काशी विश्‍वनाथ कारिडोर निर्माण सनातन धर्म की पुनर्स्थापना के यज्ञ में महत्वपूर्ण आहुति : स्वामी जीतेन्द्रानंद

कारिडोर निर्माण सनातन धर्म की पुनर्स्थापना के यज्ञ में महत्वपूर्ण आहुति है। व्यष्टि परमेष्टि के एकाकार का आध्यात्मिक प्रतीक श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर आज अपने नए स्वरूप में दिख रहा है। यह पंडित दीनदयाल के विचारों का ही प्रतिपुष्टन है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 10:21 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 10:21 AM (IST)
काशी विश्‍वनाथ कारिडोर निर्माण सनातन धर्म की पुनर्स्थापना के यज्ञ में महत्वपूर्ण आहुति : स्वामी जीतेन्द्रानंद
गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती

जागरण संवाददाता, वाराणसी : कारिडोर निर्माण सनातन धर्म की पुनर्स्थापना के यज्ञ में महत्वपूर्ण आहुति है। व्यष्टि परमेष्टि के एकाकार का आध्यात्मिक प्रतीक श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर आज अपने नए स्वरूप में दिख रहा है। यह पंडित दीनदयाल के विचारों का ही प्रतिपुष्टन है। यह कहना है गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती का। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय की पंडित दीनदयाल उपाध्याय पीठ के तत्वावधान में आयोजित ‘श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कारिडोर निर्माण एवं वैश्विक एकात्मकता’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं अमृत महोत्सव सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इस अवसर पर डीएवी के प्राचार्य सत्यदेव सिंह को अमृत महोत्सव सम्मान से सम्मानित किया गया।

विशिष्ट अतिथि धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री नीलकंठ तिवारी ने कहा कि ‘कारिडोर निर्माण का संदेश वैश्विक है। यह काशी के वैभव को नई चमक प्रदान करेगी। प्रदेश सरकार अपने यहां के सभी प्रमुख प्राचीन मंदिरों को विश्व के सबसे सुंदर और दिव्यतम मंदिरों में सम्मिलित करने हेतु प्रयासरत है।’

प्राचार्य सत्यदेव सिंह ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता का आंदोलन जिस स्व के उत्थान के लिए था, उसका स्पष्ट दर्शित रूप यह कारिडोर है। यह भारत के स्वाभिमान के प्रतीक को भव्यता प्रदान कर सांस्कृतिक प्रवाह को सतत रखने का अभिनव कार्य है। आरंभ में विषय स्थापना एवं स्वागत संकाय प्रमुख कौशल किशोर मिश्र ने किया। अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलसचिव नीरज त्रिपाठी ने की। अशोक पांडेय, अरविंद मिश्र, जितेंद्रनाथ मिश्र, विवेकशंकर तिवारी और विजय शंकर रस्तोगी ने अपने विचार रखे। सभी वक्ताओं को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

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