वाराणसी में बेटियों का साथ छूटा तो महिलाओंं को स्वस्थ्य बनाने का पति-पत्नी ने मिलकर लिया प्रण

पति संतोष बरेका में कार्यरत हैंं और पत्नी बेटियों व महिलाओं को स्वस्थ्य व जागरूक बनाने में लगी हैंं। दोनों के जीवन मेंं अचानक ऐसा दुःखद समय आया जिसने उनको हिलाकर रख दिया उस समय दोनों ने जीने की चाह छोड़ दी थी।

By Abhishek sharmaEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 04:04 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 04:04 PM (IST)
वाराणसी में बेटियों का साथ छूटा तो महिलाओंं को स्वस्थ्य बनाने का पति-पत्नी ने मिलकर लिया प्रण
पति संतोष बरेका में कार्यरत हैंं और पत्नी बेटियों व महिलाओं को स्वस्थ्य व जागरूक बनाने में लगी हैंं।

वाराणसी [श्रवण भारद्वाज]। वाराणसी के बरेका में रह रहे दंपती लोगोंं को स्वस्थ्य बनाने में लगे हैंं। पति संतोष बरेका में कार्यरत हैंं और पत्नी बेटियों व महिलाओं को स्वस्थ्य व जागरूक बनाने में लगी हैंं। यह कार्य दोनों लोग तीन वर्षों से कर रहे हैंं। दोनों के जीवन मेंं अचानक ऐसा दुःखद समय आया जिसने उनको हिलाकर रख दिया उस समय दोनों ने जीने की चाह छोड़ दी थी। पत्नी बिंदु सिंह ने बताया कि एक- एक कर के दोनों बेटियों को खोने के बाद जीवन समाप्त सा हो गया था। पति संतोष कुमार सिंह ने काफी सहयोग किया। वह डीरेका इलेक्ट्रिकल एमसीएम के पद पर हैंं। बेटियों का साथ छूटा तो लगा कि हम दोनों का जीवन खत्म सा हो गया, मानो हम लोगों के जीवन मेंं चारोंं ओर अंधेरा सा छा गया है।

पति से हौसला मिला तो लगा कि हम इस समाज के लिए कुछ करे तो बरेका में एक शिवांशी फिटनेस जोन के नाम से महिलाओंं को स्वस्थ्य बनाने के लिए जोन खोला। बिंदु ने बताया पति का ज्यादातर पैसा मैंंने इसमेंं लगाया।

सैकड़ोंं महिलाओ को स्वस्थ्य बना चुकी हूंं और लगातार उन्हें स्वस्थ्य बनाने में योगदान भी दे रही हूंं। यहांं पर ककरमत्ता, मड़ौली, सुंदरपुर, महमूरगंज, भिखारीपुर, मंडुआडीह, बरेका, सिगरा समेत आस-पास कालोनियों की कई महिलाएं यहांं आती हैंं।

सेहत की बात खुशियों के साथ

इसमेंं कुम्बिया, रैगेतान, साल्सा, मैरेंगे, हिप हॉप, भांगड़ा, बालीवुड के स्टेप्स लिए जाते हैंं। यहांं महिलाओंं को जुम्बा डांस के माध्यम से भी स्वस्थ्य बनाने का तथा वजन कम कराया जाता है। जुम्बा एक डांस फिटनेस प्रोग्राम है जो लैटिन अमेरिका से आया है। बिंदु सिंह ने बताया कि उनका उद्देश्य है कि आजकल महिलाएं घरेलू काम काज के बाद खुद पर समय नही दे पाती है जिसके कारण वह बीमारी से ग्रसित होने लगती हैंं अधिकतर महिलाएं यहां आकर मानसिक व शारारिक रूप से स्वस्थ्य होती है।

एक समय टूट पड़ा था दुखों का पहाड़

बेटी शाम्भवी की 2010 और शिवांसी की 2013 में मृत्यु हो गयी जिसके दोनों दम्पत्ति काफी डिप्रेशन में रहने लगे। बिंदु सिंह को कई वर्ष तक अस्पताल में रहना पड़ा था। पति संतोष ने बहुत मुश्किल से उन्हें संभाला लगभग चार वर्ष बीतने के बिंदु घर के बाहर निकलने लगी। बिंदु ने प्रण लिया कि वह समाज मे महिलाओ को प्रेरित करेंगी।धीरे धीरे उनका ध्यान लोगो में लगने लगा और उनकी लगभग सैकड़ोंं की टीम तैयार हो गयी।

अब सेहत संवारने का दौर

पूजा खडसे, रेखा त्रिपाठी, शिखा, सीमा, नीतू, श्वेता सिंह, आभा डीहेरिया ने यहांं आने नींंद न आने की समस्या दूर हुई है। जो बीमारी थी वो धीरे-धीरे कम हो रही है। ऊर्जा का संचार हो रहा है। नीतू भारती ने बताया कि इस जुम्बा डांस और व्‍यायाम से उन्‍होंने 17 किलो वजन कम किया है।

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