जौनपुर जिले में अपने दादा की विरासत को संभालते उन्नतशील खेती कर बनाई पहचान

दादा से विरासत में मिली किसानी में भाग्य आजमाया। आज न सिर्फ अच्छी कमाई कर रहे बल्कि व्यावसायिक खेती में माडल किसान के रूप में पहचान बना चुके हैं केराकत तहसील क्षेत्र के भैंसा गांव निवासी गौरव पाठक।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 04:00 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 04:00 PM (IST)
जौनपुर जिले में अपने दादा की विरासत को संभालते उन्नतशील खेती कर बनाई पहचान
खेती में माडल किसान के रूप में पहचान बना चुके हैं केराकत तहसील क्षेत्र के भैंसा गांव निवासी गौरव पाठक।

जागरण संवाददाता, जौनपुर। दादा से विरासत में मिली किसानी में भाग्य आजमाया। आज न सिर्फ अच्छी कमाई कर रहे, बल्कि व्यावसायिक खेती में माडल किसान के रूप में पहचान बना चुके हैं केराकत तहसील क्षेत्र के भैंसा गांव निवासी गौरव पाठक। दादा के बुजुर्ग होने के बाद खेती की कमान संभाल ली और देश के विभिन्न संस्थानों से खेती की तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त कर व्यावसायिक खेती कर रहे हैं। एक एकड़ खेत में परवल की खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं। गौरव बीएचयू से एलएलबी की शिक्षा ग्रहण करने के बाद परिवार की जिम्मेदारी संभालने के साथ ही दिव्यांग माता-पिता के लिए श्रवण कुमार की भूमिका निभा रहे हैं। पिता दोनों आंखों से दिव्यांग व मां बोल नहीं पाती। उनकी मेहनत व परवरिश का परिणाम है कि छोटा भाई उच्च शिक्षा ग्रहण करके बीएचयू में प्रोफेसर पद हासिल कर लिया है। गौरव बेरोजगारी की मार झेल रहे क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं।

गौरव पाठक के दादा मेवालाल पाठक का कृषि में काफी रुचि थी। ऐसे में इसे इन्होंने जीविकोपार्जन का माध्यम बना लिया। गौरव के पिता राजेश पाठक दोनों आंखों से दिव्यांग व माता सुधा पाठक बोलने, सुनने में अक्षम हैं। दादा के बुजुर्ग होने पर उन्हें इस बात की चिंता थी कि अब कौन विरासत संभालेगा। दादा के मनोभाव को देख व घर की परिस्थिति के कारण गौरव ने बीएचयू से एमकाम व एलएलबी की शिक्षा ग्रहण करने के बाद किसानी शुरू कर दी। आज नवीनतम तकनीक और परिश्रम से सब्जी की व्यावसायिक खेती कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं।

सीखा खेती के आधुनिक तकनीक का गुर : गौरव पाठक ने अपने दादा से खेतीबारी की ककहरा सीखा। उसके बाद रोजगारपरक खेती के लिए बकायदा 2018 में कृषि अनुसंधान केंद्र अमहित से सब्जी उत्पादन व सितंबर 2019 में बकरी पालन का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद मुख्य वैज्ञानिक डा. नरेंद्र सिंह रघुवंशी के निर्देशन में सब्जियों की खेती शुरू की। उन्हीं की सलाह पर अगस्त 2019 राजकीय कृषि विद्यालय गोरखपुर में बांस की खेती को लेकर भी प्रशिक्षण लिया।

एक एकड़ परवल की खेती से कमाया दो लाख : गौरव पाठक ने बताया कि दो एकड़ जमीन है। प्रशिक्षण लेकर परंपरागत खेती से अलग सब्जियों की खेती शुरू की। एक एकड़ में देसी परवल की खेती किया हूं। एक दिन के अंतराल पर 40 से 50 किलो परवल निकल जाता है। जिसे केराकत की मंडी में बेचकर एक साल में दो लाख रुपये कमाई की। इसके अलावा कोहड़ा, बैगन आदि सहफसली खेती से अच्छी आमदनी हो जाती है। उनकी खेती देख आस-पास के बेरोजगार युवा भी सलाह लेने आते हैं।

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