मऊ में दर्जनाें सूदखोेरों को नोटिस फिर भी नहीं करा रहे रिनुअल, कोरोना संक्रमण काल सूदखोर हुए मालामाल

कोरोना संक्रमण काल में मऊ की जनता जहां रोजी रोटी के लिए बेहाल रही वहीं जनपद में बिना रजिस्टर्ड के सूदखोर मालामाल हो गए। जनता की मजबूरी का फायदा उठाकर इन्होंने खूब रुपये बांटे और अब वसूली करने में मशगूल हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 02:05 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 02:05 PM (IST)
मऊ में दर्जनाें सूदखोेरों को नोटिस फिर भी नहीं करा रहे रिनुअल, कोरोना संक्रमण काल सूदखोर हुए मालामाल
कोरोना काल में जनता जहां रोजी रोटी के लिए बेहाल रही वहीं बिना रजिस्टर्ड के सूदखोर मालामाल हो गए।

मऊ, जेएनएन। कोरोना काल में जनपद की जनता जहां रोजी रोटी के लिए बेहाल रही वहीं जनपद में बिना रजिस्टर्ड के सूदखोर मालामाल हो गए। जनता की मजबूरी का फायदा उठाकर इन्होंने खूब रुपये बांटे और अब वसूली करने में मशगूल हैं। वैसे काफी दिनों से जनपद में बिना रजिस्टर्ड सूदखोरों का जाल फैला है। इनकी गिरफ्त में आकर युवा जिंदगी को दांव पर लगा रहे हैं। इसे लेकर प्रशासन सख्त हो गया है। अब तक दर्जनों सूदखाेरों को नोटिस दी गई है लेकिन वह अपने लाइसेंस का रिनुअल नहीं करा रहे हैं। इससे प्रशासन की भृकुटी तनी हुई है।

सूदखोर लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर 10 से 15 फीसदी ब्याज पर रुपये देते हैं और फिर समय पर भुगतान करने पर ब्याज लेने वाले की जमीन, जायदाद कब्जे में लेकर प्रताड़ित किया जाता है।उधर शासन-प्रशासन के लोग आंख मूंदे पड़े हुए हैं। कोरोना काल में बैंकों से लोन लेने में कागजी प्रक्रिया अत्यधिक होने के कारण लोग सूदखोरों से पैसा लेने के लिए विवश हैंं। जिन लोगों को रुपये की जरूरत होती उन्हें साहूकार अपना शिकार बनाते हैं। ब्याज पर तत्काल रुपये देने के बदले जमीन, मकान की रजिस्ट्री, वाहन, सोने-चांदी के जेवर अपने पास रख लेते हैं। प्रशासन की तरफ से लाइसेंस दिया गया है। हर साल इनका रजिस्ट्रेशन रिनुअल होता है लेकिन अभी तक मात्र एक दर्जन सूदखोरों ने अपना आवेदन किया है। अभी तमाम सूदखोर अभी तक आवेदन करने नहीं आए हैं। इस पर प्रशासन की तरफ से सभी को लगातार नोटिस जारी की जा रही है।

ब्याज लेने वालों को प्रताड़ित भी करते हैं सूदखोर

सूदखोर ब्याज लेने वाले व्यक्ति को प्रताड़ित भी करते हैं। इससे उसके घर की आर्थिक स्थिति और बिगड़ती जाती है। कुछ ऐसे सूदखोर हैं जो बाजारों में स्थित छोटे-छोटे दुकानदारों को उनके सामर्थ्य के अनुसार रुपये देकर प्रतिदिन उनसे मूलधन के साथ ब्याज की भी वसूली करते हैं। इसके लिए बाकायदा शाम को दो घंटे दुकानों पर फेरी लगाते है। एक अवैध पासबुक भी बनाए हुए हैं। इसमें प्रतिदिन रुपयों की इंट्री करते हैं।

शिकायत की हिम्मत नहीं जुटा पाता गरीब

सूदखोरों के जाल में फंसे कुछ लोगों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जनपद में अवैध रूप से आर्थिक कारोबार कर रहे लोगों द्वारा तरह-तरह की प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। उनके द्वारा दिए गए एकमुश्त ब्याज के रुपयों को सालों साल जमा करने पर भी उनका मूलधन से अधिक बैलेंस बराबर बना रहता है। जब उनसे लिखित हिसाब मांगा जाता है तो ऐसा करने से साफ इंकार कर देते हैं बल्कि जानमाल की धमकी देते रहते हैं। इससे उनके डर भय के कारण कोई प्रशासन से शिकायत करने में अपनी हिम्मत नहीं जुटा पाता है।

जो भी सूदखोर अपना रजिस्ट्रेशन रिनुअल नहीं करता है तो उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा

जो भी सूदखोर अपना रजिस्ट्रेशन रिनुअल नहीं करता है तो उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। अगर प्रताड़ना की शिकायत मिलती तो छापेमारी कर संबंधित सूदखोर के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

- केहरी सिंह, अपर जिलाधिकारी।

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