International Ghats Walk : वाराणसी में घाट की सीढिय़ों पर सजेगा घुमक्कड़ों का मेला

अपने अनूठे अंदाज और मिजाज के लिए पहचानी जाने वाली काशी में उत्सव- आयोजन भी अलबेले ही होते हैं। गंगा किनारे घूमते-टहलते अंतरराष्ट्रीय घाट वाक विश्वविद्यालय बना लिया। अब 31 जनवरी को विश्वविद्यालय का है सालाना उत्सव मनाने की तैयारी है। इसे पांच घाटों पर संयोजित किया गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 10:45 AM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 10:45 AM (IST)
International Ghats Walk : वाराणसी में घाट की सीढिय़ों पर सजेगा घुमक्कड़ों का मेला
गंगा किनारे घूमते-टहलते अंतरराष्ट्रीय घाट वाक विश्वविद्यालय बना लिया।

वाराणसी, जेएनएन। अपने अनूठे अंदाज और मिजाज के लिए पहचानी जाने वाली काशी में उत्सव- आयोजन भी अलबेले ही होते हैं। कुछ ऐसे ही बनारसी घुमक्कड़ों ने इसे संगठित रूप देते हुए संस्था का गठन किया। गंगा किनारे घूमते-टहलते अंतरराष्ट्रीय घाट वाक विश्वविद्यालय बना लिया। अब 31 जनवरी को विश्वविद्यालय का है सालाना उत्सव मनाने की तैयारी है। इसे पांच घाटों पर संयोजित किया गया है।

संस्थापक प्रो. वीएन मिश्रा के अनुसार दोपहर एक बजे रीवा घाट पर मानविकी एवं भाषा संकाय के संयोजन में उद्घाटन सत्र होगा। इसमें वशिष्ठ अनूप, ओम धीरज, सरफराज आलम और डा. रचना शर्मा काव्य गंगा को प्रवाह देंगी। मानसरोवर घाट पर 2.30 बजे पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी संकाय के संयोजन में मुक्ति महिला सर्जनात्मकता व घाटवाक संस्कृति पर मंथन होगा। संगीत एवं मंच कला संकाय की ओर से 2.30 बजे सिंधिया घाट पर कथक के भाव सजेंगे। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विज्ञान संकाय की ओर से शक्का घाट पर कोरोना समय: नियम एवं स्वास्थ्य पर चर्चा की जाएगी। समापन सत्र अनुभव और उम्मीद चार बजे से भैंसासुर घाट पर शुरू होगा। इसमें प्रो. अरविंद जोशी, सुदामा तिवारी ऊर्फ सांड़ बनारसी, अरूण श्रीवास्तव, डा. मनीष अरोड़ा, मिथिलेश साहनी आदि होंगे।

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