Iodine Deficiency Disorder Prevention Day: शिशु के दिमाग के विकास के लिए आयोडीन जरूरी

आयोडीन सूक्ष्म पोषक तत्व है जो कि शरीर की वृद्धि व विकास के साथ ही बहुत से हार्मोन व एंजाइम के निर्माण के लिए आवश्यक है। आयोडीन बढ़ते शिशु के दिमाग के विकास व थायराइड ग्रंथि के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए अनिवार्य है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 07:52 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 07:52 AM (IST)
Iodine Deficiency Disorder Prevention Day: शिशु के दिमाग के विकास के लिए आयोडीन जरूरी
आयोडीन सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो कि शरीर की वृद्धि व विकास के लिए आवश्यक है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। आयोडीन सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो कि शरीर की वृद्धि व विकास के साथ ही बहुत से हार्मोन व एंजाइम के निर्माण के लिए आवश्यक है। आयोडीन बढ़ते शिशु के दिमाग के विकास व थायराइड ग्रंथि के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए अनिवार्य है। यानी आयोडीन का भ्रूण के मानसिक विकास से वृद्ध के शारीरिक विकास क्रम तक महत्वपूर्ण योगदान है। आयोडीन की कमी से बच्चों में बौद्धिक एवं शारीरिक विकास ठीक से नहीं हो पाता है। 2020 में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 350 मिलियन लोग अल्प मात्रा में आयोडीन युक्त नमक का सेवन करते हैं, जिसके कारण आयोडीन अल्पता विकार से संबंधित बीमारी उपन्न होती है। इसके प्रति जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 21 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस यानी विश्व आयोडीन अल्पता दिवस मनाया जाता है।

चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के डा. अजय कुमार ने बताया कि विश्व आयोडीन अल्पता दिवस का उद्देश्य लोगो को आयोडीन के पर्याप्त उपयोग के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना व आयोडीन की कमी के परिणामों के बारे में बताना है। साथ ही मानव शरीर में आयोडीन के महत्व को सिखाने और समझाने के लिए आयोडीन की कमी के विकार के लिए लक्षणों और निवारक उपायों को भी बताया जा रहा है। इस दिवस के मामध्य से घरेलू उपायों के रूप में आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों की पहचान करने व लोगों को उन्हें अपने आहार में शामिल करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

आयोडीन की कमी से हो सकती है ये समस्याएं

-थायाइड ग्रंथि का ठीक से काम नहीं करना, जिसे हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है।

- मानसिक रोग जैसे मंदबुद्धि, मानसिक मंदता, बच्चों में संज्ञानात्मक विकास ठीक से नहीं होना।

- तंत्रिका-पेशी व स्तैमित्य (मांसपेशियों की जकड़न) जैसे रोग हो सकते हैं।

-गर्भवती महिलाओं में स्वतः गर्भपात या जन्मजात विकृति, बहरा-गूंगापन (बात करने में असमर्थता) व बौनापन।

ऐसे दूर करें आयोडीन की कमी

- आयोडीन शरीर के अंदर उत्पन्न नहीं होता है। इसलिए इसे नियमित रूप से भोजन के रूप में सेवन किया जाना चाहिए। एक पूर्ण विकसित वयस्क को मस्तिष्क और शरीर को ठीक से काम करने के लिए शरीर में प्रत्येक दिन 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है।

- आयोडीन का सबसे सामान्य स्रोत नमक है। बाजार से आयोडीन युक्त नमक लेकर उसका प्रयोग करना चाहिए।

- आयोडीन युक्त कुछ अन्य खाद्य प्रदार्थ जैसे: दूध, अंडा का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए।

- समुद्री मछली, समुद्री भोजन, मांस इत्यादि आयोडीन से भरपूर होते हैं, जिसे दैनिक भोजन में शामिल कर सकते हैं।

- मूली, गाजर, टमाटर, पालक आदि सब्जियों में अल्प मात्रा में आयोडीन पाया जाता है।

- केला, स्ट्राबेरी फलों में भी आयोडीन पाया जाता है।

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