आइएसआइ एजेंट राशिद अहमद मौसी की लड़की से करता था प्‍यार, इसलिए अक्‍सर जाता था पाकिस्‍तान

राशिद की मां ने बेटे को बेकसूर बताते हुए कहा कि मेरा बेटा अपनी मौसी की लड़की से प्यार करता था। यही कारण है कि पाकिस्तान जाता रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 22 Jan 2020 08:54 PM (IST) Updated:Wed, 22 Jan 2020 10:12 PM (IST)
आइएसआइ एजेंट राशिद अहमद मौसी की लड़की से करता था प्‍यार, इसलिए अक्‍सर जाता था पाकिस्‍तान
आइएसआइ एजेंट राशिद अहमद मौसी की लड़की से करता था प्‍यार, इसलिए अक्‍सर जाता था पाकिस्‍तान

वाराणसी, जेएनएन। एटीएस और मिलिट्री इंटेलीजेंस की गिरफ्त में आए चंदौली निवासी आइएसआइ एजेंट राशिद अहमद प्रकरण में पुरानी खबरें भी चौंकाने वाली हैं। वैसे बुधवार को तीसरे दिन कोई खास राज की बात सामने नहीं आई। लेकिन, उसके और उस क्षेत्र के कारनामे अब लोगों की जुबान पर हैं। हर ओर यही चर्चा रही है कि राशिद पाकिस्तान में बैठे आइएसआइ हैंडलर के सीधे संपर्क में था और पैसों व गिफ्ट के बदले में उनको सैन्य ठिकानों का पता, फोटो व अन्य जानकारी भेजता था। वहीं तीसरे दिन राशिद के घर सन्नाटा पसरा रहा।

मां बोली, मेरा बेटा बेकसूर

राशिद की मां ने बेटे को बेकसूर बताते हुए कहा कि मेरा बेटा अपनी मौसी की लड़की से प्यार करता था। यही कारण है कि पाकिस्तान जाता रहा है। राशिद के साथ बोर्ड लगाने का काम करने वाले दोस्त ने कहा कि हर कोई इसी के बारे में पूछ रहा है, जिसके चलते काम पर भी बहुत साथी नही जा रहे हैं। आस-पड़ोस के लोग राशिद की इस करतूत से शर्मिंदा हैं। वहीं लखनऊ में रिमांड के दौरान राशिद से लगातार पूछताछ जारी है।

एटीएस ने चंदौली की सीमा से सटे जिस इलाके से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के एजेंट राशिद अहमद को गिरफ्तार किया है, वह इलाका पहले भी सुर्खियों में था।

बनता था फर्जी पासपोर्ट

दरअसल यहां पर झुग्गी-झोपड़ी डाल कर रहने वालों की संख्या हजारों में हैं। यहां से बांग्लादेशियों का फर्जी पासपोर्ट तैयार कर खाड़ी देशों में भेजने वाले रैकेट का सनसनीखेज खुलासा हुआ था। लगभग दस बांग्लादेशियों को भी गिरफ्तार किया गया था। वहीं तीसरे दिन भी एटीएस ने राशिद से पूछताछ की और कई अहम जानकारी सामने आई है।

बीट सिपाही को 10 हजार की पेशकश

जून 2017 में चंदौली सूजाबाद से सटे क्षेत्र में रहने वाले एक अल्पसंख्यक ने पासपोर्ट की जांच रिपोर्ट लिखने की खातिर बीट के सिपाही को दस हजार की पेशकश की तो वह सकते में रह गया। मामला इंस्पेक्टर के बाद तत्कालीन एसपी संतोष कुमार सिंह के संज्ञान में आया तो उन्होंने गोपनीय जांच कराई। पता चला कि बांग्लादेशियों को खाड़ी के देशों में सीधे काम नहीं मिलता जबकि भारतीय को आराम से नौकरी मिल जाती है। इस पर एक गिरोह ने पड़ाव के आसपास स्थित अलग-अलग गावों के प्रधानों के पैड पर लिखवाकर तहसील से निवास प्रमाण पत्र बनवाए। इसके बाद आधार और मतदाता पहचान पत्र बनवा लिया गया। इन दोनों के बनने के बाद पासपोर्ट के लिए आवेदन हो जाता था। दर्जनों की संख्या में फर्जी पासपोर्ट का उजागर हुआ और कई लोग गिरफ्तार किए गए थे।

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