वाराणसी में गंगा के जल स्‍तर में बढ़ाव से टूटा घाटों का आपसी संपर्क, तटवर्ती मंदिर जलाजल

जल स्तर में लगातार बढाव से गंगा किनारे के रहनवारों की धुकधुकी बढऩे लगी है। कुछ लोगों ने सुरक्षित स्थान जाने की तैयारी कर ली है। गंगा का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है। बीते चार दिनों में चार मीटर से अधिक जल स्तर में बढ़ोतरी हुई है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 10:36 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 10:36 PM (IST)
वाराणसी में गंगा के जल स्‍तर में बढ़ाव से टूटा घाटों का आपसी संपर्क, तटवर्ती मंदिर जलाजल
गंगा का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। जल स्तर में लगातार बढाव से गंगा किनारे के रहनवारों की धुकधुकी बढऩे लगी है। कुछ लोगों ने सुरक्षित स्थान जाने की तैयारी कर ली है। गंगा का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है। बीते चार दिनों में चार मीटर से अधिक जल स्तर में बढ़ोतरी हुई है। इससे कई घाटों का आपसी संपर्क टूट गया। शीतला मंदिर समेत गंगा तटवर्ती देवालयों में पानी घुस गया। काशी विश्वनाथ मंदिर कारिडोर की जेटी भी डूब गई। जल स्तर में अभी बढ़ाव जारी है। रविवार को गंगा का जल स्तर फाफामऊ में 79.34 मीटर, प्रयागराज में 77.78 मीटर, मीरजापुर में 70.54 मीटर, वाराणसी में 64.36 मीटर, गाजीपुर में 57.23 मीटर व बलिया में 54.59 मीटर पहुंच गया। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार आगामी दिनों में बढ़ोतरी जारी रहेगी।

कटान से हाईमास्क लाइट का अस्तित्व खतरे में

रामनगर के बलुआघाट पर लगाया गया हाई मास्क लाइट गिरने के कगार पर पहुंच गया है। बरसात से हुई कटान व गंगा के जलस्तर में वृद्धि से खतरा बढ़ गया है। समय रहते पोल नहीं हटाया गया तो कभी भी गंगा में समा सकता है। क्षेत्रीय लोगों ने विद्युत पोल हटाने की मांग की है। स्थिति यह है कि बरसाती पानी के साथ ही गंगा की लहरों से भी मिट्टी का कटान फिर शुरू हो गया।

वाराणसी में गंगा का जल स्तर

-चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर

-खतरा का निशान 71.262 मीटर

-बाढ़ का उच्चतम बिंदु 73.901 मीटर

वाराणसी में दिनों से बढ़ा पानी

01 अगस्त : 64.36 मीटर

31 अगस्त : 63.40 मीटर

30 जुलाई : 62.52 मीटर

29 जुलाई : 60.48 मीटर

28 जुलाई : 59.69 मीटर

27 जुलाई : 59.41 मीटर

28 जुलाई : 59.33 मीटर

काशी के पक्के घाटों की कटान रोकने के लिए योजना ट्रायल के दौर में

गंगा पार रेती में साढ़े 11 करोड़ रुपये से नहर बनाई गई है। यह कार्य गंगा के वेग का अध्ययन करने के लिए किया गया है ताकि काशी के पक्के घाटों की कटान रोकी जा सके। यह एक व्यापक व लंबी प्रक्रिया से गुजरने वाली योजना है। इसमें पांच साल तक अध्ययन चलेगा। इस दौरान जमा रेती की ड्रेजिंग होती रहेगी। इससे निकलने वाले बालू से जिला प्रशासन को राजस्व भी मिलेगा। काशी में गंगा अर्द्ध चंद्रकार स्वरूप में प्रवाहमान हैं। इससे सामने घाट से असि घाट तक तीव्र धारा टकराकर दशाश्वमेध की ओर घूमती है। आगे भी घाटों से टकराते हुए मणिकर्णिका घाट से घूमकर राजघाट की ओर निकलती है। बाढ़ के दिनों में गंगा की तीव्र धारा से पक्के घाटों के नीचे कटान होती रहती है। इससे घाट के नीचे पोल हो जाता है जिस कारण घाट के बैठने का खतरा बना रहता है।

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