मानदेय का मुद्दा : वाराणसी में वित्तविहीन विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियां अवैध होने के कारण लाभ से वंचित

सभी वित्तविहीन शिक्षकों की सेवा शर्तें सुनिश्चित किया जाए जिससे कि शिक्षकों के मन में व्याप्त भय व असुरक्षा की भावना को समाप्त किया जा सके। विश्वास है कि जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा शासनादेश के अनुसार यथोचित कार्रवाई कर वित्तविहीन शिक्षकों के साथ न्याय किया जाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 04:55 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 04:55 PM (IST)
मानदेय का मुद्दा : वाराणसी में वित्तविहीन विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियां अवैध होने के कारण लाभ से वंचित
वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के मानदेय का मुद्दा पिछले एक दशक से चल रहा है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के मानदेय का मुद्दा पिछले एक दशक से चल रहा है। सूबे के विभिन्न शिक्षक संगठन लगातार सरकार पर नियमावली बनाने का दबाव बनाए हुए हैं। वित्तविहीन शिक्षकों की सरकार भी सहमत हो गई है। वहीं दूसरी ओर यह भी सच है कि वित्तविहीन विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति मनमाने तरीके से की गई है। अब तक वित्तविहीन विद्यालयों में शिक्षकों की पूरी तरह अवैध हैं। यही कारण है कि वित्तविहीन शिक्षकों तमाम लाभ से वंचित है।

इस संबंध में शिक्षक नेता सुधांशु शेखर त्रिपाठी संयुक्त शिक्षा निदेशक व जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय को पत्रक भी सौंपा है। इसमें कहा गया है कि माध्यमिक शिक्षा अधिनियम 1921 की धारा-7(कक)-3 के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 10 अगस्त 2001 को वित्तविहीन शिक्षकों की सेवा शर्तों के संबंध में एक शासनादेश जारी किया था। इसके बावजूद शासनादेश के अनुरूप वित्तविहीन विद्यालयों में किसी भी अंशकालिक व वित्तविहीन शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है। इसके चलते किसी भी शिक्षक को भविष्य निधि या जीवन बीमा की कोई योजना को भी लागू नहीं किया जा सका है। यदि शासनादेश के अनुसार वित्तविहीन शिक्षकों की नियुक्तियां की जाती हैं तो उनकी सेवाएं सुरक्षित हो जाएगी। उन्होंने दावा किया है कि शासनादेश के अनुसार नियुक्ति नहीं होने के कारण ही जनपद की सभी वित्तविहीन शिक्षकों की नियुक्तियां अवैध है।

उन्होंने जिला विद्यालय निरीक्षक अनुरोध किया है कि वित्तविहीन शिक्षकों को प्रबंधकों के शोषण व उनके भय से बचाने के लिए उनकी नियुक्ति शासनादेश के अनुसार करने हेतु सभी प्रबंधकों को नियमानुसार निर्देश जारी किया जाए। कहा कि विगत वर्ष भी जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा प्रबंधकों को शासनादेश के अनुसार कार्यवाही किए जाने के संदर्भ में एक विभागीय आदेश जारी किया गया था। इसके बावजूद प्रबंधकों ने मनमाने तरीके से वित्तविहीन शिक्षकों का चयन किया। इसे देखते हुए गत 22 अक्टूबर 2006 के शासनादेश से वित्तविहीन शिक्षकों की पत्रावलियों को भी जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में रखने की बात कही गई है परन्तु आज तक किसी भी वित्त विहीन शिक्षक की नियुक्ति से संबंधित पत्रावली या सूचनाएं कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। उन्होंने मांग की है कि 10 अगस्त 2001 8 22 अक्टूबर 2006 के शासनादेश के अनुसार सभी वित्तविहीन शिक्षकों की सेवा शर्तें सुनिश्चित किया जाए, जिससे कि शिक्षकों के मन में व्याप्त भय व असुरक्षा की भावना को समाप्त किया जा सके। विश्वास है कि जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा शासनादेश के अनुसार यथोचित कार्रवाई कर वित्तविहीन शिक्षकों के साथ न्याय किया जाएगा।

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