खुद को जिंदा साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट के लिए मंडलीय चिकित्सालय में भोला का लिया सैंपल

मीरजापुर देहात कोतवाली के अमोई गांव निवासी भोला सिंह उर्फ श्यामनरायण का डीएनए टेस्ट कराने के लिए शनिवार की शाम मंडलीय चिकित्सालय में ब्लड सैंपल ले लिया गया। इसके बाद सैंपल मुख्य चिकित्साधिकारी डा. पीडी गुप्ता को सौंप दिया गया है

By Abhishek sharmaEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 08:12 PM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 08:12 PM (IST)
खुद को जिंदा साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट के लिए मंडलीय चिकित्सालय में भोला का लिया सैंपल
भोला सिंह उर्फ श्यामनरायण का डीएनए टेस्ट कराने के लिए मंडलीय चिकित्सालय में ब्लड सैंपल ले लिया गया।

मीरजापुर, जेएनएन। देहात कोतवाली के अमोई गांव निवासी भोला सिंह उर्फ श्यामनरायण का डीएनए टेस्ट कराने के लिए शनिवार की शाम मंडलीय चिकित्सालय में ब्लड सैंपल ले लिया गया। इसके बाद सैंपल मुख्य चिकित्साधिकारी डा. पीडी गुप्ता को सौंप दिया गया है, जिनके माध्यम से सैंपल को जांच के लिए रामनगर लैब भेजा जाएगा। वहीं उसके भाई राज नारायण के नहीं आने के कारण उसका सैंपल नहीं लिया जा सका। जब तक उसके भाई का सैंपल लेकर जांच के लिए नहीं भेजा जाएगा तब तक भोला के जीवित होने और अमोई गांव निवासी होने का मामला लटका रहेगा। 

15 साल से अपने को जीवित करने के लिए भटक रहे अमोई निवासी भोला उर्फ श्याम नारायण के मामले को मुख्यमंत्री द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद जिला मजिस्ट्रेट प्रवीण कुमार लक्षकार ने भोला और उसके भाई राजनरायण के बीच स्थित रिश्ते का पता करने के लिए भोला और राज नारायण का डीएनए टेस्ट कराने निर्देश दिया था। शनिवार को एसडीएम सदर गौरव श्रीवास्तव के निर्देश पर अमोई क्षेत्र के लेखपाल सच्चिदानंद भोला को लेकर सुबह आठ बजे टेस्ट कराने मंडलीय चिकित्सालय पहुंचे, लेकिन उनका टेस्ट नहीं हो सका। लैब के प्रभारी ने कहा कि डीएनए टेस्ट कराने की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई।

पहले इसकी प्रक्रिया पूरी की जाए इसके बाद ही इनका टेस्ट होगा। इसके चलते मामला लटक गया। छह घंटे बाद भी टेस्ट नहीं होने पर शाम चार बजे लेखपाल सच्चिदानंद ने मामले से सीएमओ और एसडीएम सदर को अवगत कराया। जानकारी होने पर नायब तहसीलदार उमेश कुमार चिकित्सालय भेजे गए। उन्होंने मंडलीय चिकित्सालय के एसआइसी डा. कमल कुमार से बात की तो उन्होंने भी प्रक्रिया पूरी कर आने की बात कही। प्रशासन की इस हीलाहवाली में डीएनए टेस्ट का मामला देर शाम तक लटका रहा। एडीएम यूपी ङ्क्षसह के निर्देश पर एसआइसी ने भोला का ब्लड सैंपल लेकर सीएमओ को सौंप दिया।  

डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया 

किसी व्यक्ति का डीएनए टेस्ट कराने के लिए जिला मजिस्ट्रेट या न्यायालय से अनुमति लेनी पड़ती है। इसके बाद प्रशासन और पुलिस की एक टीम बनाई जाती है। गठित टीम जिसका टेस्ट कराना होता है उसे लेकर चिकित्सालय के लैब में जाती है। वहां लैब कर्मचारी द्वारा पीडि़त का सैंपल निकालता है जिसको एक कोल्ड थर्मस में भरकर पुलिस टीम के प्रभारी को सौंप देता है, लेकिन इससे पहले पुलिस के प्रभारी को डीएनए टेस्ट कराने की प्रक्रिया को पूरी करनी होती है। दर्जनों स्थानों पर हस्ताक्षर करने के बाद उसका पूरा प्रोफार्मा भरना पड़ता है। प्रोटोकाल को पूरा करने के बाद टीम सैंपल को लेकर उच्चीकृत लैब में पहुंचती है। इसके बाद ही जांच की प्रक्रिया आगे बढ़ती है। इन सब प्रक्रिया को पूरा न करने पर टेस्ट नहीं हो पाता है और मामला लटका रहता है। 

बोले अधिकारी

भोला सिंह का डीएनए टेस्ट कराने के लिए ब्लड सैंपल ले लिया गया है। उसे लैब भेजा रहा है। उसका भाई राज नारायण नहीं आ सका इसलिए उसका सैंपल नहीं लिया जा सका। - डा. पीडी गुप्ता मुख्य चिकित्साधिकारी। 

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