बदलते मौसम में दमा से निकलने लगा दम, सीधे पंखे के नीचे सोने से बचेंं और अपनाएं यह उपाय

टीबी एंड चेस्ट विभाग बीएचयू के प्रोफेसर एंड हेड डा. जीएन श्रीवास्तव बताते हैं कि मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है। इसके कारण दमा की बीमारी उभरने लगी है। उन्होंने बताया कि सूखी या गीली खांसी के साथ ही पीला बलगम भी निकलता है

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 06:32 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 06:32 PM (IST)
बदलते मौसम में दमा से निकलने लगा दम, सीधे पंखे के नीचे सोने से बचेंं और अपनाएं यह उपाय
बीएचयू के प्रोफेसर एंड हेड डा. जीएन श्रीवास्तव बताते हैं कि मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। दमा ऐसी बीमारी है कि आपके दम तक रहती है। यानी जानलेवा नहीं है। ऐसे में आप दमा बीमारी से डरे नहीं, बल्कि इसका जमकर सामने करें और सजग रहते ही ससमय उचित उपचार कराए। मौसम में बदलाव के कारण चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल स्थित टीबी एंड चेस्ट विभाग की ओपीडी में सांस संबंधी रोगों के रोजना करीब 200-250 मरीज आ रहे हैं। इसमें से 30-40 मरीज दमा के ही आ रहे हैं। ऐसे में दमा के मरीजों को बहुत ही सतर्क रहने की जरूरत है। उन्हें सीधे पंखे के नीचे सोना बंद कर देना चाहिए। अगर सोते भी हैं तो भोर में पंखा बंद कर दें या फिर उसकी स्पीड कम कर दें। वरना पुरानी बीमारी भी उभर जाएगी।

हर उम्र में हो सकती है सांस की समस्या : टीबी एंड चेस्ट विभाग, बीएचयू के प्रोफेसर एंड हेड डा. जीएन श्रीवास्तव बताते हैं कि मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है। इसके कारण दमा की बीमारी उभरने लगी है। उन्होंने बताया कि सुखी या गीली खांसी के साथ ही पीला बलगम भी निकलता है। साथ ही सांस फूलने की भी समस्या बढ़ सकती है। यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है।

महिलाओं में समस्या अधिक : वैसे महिलाओं में 30-40 उम्र के बाद ही समस्या शुरू हो जाती है। महिलाओं में साइको सेमोटिक फैक्टर अधिक होता है। कारण कि उनकी भावनाएं नाजुक होती है उन्हें स्ट्रेस भी अधिक होता है। डा. श्रीवास्तव ने बताया कि मौसम में बदलाव के कारण एलर्जी के कारण दमा उभरने लगा है। बताया कि एलर्जी की समस्या हर व्यक्ति की अलग-अलग होती है। ऐसे में सभी को खुद ही इसकी पहचान करनी होगी कि उन्हें किस चीज से एलर्जी है।

लेते रहें निरंतर दवा : डा. श्रीवास्वत ने बताया कि भोर में अब सिहरन बढ़ गई है। ऐसे में सांस के रोगियों को सही समय पर निरंतर दवा लेनी चाहिए। इसके बाद भी अगर सांस रोग ठीक नहीं हो तो तत्काल विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। सीटी स्कैन व पीएफटी रोग का पता चल जाता है।

इन्हेलर थेरेपी काफी कारगर :  डा. श्रीवास्तव बताते हैं कि सांस संबंधी गंभीर रोगियों के लिए दवा व इन्हेलर थेरेपी दोनों ही मौजूद है। हालांकि, सबसे कारगर इन्हेलर थेरेपी है। कारण कि इसके साइड इफेक्ट नहीं और इन्हेलर से दवा लेने पर यह सीधे फेफेड़े में जाती है। वहीं टैबलेट या कैप्सुल लिवर, किडनी पर भी असर डालते हैं। यही नहीं इसमें दवा की डोज भी बढ़ानी पड़ती है।

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