बैगर परीक्षा के प्रमाेट करने की जगी उम्मीद, काशी विद्यापीठ व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों ने कुलाधिपति को लिखा पत्र

कोरोना महामारी के देखते हुए यूजीसी ने बगैर परीक्षा के छात्राें को प्रमोट करने का फैसला विश्वविद्यालय पर ही छोड़ दिया है। कोविड काल को देखते विश्वविद्यालय इस वर्ष स्नातक व स्नातकोत्तर अंतिम खंड के विद्यार्थियों को छोड़ कर प्रमोट कर सकता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 06:20 AM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 09:50 AM (IST)
बैगर परीक्षा के प्रमाेट करने की जगी उम्मीद, काशी विद्यापीठ व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों ने कुलाधिपति को लिखा पत्र
महामारी के देखते हुए यूजीसी ने बगैर परीक्षा के छात्राें को प्रमोट का फैसला विश्वविद्यालय पर ही छोड़ दिया है।

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना महामारी के देखते हुए यूजीसी ने बगैर परीक्षा के छात्राें को प्रमोट करने का फैसला विश्वविद्यालय पर ही छोड़ दिया है। कोविड काल को देखते विश्वविद्यालय इस वर्ष स्नातक व स्नातकोत्तर अंतिम खंड के विद्यार्थियों को छोड़ कर प्रमोट कर सकता है। यूजीसी के इस निर्णय ने स्नातक प्रथम व द्वितीय खंड तथा स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर के छात्रों में बगैर परीक्षा के प्रमोट होने की उम्मीद जगी है। हालांकि शासन के निर्देश पर ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

दूसरी ओर छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर बगैर परीक्षा के अगली कक्षा में प्रोन्नत करने के लिए दबाव बनना शुरू कर दिया है। इस संबंध में छात्रसंघ महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के अध्यक्ष विमलेश यादव ने कुलाधिपति को भी पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कुलाधिपति से कहा है कि कोरोना महामारी के दौर में परीक्षाओं का आयोजन छात्रों के लिए घातक साबित हो सकता है। ऐसे में इस वर्ष भी बगैर परीक्षा के छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट कराने का आदेश देने का अनुरोध किया है। इसकी प्रतिलिपि कुलपति व कुलसचिव को भी दी है। इसी प्रकार छात्रसंघ, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के महामंत्री शिवम चौबे ने भी कुलाधपति/राज्यपाल से छात्रों को बगैर परीक्षा के अगली कक्षा में प्रमोट करने का अनुरोध किया है। दूसरी ओर दोनों विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों का कहना कि बगैर परीक्षा के प्रमोट करना नीतिगत प्रकरण है। शासन के निर्देश पर ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

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