मीरजापुर में देखरेख के अभाव में बदहाल प्राचीन मूर्ति संग्रहालय, रखी गई है प्राचीन काल की कई मूर्तियां

हलिया-ददरी मार्ग पर भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से करीब पंद्रह वर्ष पूर्व क्षेत्र की प्राचीन पाषाण मूर्तियों के संरक्षण के लिए संग्रहालय का निर्माण करवाया गया था लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते संग्रहालय के अंदर गंदगी का ढेर लगा हुआ है।

By saurabh chakravartiEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 05:21 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 05:21 PM (IST)
मीरजापुर में देखरेख के अभाव में बदहाल प्राचीन मूर्ति संग्रहालय, रखी गई है प्राचीन काल की कई मूर्तियां
मीरजापुर में पुरातत्व विभाग द्वारा हलिया स्थित मूर्ति संग्राहालय में देखभाल न होने के कारण परिसर में फैली गंदगी।

मीरजापुर, जेएनएन। हलिया-ददरी मार्ग पर भारतीय पुरातत्व विभाग की ओर से करीब पंद्रह वर्ष पूर्व क्षेत्र की प्राचीन पाषाण मूर्तियों के संरक्षण के लिए संग्रहालय का निर्माण करवाया गया था लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते संग्रहालय के अंदर गंदगी का ढेर लगा हुआ है। पुरातत्व विभाग की ओर से लाखों रुपये की लागत से बनवाए गए प्राचीन मूर्ति संग्रहालय देखरेख के अभाव में बदहाली की स्थिति में पहुंच गया है। साफ-सफाई न होने से संग्रहालय में रखी गई मूर्तियों पर पक्षियों के बीट पटे हुए हैं। मूर्तियों की सुरक्षा के लिए संग्राहलय के बाहर एक होमगार्ड की तैनाती की गई है।

मूर्ति संग्रहालय में रखी गई मूर्तियां दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं शताब्दी के अलावा कुछ मूर्तियां मुगलकालीन शासकों के समय की बताई जाती हैं, जो बहुत ही दुर्लभ किस्म की हैं। कुछ मूर्तियां तो क्षत-विक्षत अवस्था में हैं, जो मुगल शासक व औरंगजेब के शासन काल में खंडित होना बताई जाती हैं। विकास खंड के कई गांवों में आज भी प्राचीनतम पाषाण की अद्भुत मूर्तियां मिल जाएंगी। कोटारनाथ मंदिर व डिभोर जंगल में तो दर्जनों प्राचीन पाषाण मूर्तियां आज भी मौजूद हैं। इनका संरक्षण व संवर्धन करवाए जाने की आवश्यकता है। संग्रहालय में क्षेत्र के विभिन्न स्थानों से मिलने वाली अलौकिक प्राचीन मूर्तियों को सुरक्षित कर दिया जाए तो प्राचीन मूर्ति कला का रख-रखाव भी होगा और पर्यटन की ²ष्टि से क्षेत्र में आने वाले लोगों को प्राचीन दुर्लभ पाषाण मूर्तियों को देखने का अवसर प्राप्त होगा।

प्राचीन पाषाण मूर्तियों के संरक्षण व रख-रखाव के लिए संग्रहालय बनवाया गया

पुरातत्व विभाग की ओर से हलिया क्षेत्र के प्राचीन पाषाण मूर्तियों के संरक्षण व रख-रखाव के लिए संग्रहालय बनवाया गया है। इसमें दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं शताब्दी के अलावा कुछ पाषाण मूर्तियां मुगलकालीन शासकों के समय की हैं। शासन को संग्रहालय के रख-रखाव के लिए पद सृजित करने के लिए कई बार पत्राचार कर अवगत कराया गया है। जल्द ही सफाईकर्मी की नियुक्ति संग्रहालय में की जाएगी।

- डा. रामनरेश पाल, क्षेत्रीय पुरात्व अधिकारी।

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