काशी में गरीबोंं के लिये मांगते हैं अमीरों से कपड़े, ताकि तन ढंकने के साथ मन से भी निकलें दुआएं
मैंने गरीबी को बहुत नजदीक से देखा है कपड़े व फीस के अभाव में काफी कष्ट का सामना किया हूं मैं नहीं चाहता कि कोई भी बच्चा मेरी तरह फीस व कपड़े के लिए तरसे। जय साजर अपनी जीविका के लिये चोलापुर बाजार में पैथोलाजी खोल रखे हैंं।
वाराणसी [महेश कुमार मिश्रा]। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के होने के कारण फीस जमा न होने पर शिक्षकों द्वारा छठवीं कक्षा से बाहर किये गये विकास खण्ड चोलापुर के उधोरामपुर गांव निवासी जयसागर नें गरीब बच्चों के लिए हर संभव मदद करने की बीड़ा उठा ली। समाज में गरीब बच्चो को ठंड से बचाने के लिये जयसागर नें अमीरों से कपड़े मांगकर जरुरतमंद व गरीब बस्तियोंं के बच्चो में वितरण करने लगे।
पिछले कुछ वर्षोंं से वाराणसी के सारंग तालाब, कुंती बिहार, बंगाली टोला, पुराने पुल, सोयेपुर, टिसौरा के मुसहर बस्ती समेत विभिन्न मुहल्ला व गांवों के दलित बस्ती, बंजारे जातियों, कूड़ा बुनने वाले सैकड़ो गरीब परिवारों के बच्चों को कपड़े दे चुके है। रोज सम्पन्न परिवार, व्यापारी, चिकित्सक व इंग्लिश स्कूल में जाकर गरीब बच्चो के लिये कपड़े व खिलौने मांगते है। जब कपड़ों के गट्ठर तैयार हो जाती है तो गरीब मलिन बस्तियों में निकल पड़ते हैंं, वहां जाकर बच्चों को उनके नाप की कपड़े, जूते, चप्पल, सैंडिल, खिलौने वितरण करते हैं।
जयसागर ने जागरण को बताया कि मैंने गरीबी को बहुत नजदीक से देखा है, कपड़े व फीस के अभाव में काफी कष्ट का सामना किया हूं, मैं नहीं चाहता कि कोई भी बच्चा मेरी तरह फीस व कपड़े के लिए तरसे। जय साजर अपनी जीविका के लिये चोलापुर बाजार में पैथोलाजी खोल रखे हैं, जहां गरीबो की नि:शुल्क सेवा, जांच करते हैंं।
एक रु.का छोटा दान, सबको शिक्षा सबको ज्ञान
जय सागर के दिल में गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए भी कसक बनी रही, पैसे के अभाव में गरीब बच्चे की पढ़ाई कैसे हो इसके लिए आठ वर्ष पूर्व अन्ना आंदोलन के तहत जय सागर की मुलाकात अन्ना टीम से हुआ, और आंदोलन में गुल्लक के माध्यम से चंदा इकट्ठा कर आंदोलन सफल बनाने की योजना को देखकर सीख मिलीी। और जय सागर ने गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए उसी तर्ज पर कार्य करना शुरू कर दिया अपने परिचितों के घर गुल्लक रखना और चंदा इकट्ठा कर गरीब बच्चों के शिक्षा, कपड़ा, कॉपी, किताब व अन्य खर्च के लिए निशुल्क मदद की योगदान करना शुरु हो गया।
दर्जनों परिचितों के यहां गुल्लक रखकर उसमें एक रुपए का दान लोगों द्वारा होने लगा, उस चंदे के पैसे से गरीब बच्चों के शिक्षा मे फीस, किताब, ड्रेस मे सहयोग होने लगी है। जय सागर स्कूलों में जाकर पॉलिथीन बहिष्कार, वृक्षारोपण, पर्यावरण की सुरक्षा समेत दर्जनों सेवा कार्य के प्रति बच्चों को व उनके अभिभावकों को जागरुक करने का कार्य करना दिनचर्या बन गई है।