वाराणसी में रोडवेज के ड्राइवर उधार लेकर एंबुलेंस चलवाएगा स्वास्थ्य विभाग, धरनारत कर्मियों से वापस ली जाएगी चाभी
एंबुलेंसकर्मियों की हड़ताल से उपजे संकट से मरीजों को राहत दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पहल की है। रोडवेज के ड्राइवर उधार लेकर और पहले से विभाग के पास उपलब्ध ड्राइवरों के माध्यम से 29 जुलाई को 20 एंबुलेंस का संचालन शुरू कराया जाएगा।
वाराणसी, जारगण संवाददाता। एंबुलेंसकर्मियों की हड़ताल से उपजे संकट से मरीजों को राहत दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पहल की है। रोडवेज के ड्राइवर उधार लेकर और पहले से विभाग के पास उपलब्ध ड्राइवरों के माध्यम से 29 जुलाई को 20 एंबुलेंस का संचालन शुरू कराया जाएगा। इसके बाद जरूरत के मुताबिक और भी एंबुलेंस व ड्राइवर लगाए जाएंगे।
स्वास्थ्य विभाग के पास पहले से ही करीब 23 ड्राइवर हैं। वहीं 15 ड्राइवर रोडवेज से लिए जाएंगे। रामनगर दुर्गामंदिर के पास 63 एंबुलेंस खड़ी हैं, जिनमें से बुधवार को 20 एंबुलेंस की चाभी स्वास्थ्य विभाग को मिलीं। इनका संचालन सुनिश्चित कराया जाएगा। वहीं धरनारत एंबुलेंसकर्मियों के मुताबिक लोगों को परेशानी न हो इसके लिए हर ब्लाक में एक व जिला अस्पताल, मंडलीय हास्पिटल एवं लाल बहादुर शास्त्री हास्पिटल रामनगर में एक-एक एंबुलेंस लगाई गई हैं। दोपहर बाद सीएमओ डा. वीबी सिंह धरनास्थल पर पहुंचे और गाड़ियों की चाभी मांगी। इस पर आंदोलनकारियों ने लिखित में वाहन हैंडओवर करने की बात कही। सीएमओ ने एसीएमओ डा. राजेश प्रसाद को जिम्मेदारी सौंप कर चले गए। आंदोलनकारियों का दावा है कि हैंडओवर प्रपत्र पर देर रात तक डा. राजेश हस्ताक्षकर करने से कतराते रहे। रात करीब 9:30 बजे वे वहां से चले गए। वहीं सीएमओ डा. वीबी सिंह का दावा है कि उन्हें 20 वाहनों की चाभियों मिल चुकी हैं, जिनका संचालन वे गुरुवार से कराएंगे, ताकि लोगों को फौरी तौर पर राहत मिल सके। वहीं जिला प्रोग्राम मैनेजर अभिषेक श्रीवास्तव के मुताबिक आंदोलनकारी सभी चाभियां देकर एक साथ जाना चाह रहे थे। बिना गाड़ियों की आडिट किए हैंडओवर लेना संभव नहीं है। ऐसे में 20 गाड़ियों की चाभियां ही ली गई हैं। शेष की गुरुवार को वार्ता और आडिट के बाद ली जाएंगी।
नहीं मिल रही एंबुलेंस, मरीज ही नहीं तीमारदार भी हलकान
एंबुलेंस चालकों की हड़ताल के तीसरे दिन भी इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं। आकस्मिक स्थित में मरीजों को एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है। बुधवार को मंडलीय हास्पिटल से लेकर महिला अस्पताल में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। कोई घायल को लेकर बाइक से पहुंचा तो कोई ई-रिक्शा से। किसी ने पड़ोसी की कार का सहारा लिया तो कोई रिक्शे से अस्पताल आया। हैरान-परेशान तीमारदार एंबुलेंस की हड़ताल को लेकर आक्रोशित दिखे।