वाराणसी में आइआइवीआर दे रहा भिंडी, फ्रेंचबीन, किचन गार्डन पैकेट, कलमी साग और बैगन का पौध

अनुसूचित जाति उप योजना के तहत भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी के वैज्ञानिक पोषण सुरक्षा एवं आर्थिक उन्नति के लिए सब्जी बीजों के मिनी किट एवं पौधे बांंट रहे हैं। इसके तहत मीरजापुर के मडिहान तहसील के किसानों को भी यह किट वितरित किया गया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 09:41 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 09:41 AM (IST)
वाराणसी में आइआइवीआर दे रहा भिंडी, फ्रेंचबीन, किचन गार्डन पैकेट, कलमी साग और बैगन का पौध
मीरजापुर के मडिहान तहसील के किसानों को भी यह किट वितरित किया गया है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। अनुसूचित जाति उप योजना के तहत भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के वैज्ञानिक पोषण सुरक्षा एवं आर्थिक उन्नति के लिए सब्जी बीजों के मिनी किट एवं पौधे बांंट रहे हैं। इसके तहत मीरजापुर के मडिहान तहसील के किसानों को भी यह किट वितरित किया गया है।

संस्थान अनुसूचित जातियों को इनके आर्थिक विकास पर विशेष ध्यान देने के लिए उच्च कृषि तकनिकी एवं गुणवत्ता वाली सब्जियों के बीज जैसे भिंडी, फ्रेंचबीन, किचन गार्डन पैकेट, कलमी साग एवं बैगन की पौध तथा मूंग के बीज का वितरण कर रहा है। संस्थान के निदेशक डा. टीके बेहेरा के निर्देशन में यह अभियान चल रहा है। कार्यक्रम के उपयोगिता के बारे में संस्थान के कार्यप्रभारी निदेशक डा. जगदीश सिंह ने बताया कि सब्जियों के समावेश से न केवल पोषण सुरक्षा होगी बल्की कृषि विविधिकरण लाने में सहायक होगा।

कलमी साग (करेमू) की खेती की उपयोगिता को बताते हुए डा. सिंह ने कहा कि इससे छोटे-मझोले किसानों को पुरे साल भर पत्तेदार हरी सब्जी की उपलब्धता के साथ कमाई भी होती रहेगी। संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. राकेश कुमार दुबे ने अल्प जोत में अधिक उत्पादन संबंधी विविधि कार्यक्रम, लाभार्थियों की भूमि में फल एवं सब्जी की खेती आरंभ करना एवं उत्पाद के विपणन में लोगों को प्रशिक्षित करना तथा संदर्भित लघु नर्सरी के बारे में भी बताया। अनुसूचित जातियों के लिए उदयमिता विकास प्रशिक्षण, मधुमक्खी पालन, नए शिल्प कार्यक्रमों की शुरूआत, पारिवारिक उपार्जन में सुधार के लिए बनाई गई योजनाओं में अनुसूचित जाति महिलाओं को प्रशिक्षण, सुधार कार्यक्रमों के बारे में भी वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. दुबे ने विस्तार से जानकारी दी।

अल्प प्रचलित सब्जियों जैसे पंखियाँ सेम, ग्वालिन, बाकला, बेबीकॉर्न, सब्जी सोयाबीन, कमल, सिंघारा, कलमी साग की खेती, जैविक खेती, बागवानी व मछली पालन जैसी सहायक गतिविधियों से होने वाले लाभ के बारे में वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं कार्यक्रम के सह समन्वक ने विस्तार से किसानों को जानकारी दी। इस मौके पर डा. डीआर भारद्वाज, तकनिकी अधिकारी आशुतोष गोस्वामी, राम आश्रय, मनीष कुमार सिंह, संदीप कुमार, शिवशंकर, पीएम मौर्या आदि की उपस्थिति रही।

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