वाराणसी के आशापुर रेलवे ओवर ब्रिज पर मिले टायर के निशान, तीन सदस्यीय समिति एडीएम सिटी के नेतृत्व में पहुंची जांच करने
आशापुर रेलवे ओवर ब्रिज (आरआअी) की जांच करने पहुंची तीन सदस्यीय समिति को जांच में खामियां मिली। आरओबी के दोनों तरफ बने रैंप में बड़े वाहनों के टायर के निशान मिले। टायर का निशान बनना यह साबित करता है कि आरओबी के निर्माण में धांधली हुई है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। आशापुर रेलवे ओवर ब्रिज (आरआअी) की जांच करने पहुंची तीन सदस्यीय समिति को जांच में खामियां मिली। आरओबी के दोनों तरफ बने रैंप में बड़े वाहनों के टायर के निशान मिले। टायर का निशान बनना यह साबित करता है कि आरओबी के निर्माण में धांधली हुई है। अपर जिलाधिकारी (नगर) के नेतृत्व में पहुंची जांच समिति ने अलग-अलग तीन स्थानों से नमूने लिए। लिए गए नमूने बुधवार को बीएचयू प्रयोगशाला में जांच करने के लिए जाएंगे। जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषी अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई होगी। वहीं, समिति ने राजकीय सेतु निगम से डीपीआर मांगा है जिससे उसकी गहनता से जांच की जा सके। दैनिक जागरण ने छह सितंबर के अंक में लोकार्पण के दो माह में आशापुर आरओबी की सड़क क्षतिग्रस्त खबर लिखकर सवाल उठाया था।
तीन साल में बने आशापुर आरओबी के निर्माण को लेकर शुरू से सवाल उठते रहे हैं। गुणवत्ता पर क्षेत्रीय लोग सवाल उठाते रहे लेकिन सेेतु निगम के अभियंताओं के सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा। मुख्यमंत्री समेत अन्य मंत्रियों ने निरीक्षण करने के साथ अभियंताओं को गुणवत्ता को लेकर हिदायत देते रहे। प्रधानमंत्री के हाथों 15 जुलाई को लोकार्पण होने के साथ आरओबी को आम लोगों के लिए खोल दिया गया। उसके साथ ही भ्रष्टाचार सामने आने लगे। जगह-जगह सड़कें बैठने लगी। मामला उजागर होने पर जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने अपर जिलाधिकारी (नगर) गुलाब चंद्र के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी। समिति में लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता, अपर नगर मजिस्ट्रेट शामिल हैं। पीडब्ल्यूडी के अभियंता अमीर अंसारी व रामा ने कोर कटर मशीन से सड़क पर 10 मिलीमीटर व्यास व 80 मिलीमीटर गहरा गड्ढा कर तीन स्थानों से नमूने लिए।
आरओबी के दोनों तरफ पानी निकासी के लिए बनीं नाली का ढलान ठीक नहीं था
आरओबी के दोनों तरफ पानी निकासी के लिए बनीं नाली का ढलान ठीक नहीं था। सड़क पर जगह-जगह जंपिंग है। सड़क की कुटाई सही ढंग से नहीं की गई है जिससे सड़क बैठ गई है। सेतु निगम से डीपीआर मांगा गया है। वहीं, लिए गए नमूने बीएचयू प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे जाएंगे।
-एसके अग्रवाल, अधीक्षण अभियंता-पीडब्ल्यूडी