वाराणसी में बेटी की मौत मामले में पं. छन्नूलाल मिश्र के घर लखनऊ से पहुंची नौ सदस्यीय जांच टीम

पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र की बड़ी बेटी संगीता मिश्रा की मौत के प्रकरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गठित जांच कमेटी टीम के नौ अधिकारी गुरुवार को लखनऊ से वाराणसी पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने सीएमओ दफ्तर के डॉ. पीयूष राय संपर्क किया।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 11:50 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 11:50 PM (IST)
वाराणसी में बेटी की मौत मामले में पं. छन्नूलाल मिश्र के घर लखनऊ से पहुंची नौ सदस्यीय जांच टीम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गठित जांच कमेटी टीम के नौ अधिकारी गुरुवार को लखनऊ से वाराणसी पहुंचे।

वाराणसी, जेएनएन। पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र की बड़ी बेटी संगीता मिश्रा की मौत के प्रकरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गठित जांच कमेटी टीम के नौ अधिकारी गुरुवार को लखनऊ से वाराणसी पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने सीएमओ दफ्तर के डॉ. पीयूष राय संपर्क किया। उसके बाद वह पंडित छन्नूलाल मिश्र के घर गए। टीम का नेतृत्व सीएचसी-पीएचसी के डायरेक्टर डा. रवींद्र कुमार कर रहे थे। उनके साथ डॉ. यतींद्र कुमार त्रिपाठी और डॉ. सुजीत कुमार भी थे।

नौ सदस्यीय टीम ने सबसे पहले पूरे मामले की जानकारी पंडितजी से लिया। उसके बाद उनसे शिकायत और मांग पत्र लिया। लगभग एक घंटे की बातचीत के दौरान टीम ने उनसे कहा कि आपकी पहली मांग है कि अस्पताल प्रबंधन हमें सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराए, यदि किन्हीं कारणों से सीसीटीवी फुटेज नहीं उपलब्ध हो पाए तब। इस पर पंडितजी ने कहा कि आप लोग जांच करें। यदि अस्पताल दोषी है तो उस पर कार्रवाई करें। इसके बाद टीम ने उनसे और उनके परिवार से अस्पताल में भर्ती होने के दिन से लेकर मृत्यु के समय तक की दिनचर्या और अस्पताल की कार्यप्रणाली के बारे में विधिवत पूछताछ की। इस दौरान कई अहम सवाल भी पूछे गए। टीम पंडितजी को उचित न्याय का भरोसा दिलाते हुए वापस हो गई।

14 घंटे तक हुई डॉ. मनमोहन श्याम से पूछताछ

लखनऊ से आई जांच टीम ने मेडिवन अस्पताल के प्रबंधक डॉ. मनमोहन श्याम और डॉ. अंजना से कबीरचौरा अस्पताल में सुबह 10 से रात 12 बजे तक पूछताछ किया। जांच टीम ने दोनों डॉक्टरों से 24 सवाल पूछे। इलाज में इस्तेमाल की गई दवाइयों का ब्योरा मांगा। उसकी कितनी कीमत ली गई है। इसकी भी जांच पड़ताल की। शव का चेहरा दिखाने के लिए 25 हजार लेने की बात पर टीम ने अस्पताल प्रबंधन से कहा कि आप प्रमाणित कीजिए कि आपने पैसा नहीं लिया है। अगर लिया है तो रिसिप्ट क्यों नहीं दिया। इसके बाद टीम ने अस्पताल के हर कर्मचारी से अलग-अलग पूछताछ की। उस दिन रात में तैनात गार्ड और एंबुलेंस के ड्राइवर से भी गहन पूछताछ हुई। टीम ने उनसे यह भी कहा कि सही-सही बताओ तो उस रात क्या-क्या हुआ। यदि सही बताओगे तो छोड़ देंगे। टीम ने 14 घंटे के भीतर अस्पताल का तीन बार दौरा किया। इस दौरान उन्होंने ऑक्सीजन प्लांट, आइसीयू, वेंटिलेटर सब चलाकर देखा। आक्सीजन मद में कितने रुपये अस्पताल ने कोरोना काल के दौरान खर्च किया है उसका रिकार्ड और पेमेंट की रिसिप्ट भी देखा। सबकी फोटो और वीडियो भी बनाया। टीम ने डॉक्टरों से यह भी कहा कि वादी हमेशा सही होता है। आप अपने ऊपर लगे आरोप को गलत साबित करने के लिए प्रमाण दीजिए।

डीएम द्वारा गठित जांच कमेटी से भी हुई पांच घंटे तक पूछताछ

जांच टीम ने जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी से भी लगभग पांच घंटे तक पूछताछ किया। टीम ने डीएम की जांच कमेटी से जांच के आधार के बारे में सवाल किया। सीसीटीवी फुटेज जब्त क्यों नहीं किया गया इस पर फटकार भी लगाई। कहा कि बिना सीसीटीवी फुटेज देखे कैसे क्लीन चिट दे दी गई। इस पर मेडिकल बोर्ड के सभी सदस्य चुप थे। गत 29 अप्रैल की देर रात पं. छन्नूलाल मिश्रा की बड़ी बेटी संगीता मिश्रा का इलाज के दौरान निधन हो गया था। उसके बाद परिवार के लोगों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था। तब डीएम ने इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया था। टीम ने जांच करके अस्पताल को क्लीन चिट दे दिया था। इस जांच रिपोर्ट से असंतुष्ट पंडितजी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात पूरे मामले से अवगत कराया था। इसके बाद उन्होंने उच्चस्तरीय जांच कराने का निर्देश दिया था।

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