पूर्वांचल में बादलों की मेहरबानी से नदियों के तटवर्ती लोगों ने शुरु की जलस्‍तर की निगहबानी

पूर्वांचल की नदियों में लगातार घटाव का रुख तीन दिनों पहले जारी था। हालांकि अब दोबारा बारिश का दौर शुरु होने के साथ ही तटवर्ती लोगों ने नदियों की निगहबानी शुरु कर दी है। एक एक इंच बढता जलस्‍तर लोगों के दिल की धड़कनें बढ़ा रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 09:57 AM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 05:20 PM (IST)
पूर्वांचल में बादलों की मेहरबानी से नदियों के तटवर्ती लोगों ने शुरु की जलस्‍तर की निगहबानी
एक एक इंच बढता जलस्‍तर लोगों के दिल की धड़कनें बढ़ा रहा है।

वाराणसी, जेएनएन। पूर्वांचल की नदियों में लगातार घटाव का रुख तीन दिनों पहले जारी था। हालांकि अब दोबारा बारिश का दौर शुरु होने के साथ ही तटवर्ती लोगों ने नदियों की निगहबानी शुरु कर दी है। एक एक इंच बढता जलस्‍तर लोगों के दिल की धड़कनें बढ़ा रहा है। किसानों की बाढ़ की वजह से धान की फसल प्रभावित होने के बाद अब सब्जियों की फसल भी प्रभावित होने लगी है। लगातार बारिश की वजह से पौधों में सड़न पैदा होने लगी है तो तटवर्ती इलाकों में गंगा और सरयू से हो रही कटान चिंता बढाने वाली है।

बीते तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश की वजह से बलिया में सरयू नदी ने एक बार फ‍िर से सीजन में चेतावनी बिंदु को पार कर लिया है। जबकि गंगा और सरयू नदी का जलस्‍तर बलिया जिले में सर्वाधिक कटान कर रहा है। आजमगढ़ और मऊ जिले में भी सरयू की तल्‍ख लहरों ने तटवर्ती लोगों की बेचैनी को बढ़ा दिया है। मौसम विभाग ने हालांकि अगले दो दिनों तक बारिश की संभावना जताई है जिसकी वजह से नदियों में बढ़ाव का रुख अगले चौबीस से अड़तालिस घंटों तक बने रहने की उम्‍मीद है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार एक दो दिनों तक नदियों में बढ़ाव का रुख बना रहेगा हालांकि इसके बाद नदियों में घटाव का रुख रहेगा।

वहीं बलिया के दुबे छपरा और जगदीशपुर में गंगा की लहरें व्‍यापक स्‍तर पर कटाव कर रही हैं जिसकी वजह से तटवर्ती लोग अब नदियों की रात रात भर जाग कर निगरानी कर रहे हैं। वहीं कटान से बचाव के सभी सरकारी प्रयास नदी की तल्‍ख्‍ा लहरों के आगे बेबस हैं। आसमान से जारी बरसात की वजह से भी जमीन नम होने के बाद नदियों की भेंट चढ़ रही है। जबकि निचले इलाकों में खेतों से बाढ़ का पानी उतरने के बाद अब बारिश का पानी जमा होने से धान के बाद सब्जियों की खेती भी खराब हो रही है। जबकि निचले इलाकों में जमा पानी अब संक्रामक रोगों और मच्‍छरों के लिए अनुकूल स्थिति पैदा कर रहा है।

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