वाराणसी में गंगा की प्रातःकालीन आरती से फिर से शुरू हुआ सुबह- ए-बनारस, कोरोना के कारण हो गया था स्थगित

वाराणसी के नए असि घाट पर सुबह- ए - बनारस का आरंभ गुरुवार को फिर से हो गया। कोरोना काल में इसे स्थगित कर दिया गया था। प्रातः काल सप्तऋषियों के प्रतीक सात बटुकों ने मां गंगा जी की आरती की।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 07:39 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 07:39 PM (IST)
वाराणसी में गंगा की प्रातःकालीन आरती से फिर से शुरू हुआ सुबह- ए-बनारस, कोरोना के कारण हो गया था स्थगित
प्रातः काल सप्तऋषियों के प्रतीक सात बटुकों ने मां गंगा जी की आरती की।

जागरण संवाददात, वाराणसी। नए असि घाट पर सुबह- ए - बनारस का आरंभ गुरुवार को फिर से हो गया। कोरोना काल में इसे स्थगित कर दिया गया था। प्रातः काल सप्तऋषियों के प्रतीक सात बटुकों ने मां गंगा जी की आरती की। साथ मे मातृ चेतना की प्रतीक पाणिनि कन्या महाविद्यालय की ऋषिकन्याओ ने सुश्री संजीवनी के मार्गदर्शन में वैदिक मंत्रोच्चार का सस्वर पाठ किया । इसके उपरांत गंगा जी को पुष्पंजली अर्पित की गयी तथा सूर्य को जल अर्घ्य अर्पित किया गया । इनके उपरांत डॉ रागिनी सरना ने प्रातः काल राग बैरागी भैरव में विलंबित एक ताल में निबद्ध बंदिश प्रस्तुत कर आनंदित किया। बोल थे- पूरब दिस भये अजोर । साथ ही मध्य एकताल में निबद्ध बंदिश सुनाया ।बोल थे सामवेद सुर अधार ।

इसी क्रम में द्रुत एकताल में निबद्ध बंदिश सुनाया बोल थे आओ गावो भयो प्रभात । गायन का समापन भावपूर्ण भजन से हुआ । बोल थे- निर्धन के धन राम हमारे। डॉ रागिनी के साथ तबला संगति डॉ संदीप राव केवले की एवं हारमोनियम पर साथ दिया श्री मानस परिडा ने । कलाकार को प्रमाणपत्र प्रदान विधायक सौरभ श्रीवास्तव एवं जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने दिया। इसी क्रम में डॉ वीरेंद्र प्रताप सिंह एवं श्री दीपक मिश्रा में जिलाधिकारी एवं विधायक को अंगवस्त्रम एवं आयोजन की स्मृति पत्रिका प्रदान कर सम्मानित किया।सुबह ए बनारस संस्थापक सचिव डॉ रत्नेश वर्मा ने आयोजन की महत्ता पर प्रकाश डाला अतिथियों का स्वागत उपाध्यक्ष पं प्रमोद मिश्रा ने किया। प्रमुख रूप से रमेश तिवारी , विनय तिवारी, उदय प्रताप सिंह ,सुनील शुक्ला एवं जयप्रकाश, कृष्णमोहन उपस्थित थे। योगगुरु पं विजय प्रकाश मिश्र द्वारा योग सत्र के मार्गदर्शन से कार्यक्रम का समापन हुआ। संचालन डॉ प्रीतेश आचार्य ने किया।

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