरों में वाटर मीटर लगाने के लिए करीब 111 करोड़ रुपये का बजट तय हुआ। ट्रांस व सिस वरुणा की परियोजना वर्ष 2010 में प्रारंभ हो गई जिसे दो साल के अंदर पूरा करना था लेकिन नहीं हो सका।

नगरीय पेयजल परियोजना

-03 चरणों में बना प्रोजेक्ट

-1000 करोड़ की लागत

-32 ओवरहेड टंकियां वरुणापार

-17 ओवरहेड टंकियां शहर में

-100 एमएलडी का सारनाथ में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट

-50 हजार घरों में नया कनेक्शन व मीटर स्थापना

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