वाराणसी नगर निगम ने की पहल, छत पर होगी बागवानी तो दो फीसद गृहकर छूट के हकदार
शहरी इलाके में पर्यावरण बेहतर रखने के लिए नगर निगम अधिनियम में कई प्रविधान किए गए हैं। इसमें भवनों में बागवानी के साथ ही रेन वॉटर हार्वेस्टिंग व पार्किंग के लिए स्थान सुनिश्चित पर गृहकर में छूट की नियम बनाएं हैं।
वाराणसी, जेएनएन। शहरी इलाके में पर्यावरण बेहतर रखने के लिए नगर निगम अधिनियम में कई प्रविधान किए गए हैं। इसमें भवनों में बागवानी के साथ ही रेन वॉटर हार्वेस्टिंग व पार्किंग के लिए स्थान सुनिश्चित पर गृहकर में छूट की नियम बनाएं हैं लेकिन प्रशासनिक अफसरों की उदासीनता से ये अधिनियम अब तक ठंडे बस्ते में थे लेकिन जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहेज लें बारिश की हर बूंदें का नारा देते हुए जनता से अपील की है तब से नगर निगम ने भी ठंडे बस्ते में रखे अधिनियम को बाहर निकाला है।
तय किया है कि जो भी भवन स्वामी बागवानी करेंगे, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाएंगे और पार्किंग की सुविधा विकसित करेंगे तो उन्हें गृहकर में दो फीसद छूट दी जाएगी। नगर आयुक्त गौरांग राठी ने अफसरों को आदेशित किया है कि नगर निगम अधिनियम में पर्यावरण के लिए प्रोत्साहित करने वाले नियम को सख्ती से लागू किया जाए। इसके लिए नए सिरे से सर्वे कराया जाए। भवन स्वामियों से भी दावा दाखिल करने के लिए अपील की जाए। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी पीके द्विवेदी ने बताया कि बागवानी छत पर भी हो तो भवन स्वामी छूट के लिए नगर निगम में दावा दाखिल कर सकता है। बताया कि नगर निगम अधिनियम में तय मानक के अनुसार गमले में फल-फूल के पौधों के साथ परिसर में यदि पांच बड़े वृक्ष हैं तो भवन स्वामी बागवानी का दावा कर सकता है। वह गृहकर में दो फीसद गृहकर में छूट का हकदार होगा। उन्होंने कहा कि रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाया है तो छूट का लाभ लेने के लिए आगे आए।
भवन स्वामियों को पूर्णता प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा
रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के बाद छूट के लिए बागवानी होने की बाध्यता नहीं होगी। यही नियम पार्किंग के लिए भी लागू होती है। वहीं, वाराणसी विकास प्राधिकरण की ओर से भी प्रविधान किया गया है कि तीन सौ वर्गमीटर क्षेत्रफल में भवन निर्माण पर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग जरूरी है। ऐसा नहीं करने वाले भवन स्वामियों का नक्शा पास नहीं होगा। यदि नक्शे में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का वादा किया है और मौके पर नहीं लगाया है तो ऐसे भवन स्वामियों को पूर्णता प्रमाण पत्र नहीं दिया जाएगा। नक्शा स्वीकृत होने के बाद भी वह निर्माण अवैध माना जाएगा।