सोनभद्र के आदिवासी अंचलों में प्रेरणा के साथ से संवरने लगा बच्चों का अंधकारमय भविष्य
आदिवासी बाहुल्य जनपद सोनभद्र में हर किसी के पास स्मार्टफोन नहीं है। इसके कारण कोरोना संक्रमण में घर बैठे गरीब बच्चों के अभिभावक उन्हें आनलाइन पढ़ाई नहीं करा पा रहे हैं। ऐसे में घोरावल ब्लाक के दुरावल खुर्द के शिक्षकों ने अनोखा विकल्प ढूंढ़ निकाला है।
सोनभद्र, जागरण संवाददाता। आदिवासी बाहुल्य जनपद सोनभद्र में हर किसी के पास स्मार्टफोन नहीं है। इसके कारण कोरोना संक्रमण में घर बैठे गरीब बच्चों के अभिभावक उन्हें आनलाइन पढ़ाई नहीं करा पा रहे हैं। ऐसे में घोरावल ब्लाक के दुरावल खुर्द के शिक्षकों ने अनोखा विकल्प ढूंढ़ निकाला है। शिक्षक कमलेश कुमार गुप्ता ने स्कूल के छात्रों तक हर दिन अपनी पहुंच बनाने के लिए गांव में स्मार्ट फोन का प्रयोग करने वाले युवाओं को चिह्नित किया है। ऐसे युवाओं को उन्होंने प्रेरणा साथी का नाम भी दिया। इसके बाद उन्हें इस बात के लिए मनाया कि वह अपने फोन के साथ गांव के उन बच्चों के बीच कुछ समय गुजारें, ताकि वह उन्हें कुछ पढ़ा सकें। युवाओं ने जब इसके लिए हामी भरी तो उन्होंने फौरन उनके फोन में दीक्षा एप व विद्यालय के वाट्सअप ग्रुप से जोड़ दिया। अब गांव के वह बच्चे आनलाइन क्लास में भाग ले रहे हैं, जिनके पास स्मार्ट फोन न होने के कारण यह दूर की कौड़ी थी।
स्कूल में 149 छात्र हैं पंजीकृत : शिक्षक कमलेश गुप्ता ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय दुरावल खुर्द में 149 छात्र पंजीकृत हैं। कोरोना काल में जब छात्र स्कूल नहीं आ सके तो उन्हें घर पर ही नियमित रूप से पाठन-पाठन के लिए उनके परिजनों के मोबाइल नंबर को स्कूल के वाट्सएप ग्रुप से जोड़ने का प्रयास किया गया। इस दौरान पता चला कि महज 33 छात्रों के परिजनों के पास स्मार्ट फोन है, शेष छात्रों के परिजनों के पास या तो फोन नहीं है या है भी तो ऐसे फोन हैं जो एंड्रायड नहीं। ऐसी स्थिति में हर छात्र तक पहुंच बनाने के लिए गांव के ही चार प्रेरणा साथियों शिखा शुक्ला, भरत, राजेश व सुमन का चयन किया गया। अब हम लोग प्रतिदिन 132 छात्रों तक अपनी पहुंच बना लिए हैं। शेष बचे 17 छात्र अपने गांव में न होने के कारण छूट रहे हैं, जिन्हें जल्द ही मुख्य धारा में जोड़ लिया जाएगा।
पहली लहर में चलाया था मोहल्ला क्लास : शिक्षक कमलेश कुमार ने बताया कि कोरोना की पहली लहर के दौरान छात्रों तक पहुंच बनाने के लिए हम लोगों ने मोहल्ला क्लास चलाया था। लेकिन इस दौरान महिला शिक्षकों को तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसे बाद में बंद कर दिया गया। इसके बाद वाट्सएप ग्रुप बनाकर छात्रों को पढ़ाने के लिए सामग्री उपलब्ध कराई गई। बताया कि अगर किसी कार्य को पूरा करने के लिए मेहनत किया जाए तो निश्चित रूप से इसके सार्थक परिणाम मिलने लगते हैं।
बोले अधिकारी : निश्चित रूप से दुरावल खुर्द के शिक्षकों का प्रयास सराहनीय कदम है। इस व्यवस्था को पूरे जिले में लागू करने पर विचार किया जा रहा है। गांव के ऐसे प्रेरणा साथियों की पहचान के लिए शिक्षकों को कहा गया है, ताकि इस महामारी के दौर में बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। - हरिवंश कुमार, बीएसए।