कोरोना वायरस के खिलाफ भारतीयों की कवच बनेगी हाइब्रिड इम्युनिटी

भारत अब हाइब्रिड इम्युनिटी के दौर में हैं। कुछ लोगों को नेचुरल इंफेक्शन से और कुछ को वैक्सीन की खुराक से इम्युनिटी हासिल हो चुकी है। एक तरह से देश में हाइब्रिड इम्युनिटी तैयार हो चुकी है। यह कोरोना वायरस के खिलाफ सबसे टिकाऊ इम्युनिटी प्रदान करती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 01:06 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 01:06 PM (IST)
कोरोना वायरस के खिलाफ भारतीयों की कवच बनेगी हाइब्रिड इम्युनिटी
ओमिक्रोन के मामले भारत में मिलने लगे हैं।

प्रो ज्ञानेश्वर चौबे। विज्ञानियों ने महीनों पहले भविष्यवाणी की थी कि कोविड-19 एंडेमिक बनकर रह जाएगी। इसका आशय है कि आने वाले वर्षो में यह वायरस वैश्विक आबादी में घूमता रहेगा और गैर प्रभावित जगहों पर अपना प्रकोप फैलाता रहेगा। 2021 के अंत तक इस संकट के खत्म होने की बात भी कही गई थी। लेकिन नए ओमिक्रोन वैरिएंट ने बता दिया कि लड़ाई अभी जारी है। यह बदलाव इतना सहज नहीं होने वाला है। हम दो लहरों को ङोल चुके हैं और इस कारण बड़ी संख्या में लोग संक्रमित होकर ठीक भी हो चुके हैं।

ओमिक्रोन वैरिएंट को लेकर इस तरह की दहशत ठीक नहीं है। सतर्कता और बचाव जरूरी है। इसका पालन करते रहें। ओमिक्रोन को समझने में अभी समय लगेगा। विज्ञानियों का दल इस गुत्थी को सुलझाने में लगा है। इसके मूलस्थान दक्षिण अफ्रीका पर गौर करें तो संक्रमण दर तो काफी तेज है, मगर लोगों की सेहत पर इसका गंभीर असर पड़ता नहीं दिख रहा है। कुछ यूरोपीय देशों को छोड़ दें तो कोरोना वायरस का सबसे खतरनाक वैरिएंट डेल्टा का कहर जब अपने अवसान पर था, तभी अफ्रीका के ओमिक्रोन ने चिंता बढ़ा दी। हमें यह समझना होगा कि प्रकृति में म्युटेशन एक सामान्य प्रक्रिया है। किसी भी संक्रामक वायरस में समय-समय पर म्युटेशन होते ही रहेंगे। यह 32 स्पाइक म्युटेशन वाला वैरिएंट है, जिनमें डेल्टा वाले म्युटेशन भी पाए गए हैं।

शुरुआती दिनों में हुए संक्रमण के आधार पर कंप्यूटर सिमुलेशन (किसी चीज के व्यवहार या परिणाम का गणितीय आकलन) करके ओमिक्रोन को डेल्टा वैरिएंट से कई गुना ज्यादा घातक बता दिया गया। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद होने लगीं और अफवाहों का दौर शुरू हो गया। विज्ञान कहता है कि संक्रमण शुरू होने के कम से कम दो हफ्ते बाद ही ऐसे सिमुलेशन का कोई वैज्ञानिक आधार होता है। ऐसे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। ओमिक्रोन के अभी तक के उपलब्ध सीक्वेंस डाटा पर गौर करें तो इस वैरिएंट का पहला संस्करण मई 2020 में आ चुका था। किसी इम्युनोकंप्रोमाइज्ड (प्रतिरक्षा में अक्षम) रोगी में लंबे समय तक रहकर यह वायरस म्युटेशन पर म्युटेशन करता रहा और एक असाधारण स्वरूप में बाहर आया।

वायरस जब किसी व्यक्ति को संक्रमित करता है तो अपनी संख्या बढ़ाता है, जिससे म्युटेशन होने और नए वैरिएंट के पैदा होने की आशंका बढ़ जाती है। अब भी वैरिएंट को रोकने का मुख्य तरीका वैश्विक टीकाकरण ही है, जिसमें भारत की तरह पूरे विश्व को सहयोग भावना दिखानी होगी। अगर हम भारत के लोगों पर इस वैरिएंट के प्रभाव की बात करें, तो यहां लगभग 60-70 फीसद लोग वायरस से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं। इनमें भी बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन की दोनों खुराक लग चुकी है। ऐसे लोगों को हाइब्रिड इम्युनिटी की श्रेणी में रखा जाता है। हाइब्रिड इम्युनिटी कोरोना वायरस के संक्रमण के खिलाफ उच्चतम और सबसे टिकाऊ इम्युनिटी प्रदान करती है। इसके साथ ही विगत वर्ष किए गए शोध बताते है कि मात्र 5-10 फीसद लोगों में ही दोबारा संक्रमण पाया गया है। अत: भारत में इस वैरिएंट का भविष्य इस पर निर्भर करेगा है कि यह हमारी प्रतिरोधक क्षमता से कैसे पार पाता है?

अब ओमिक्रोन के मामले भारत में मिलने लगे हैं तो हमें इस पर काबू पाने के लिए दुरुस्त व्यवस्था अपनानी होगी। बीते दो वर्षो में हमने सुरक्षा के काफी उपाय सीखे। इसे आत्मसात करते हुए एक ही फामरूले पर काम करना होगा-‘संक्रमण नहीं तो नए वैरिएंट भी नहीं।’ एक चिंता उनकी है जो न तो संक्रमित हुए और न ही वैक्सीन लगवाई। ये वो लोग हैं जो कि नए वैरिएंट के आसानी से शिकार हो जाएंगे। इससे भविष्य में टीके का प्रतिरोधी वैरिएंट भी जन्म ले सकता है, जो पुन: हमें वहीं पंहुचा सकता है जहां से इस वायरस के खिलाफ हमने युद्ध शुरू किया था।

[जीन विज्ञानी, जंतु विज्ञान विभाग, बीएचयू, वाराणसी] 

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