उत्‍तर प्रदेश में जिला जेल के हर बैरक में हाेंगे स्वास्थ्य मित्र, बंदियों के सेहत का रखा जाएगा ख्‍याल

बंदियों के स्वास्थ्य का पूरी तरह से ख्याल रखा जा सके उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं तत्काल प्राथमिक उपचार उपलब्ध हो इसको देखते हुए जिला जेल के हर बैरक में दो स्वास्थ्य मित्र होंगे। यह स्वास्थ्य मित्र कोई बाहरी व्यक्ति या कर्मचारी नहीं बल्कि जेल के बंदी होंगे।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Mon, 08 Nov 2021 05:32 PM (IST) Updated:Mon, 08 Nov 2021 05:32 PM (IST)
उत्‍तर प्रदेश में जिला जेल के हर बैरक में हाेंगे स्वास्थ्य मित्र, बंदियों के सेहत का रखा जाएगा ख्‍याल
स्वास्थ्य मित्र कोई बाहरी व्यक्ति या कर्मचारी नहीं, बल्कि जेल के बंदी होंगे।

वाराणसी [जेपी पांडेय]। जिला जेल में बंदियों के स्वास्थ्य का पूरी तरह से ख्याल रखा जा सके, उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं, तत्काल प्राथमिक उपचार उपलब्ध हो, इसको देखते हुए जिला जेल के हर बैरक में दो स्वास्थ्य मित्र होंगे। यह स्वास्थ्य मित्र कोई बाहरी व्यक्ति या कर्मचारी नहीं, बल्कि जेल के बंदी होंगे। जल्द ही बंदियों का चयन कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। इस आशय का आदेश जिला जेल प्रशासन के पास आ चुका है। अब अगले चरण में बंदियों को प्रशिक्षण देने के बाद उनको सेहत की निगरानी के लिए तैनात किया जाएगा। 

जिला जेल में 2300 से अधिक बंदी हैं। जिला जेल प्रशासन को इन बंदियों की देखभाल करने में काफी परेशानी होती है। खासकर बंदियों के स्वास्थ्य को लेकर। बंदी के बताने पर जिला जेल के अंदर अस्पताल में बंदियों का उपचार होता है। अधिक तबीयत खराब होने या गंभीर बीमारी होने पर उन्हें बाहर सरकारी अस्पतालाें में भर्ती कराया जाता है। कई बंदी ऐसे होते हैं जिन्हें अपने बीमारी के बारे में जानकारी नहीं हो पाती है। बीमारी गंभीर होने पर उपचार कराने में काफी परेशानी होती है।

बंदियों की समस्याओं को देखते हुए शासन ने प्रदेश के सभी जिला जेल में स्वास्थ्य मित्र बनाने का निर्देश दिया है। जेल में कई ऐसे बंदी है जो स्वास्थ्य क्षेत्र से भी जुड़े हैं, उनको प्राथमिकता पर चयन करते हुए हर बैरक में दो-दो स्वास्थ्य मित्र नामित किया जाएगा। जिला जेल अधीक्षक एके सक्सेना ने बताया कि सभी डिप्टी जेलर को हर बैरक से दो-दो स्वास्थ्य मित्र का चयन करने का निर्देश दिया गया है। 15 नवंबर के बाद चयनित बंदी को स्वास्थ्य के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे आपात स्थिति में उनका सदुपयोग किया जा सके। क्योंकि बंदियों की अपेक्षा परिसर में स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या काफी कम है। कोई गंभीर बीमारी फैलने पर नियंत्रण कर पाना संभव नहीं है।

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