बीएचयू में इस साल शुरू होगी आइवीएफ यूनिट, पूर्वांचल के साथ बिहार व अन्य राज्यों के लिए वरदान होगी यूनिट

बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल चिकित्सालय में इस साल आइवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) सेंटर खुलेगा। इसके लिए एमसीएच (मदर एंड चाइल्ड हेल्थ) विंग में प्रयोगशाला बनाए जाने का निर्णय लिया गया है। सेंटर के लिए मानव संसाधन एवं उपकरण की व्यवस्था के लिए भी पहल शुरू हो गई है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 06:50 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 12:39 PM (IST)
बीएचयू में इस साल शुरू होगी आइवीएफ यूनिट, पूर्वांचल के साथ बिहार व अन्य राज्यों के लिए वरदान होगी यूनिट
बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल चिकित्सालय में इस साल आइवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) सेंटर खुलेगा।

वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू स्थित सर सुंदरलाल चिकित्सालय में इस साल आइवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) सेंटर खुलेगा। इसके लिए एमसीएच (मदर एंड चाइल्ड हेल्थ) विंग में प्रयोगशाला बनाए जाने का निर्णय लिया गया है। सेंटर के लिए मानव संसाधन एवं उपकरण की व्यवस्था के लिए भी पहल शुरू हो गई है। इस सेंटर के खुलने से बांझपन से निराश हो चुके दंपतियों की गोद में भी किलकारियां गूंजेंगी जिसके लिए उन्हें निजी सेंटरों में लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। बीएचयू में यह सुविधा 60-70 हजार रुपये में ही उपलब्ध होगी।

तनावपूर्ण लाइफ स्टाइल, कॅरियर के लिए आपाधापी, देर से शादी एवं काफी लंबे समय तक फैमिली प्लानिंग न कर पाना आगे चलकर मुश्किल खड़ा कर देता है। ऐसी स्थिति में महिलाओं से लेकर पुरुषों तक में इंफर्टिलिटी की समस्या पैदा हो जाती है। इसके कारण लोग हताश होकर इधर-उधर भागदौड़ करने लगते हैं। इसी का लाभ लेकर निजी संस्थान लाखों रुपये तक ले लेते हैं। इसकी वजह यह भी है कि पूर्वांचल के किसी सरकारी अस्पताल में आइवीएफ की सुविधा नहीं है। बीएचयू प्रशासन ने एमएसीएच विंग में आइवीएफ यूनिट बनाने की सहमति प्रदान की है, लेकिन इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कोई राशि नहीं देने वाला है। विभागीय स्तर पर ही इसकी पहल की गई है। विभागाध्यक्ष प्रो. उमा पांडेय ने बताया कि आइवीएफ यूनिट बनाने के लिए संस्थान को प्रस्ताव दिया जा चुका है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

ऐसे होती है आइवीएफ की प्रक्रिया

आइएमएस-बीएचयू के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रो. संगीता राय बताती हैं आइवीएफ संतानहीनता से जूझ रहे दंपतियों के लिए कारगर इलाज है। इसके तहत स्त्री के शरीर से एग्स निकालकर प्रयोगशाला में उनका मेल पति के स्पम्र्स से कराया जाता है। प्रक्रिया के तहत पीरियड्स के दूसरे दिन से स्त्री को ऐसे इंजेक्शन दिए जाते हैं जिससे उसके शरीर में एक से ज्यादा अंडे का विकास किया जा सके। इसके बाद सोनोग्राफी की मदद से यह जांच की जाती है कि अंडे परिपक्व हुए या नहीं। परिपक्व होने पर इन्हेंं निकाल लिया जाता है। अंडे निकालने से कुछ घंटे पहले स्त्री के पति के सीमेन से कुछ अच्छी गुणवत्ता वाले स्पम्र्स को अलग कर उन्हेंं अंडे से मिलाकर कल्चर डिश में डाल दिया जाता है। फिर यह डिश इनक्यूबेटर में सुरक्षित रख दी जाती है। निषेचन की प्रक्रिया से बने भ्रूण (एम्ब्रियो) को चार कोशिकाओं के स्तर तक प्रयोगशाला में रखा जाता है। लगभग दो से पांच दिन में स्त्री के यूट्रस में प्रत्यारोपित किया जाता है। गर्भधारण की इस प्रक्रिया के पूर्ण होने के दो हफ्ते बाद स्त्री का प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाकर यह सुनिश्चित किया जाता है कि भ्रूण ने सही विकास आरंभ किया है या नहीं। गर्भधारण की शुरुआत में ही हार्मोंस दिए जाते हैं, ताकि भ्रूण का सही ढंग से विकास हो सके और गर्भपात की आशंका न हो।

मैन पावर एवं अन्य संसाधन मुहैया कराने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई है

यहां पर आइवीएफ यूनिट की बहुत जरूरत है। इसे ध्यान में रखते हुए सर सुंदरलाल अस्पताल के अधिकारियों एवं चिकित्सकों से बात की गई है। मैन पावर एवं अन्य संसाधन मुहैया कराने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इसके साथ पूरी एमसीएच विंग को भी जल्द शुरू करने का भी प्रयास किया जा रहा है।

-प्रो. बीआर मित्तल, निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू

chat bot
आपका साथी