मनोरोगी की आत्महत्या अपराध नहीं तो मिले बीमा राशि, आइआरडीए के आदेश को नहीं मान रहीं कंपनियां

स्वास्थ्य संबंधित बीमा कंपनियां अब तक मनोरोग के इलाज की खातिर भी किसी तरह का भुगतान नहीं कर रही हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 24 Jun 2020 11:13 PM (IST) Updated:Wed, 24 Jun 2020 11:13 PM (IST)
मनोरोगी की आत्महत्या अपराध नहीं तो मिले बीमा राशि, आइआरडीए के आदेश को नहीं मान रहीं कंपनियां
मनोरोगी की आत्महत्या अपराध नहीं तो मिले बीमा राशि, आइआरडीए के आदेश को नहीं मान रहीं कंपनियां

वाराणसी [सौरभ चंद्र पांडेय]। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद एक बार फिर मनोरोग को बीमा के दायरे में लाने का दबा मुद्दा सुर्खियों में आ गया है। सवाल बड़ा है जिस मनोरोग से लोगों में जान लेने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है उसे आत्महत्या के रूप में कैसे देखा है। अगर, ऐसा है तो फिर बीमा कंपनियां रिस्क कवर देने से क्यों कतरा रही हैं। हालात ऐसे हैं कि स्वास्थ्य संबंधित बीमा कंपनियां अब तक मनोरोग के इलाज की खातिर भी किसी तरह का भुगतान नहीं कर रही हैं। ऐसे में जीवन बीमा से जुड़ी कंपनियां पॉलिसी के एवज में संबंधित को कितना और कब लाभ देंगी, अभी दूर की कौड़ी नजर आ रही है। हालांकि कोर्ट में मामला लंबित होने से नई उम्मीद जगी है।

मेंटल हेल्थ केयर एक्ट 2017 की धारा 21 (4) का अनुसरण करते हुए इंश्योरेंश रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (आइआरडीए) ने 29 मई 2018 को सभी स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को मानसिक बीमारियों को स्वास्थ्य बीमा में कवर करने के लिए गाइडलाइन जारी किया था। इसके बाद से कंपनियों ने अपने पॉलिसी प्लान में संशोधन करना शुरू कर दिया है जिससे मानसिक रोगियों में एक उम्मीद जगी है। कुछ निजी स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के अधिकारियों ने बताया कि कंपनी की ओर से कोई स्पष्ट गाइडलाइन जारी नहीं किया गया है।

जीवन बीमा कंपनियों में है विशेष प्रावधान

आत्महत्या के मामलों में जीवन बीमा कंपनियों का विशेष नियम है। भारतीय जीवन बीमा निगम के एक मुख्य बीमा सलाहकार के मुताबिक बीमा खरीदने के एक वर्ष के भीतर यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या जैसे कदम उठाता है तो वह बीमा शर्तों के मुताबिक क्लेम के दायरे में नहीं आता है। इसके अलावा दूसरे वर्ष से कंपनी की शर्तों के आधार पर उसे क्लेम दिया जाता है।

पांडेयपुर निवासी एक 55 वर्षीय महिला जो किसी कारणवश डिप्रेशन की मरीज हो गईं है। उनका इलाज रवींद्रपुरी स्थित एक चिकित्सक के यहां चलता है। स्वास्थ्य बीमा खरीदने के बाद भी कंपनी द्वारा उन्हें किसी प्रकार का क्लेम नहीं मिला है।  डा. अमरेंद्र कुमार सिंह के अनुसार आत्महत्या कोई बीमारी नहीं है। समाज में इसके कई कारण हैैं जिससे लोग तनावग्रस्त होकर इस प्रकार का कदम उठाते हैैं। अब यह अपराध की श्रेणी में नहीं माना जाता है।

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