अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस : बुढ़ापा नहीं आएगा पास अगर बना रहेगा आयुर्वेद संग साथ
एक अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया जाता है। अगर हम बुजुर्गों की सेहत के लिए बेहतर खानपान और आयुर्वेद का चिकित्सा में प्रयोग करें तो बुजुर्गियत भी कोसों दूर रहेगी। आज की भागदौड़ भरे जीवन में समयाभाव के कारण कोई भी अपने शरीर का ध्यान नही रख पाता है।
वाराणसी, जेएनएन। एक अक्टूबर को प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस (International Day of Older Persons) मनाया जाता है। अगर हम बुजुर्गों की सेहत के लिए बेहतर खानपान और आयुर्वेद का चिकित्सा में प्रयोग करें तो बुजुर्गियत भी कोसों दूर रहेगी। आज की भागदौड़ भरे जीवन में समयाभाव के कारण कोई भी अपने शरीर का ध्यान नही रख पाता है। अत्यधिक चिंता और काम के कारण समय से पहले ही बुढापा आने लगता है। लोगों की हड्डियां, देखने की क्षमता जल्दी ही कम हो जाते है। पुरुष के स्वास्थ्य की रक्षा तथा रोगी के विकार का प्रशमन करना आयुर्वेद का मुख्य प्रयोजन है। आयुर्वेद के सिद्धांत सदैव इस बात पर जोर देते है की बीमारी होने ही ना पाए। ठीक इसी अवधारणा के अनुसार कुछ ऐसे उपाय है जिससे हम जल्दी आने वाले बुढ़ापे से बच सकते है।
वाराणसी में चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के डॉ. अजय कुमार ने दैनिक जागरण को बताया कि आयुर्वेद में बताया गया है कि प्रत्येक दस वर्ष के अन्तराल पर बाल्य, वृद्धि, छवि, मेधा, त्वचा, दृष्टि, शुक्र और बल, बुद्धि और कर्मेन्द्रीय का क्षय होता है। इस सिद्धांत के अनुसार छठे दशक के बाद शरीर में बुढ़ापे के लक्षण शुरू होते है परंतु देखने में ऐसा आता है कि 40 साल का होते होते लोगों में बुढ़ापे के लक्षण दिखने लगते हैं। आयुर्वेद में इससे बचने के लिए रसायन चिकित्सा यानी (geriatric medicine) का विस्तार से वर्णन किया गया है।
क्या है रसायन चिकित्सा?
रसायन चिकित्सा या जरा चिकित्सा, आयुर्वेद के आठ अंगों में से एक है। आयुर्वेद के अनुसार जो जरा (बुढ़ापा) और रोगों को नष्ट करे उसे रसायन कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार सात धातु (रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र) का सार ‘ओजस्’ कहलाता है। उत्तम गुणों से युक्त रस, रक्त आदि सात धातुओं को प्राप्त करने के जो उपाय है, उन्हें रसायन कहते हैं। रसायन शब्द रस आयन से मिलकर बना है। इसका साधारण अर्थ है, रस प्राप्ति का मार्ग। रसायन न केवल रोगनाशक है अपितु स्वास्थ्य रक्षक भी है।
रसायन सेवन से क्या लाभ होते हैं?
आचार्य चरक के अनुसार रसायन योगों के सेवन से निम्न लाभ प्राप्त होते हैं-
1. दीर्घ जीवन
2. स्मरण शक्ति एवं बुद्धि
3. वृद्धि
4. आरोग्य
5. तरुण वय (वृद्धावस्था में भी युवा जैसा)
6. शरीर व इंद्रियो में उत्तम बल की प्राप्ति
7. वाक सिद्धि
8. कांति तेज
9. एवं सुरीला स्वर आदि गुणों की प्राप्ति होती है
कौन कौन से रसायन के नियमित सेवन से वृद्धावस्था को रोक सकते हैं-
रसायन सेवन केवल उत्तम बल शक्ति एवं यौवन प्राप्त करने के लिए ही नहीं है बल्कि इससे मनुष्य को हर स्तर पर (शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक) लाभ पहुंचता है। नीचे कुछ रसायन द्रव्य बता रहे हैं जिससे आप जरा और रोग दोनों से बच सकते हैं।
1. प्रतिदिन देशी घी और गोदुग्ध का सेवन करना चाहिए।
2. आमलकी का सेवन नित्य करना चहिये। इसे वयःस्थापन यानी युवावस्था को बनाये रखने वाले द्रव्यों में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है।
3. हरीतकी के सेवन से लाभ मिलता है।
4. अश्वगंधा का सेवन नियमित रूप से दूध के साथ करने से बल, बुद्धि और ओज की वृद्धि होती है।
5. अमृता यानी गुडूची सर्वत्र पायी जाने वाली औषधि है और एक श्रेष्ठ रसायन है। यह इम्युनिटी को मजबूत करता है जिससे रोग जल्दी नही होते है।
6. ब्राम्ही रसायन एक उत्कृष्ट रसायन है जो मन और बुद्धि के लिए लाभदायक होता है। इसके प्रयोग से स्मृति तेज़ होती है और मानसिक विकार नही होते है।
7. च्यवनप्रश भी श्रेष्ठ रसायन है। केवल इसी के सेवन से भी यौवन को बनाये रखा जा सकता है।
8. कपिकछु और शतावरी का दूध के साथ सेवन करने से जरावस्था जन्य रोग जैसे पार्किंसन और अल्ज़ाइमर्स होने का खतरा बाहर कम हो जाता है।