गांधी साहित्य के मर्मज्ञ हिंदी साहित्यकार शिवकरण सिंह का निधन, दो दर्जन से ज्यादा रचनाओं पर चलाई लेखनी

गांधी साहित्य के मर्मज्ञ हिंदी साहित्य के विद्वान प्रो. शिव करण सिंह का निधन शनिवार की भोर में हो गया। वे 92 वर्ष के थे। वे काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्हें अस्वस्थता की अवस्था में रवींद्रपुरी स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था।

By saurabh chakravartiEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 10:37 AM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 10:54 AM (IST)
गांधी साहित्य के मर्मज्ञ हिंदी साहित्यकार शिवकरण सिंह का निधन, दो दर्जन से ज्यादा रचनाओं पर चलाई लेखनी
गांधी साहित्य के मर्मज्ञ हिंदी साहित्य के विद्वान प्रो. शिव करण सिंह का निधन हो गया।

वाराणसी, जेएनएन। गांधी साहित्य के मर्मज्ञ हिंदी साहित्य के विद्वान प्रो. शिव करण सिंह का निधन शनिवार की भोर में हो गया। वे 92 वर्ष के थे। वे काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्हें अस्वस्थता की अवस्था में रवींद्रपुरी स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था जहां उन्होंने भोर में साढ़े तीन बजे अंतिम सांस ली। वे अपने पीछे एक चिकित्सक पुत्र व बहू और पत्नी समेत छह पुत्रियों का भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं।उनका अंतिम संस्कार हरिश्चंद्र घाट पर किया जाएगा। निधन की खबर सुनकर साहित्यकारों में शोक व्याप्त हो गया।

प्रो.सिंह ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में लगभग 35 वर्षों तक हिंदी विभाग में अध्यापन कार्य किया। अपने अध्यापन शैली से छात्र- छात्राओं में प्रिय रहे प्रो. सिंह ने अपने अध्यापन काल व सेवानिवृत्ति के बाद भी अध्ययन-अध्यापन व लेखन का कार्य जारी रखा। उन्होंने दर्जनों कविताओं, आलोचनाओं, नाटक-एकांकियों व उपन्यासों की रचनाएं की। उपन्यास शैली में लिखित उनकी रचना मोहन से महात्मा और सर्वात्मा तक पीएम नरेंद्र भाई मोदी को उन्होंने समर्पित की। उनकी इच्छा थी कि यह उपन्यास वे प्रधानमंत्री मोदी को स्वयं दें। इसके अलावा उन्होंने

खोज अभी जारी है ,आगे अंधा मोड़ है, अतः किम्, यक्ष-प्रश्न, दशा और दिशा, तीन छोटे नाटक, काला कानून , तो सुर बने हमारा, मेरी भी सुनो (काव्य संग्रह ), हे राम , पन्द्रह एकांकी , अंधेरे मे कविता का पुनर्मूल्याकन, आलोचना के आधुनिकवाद और नई समीक्षा , जीवन सत्यशोधनम्, लिख लोढ़ा-पढ़ पत्थर , अस गांव-पस गांव आदि रचनाएं लिखीं। उनके निधन पर प्रगतिशील लेखक संघ उत्तर प्रदेश के संरक्षक व प्रख्यात कथाकार डॉक्टर काशीनाथ सिंह, उपाध्यक्ष डॉक्टर गया सिंह, डॉक्टर जितेंद्र नाथ मिश्र अजय अनजान ने शोक व्यक्त किया है।

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