वाराणसी में फर्जी दस्तावेज से बिजली विभाग में नौकरी करने पर आरोपित की अर्जी खारिज, गैर जमानती वारंट जारी

न्यायालय ने कूटरचित और फर्जी दस्तावेज के बदौलत बिजली विभाग में नौकरी करने के मामले में आरोपित की अर्जी को खारिज करते हुए गैर जमानती वारंट जारी किया है। आरोपित द्वारा कूटरचित तरीके से जन्मतिथि बदलकर नौकरी पाई गई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 08 Oct 2021 12:43 PM (IST) Updated:Fri, 08 Oct 2021 12:43 PM (IST)
वाराणसी में फर्जी दस्तावेज से बिजली विभाग में नौकरी करने पर आरोपित की अर्जी खारिज, गैर जमानती वारंट जारी
आरोपित द्वारा कूटरचित तरीके से जन्मतिथि बदलकर नौकरी पाई गई।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। न्यायालय ने कूटरचित और फर्जी दस्तावेज के बदौलत बिजली विभाग में नौकरी करने के मामले में आरोपित की अर्जी को खारिज करते हुए गैर जमानती वारंट जारी किया है। न्यायालय ने कहा कि आरोपित की ओर से जरिए अधिवक्ता दी गई अर्जी में कहा गया है कि आरोपित चन्द्र कुमार मिश्र की नियुक्ति दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन चतुर्थ पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड वाराणसी में हुई थी। आरोपित द्वारा कूटरचित तरीके से जन्मतिथि बदलकर नौकरी पाई गई।

विभाग में उसकी जन्मतिथि के निर्धारण के लिए आयु की जांच कराई गई। दिनांक 27 फरवरी 1989 को जो जन्मतिथि का प्रमाण पत्र निर्गत किया था उसमें प्रार्थी आरोपित की आयु 28 वर्ष पायी गयी थी। जिसके आधार पर विभाग ने आरोपित की सेवा पुस्तिका मे दिनांक 27 फरवरी 1974 के आधार पर प्राथी की जन्मतिथि 27 फरवरी 1961 अंकित की गयी। आरोपित व उसके पड़ोसी के मध्य संपत्ति को लेकर अनेक दीवानी और आपराधिक मुकदमे चले हैं अथवा चल रहे हैं। पड़ोसी द्वारा आरोपित की सेवा समाप्ति के अंतिम समय में मिथ्या और निराधार आधार पर एग्जीक्यूटिव इंजीनियर इलेक्ट्रिसिटी अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन वाराणसी तथा एग्जीक्यूटिव इंजीनियर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड भीखीपुर वाराणसी के समक्ष आरोपित की जन्मतिथि के संबंध में शिकायत की। पड़ोसी के उक्त शिकायती पत्र की जांच की गयी। जांच में पाया गया कि जन्मतिथि फर्जी है। विवेचना के पश्चात आरोपित चंद्र कुमार मिश्रा के विरुद्ध आरोप पत्र दस्तावेजी साक्ष्य और मौखिक साक्ष्य के आधार पर धारा 419 और 420 में प्रेषित किया गया है तथा प्रथम दृष्टया विचारण का पर्याप्त साक्ष्य है। न्यायालयों की विधि व्यवस्था तथा उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर आरोपित की ओर से जरिये अधिवक्ता प्रस्तुत उन्मोचन प्रार्थना पत्र निरस्त किये जाने योग्य है।

न्ययालय ने आदेशित किया कि आरोपित जमानत पर नहीं है तथा उसकी हाजिरी के लिए उसके विरुद्ध पूर्व में गैर जमानतीय वारंट व धारा 82 दं.प्र.सं. की आदेशिका निर्गत किये जाने का आदेश पारित किया गया है। अतः आरोपित के विरुद्ध एनबीडब्ल्यू धारा 82 द.प्र.सं. की आदेशिका निर्गत करने के साथ साथ न्यायालय में पेश होने के लिए आदेश जारी किया गया। वादी अधिवक्ता नमिता कुमारी झा ने अपना पक्ष रखकर उन्मोचन प्रार्थना पत्र को खारिज कराया।

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