हैलो डाक्टर : बदलते मौसम में नवजात की करें विशेष देखभाल, वाराणसी के ईएसआइसी अस्पताल की डा. स्वाति वर्मा ने दी सलाह

मौसम का संक्रमण काल बहुत ही एहतियात मांगता है। खास कर गर्भवती प्रसूता और नवजात के मामले में तो बेहद ही सतर्क रहने की जरूरत है। इस अवस्था में उनका समूचा शारीरिक सिस्टम बदला रहता है। ठंड और गर्मी मिश्रित मौसम उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 11:19 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 11:19 AM (IST)
हैलो डाक्टर : बदलते मौसम में नवजात की करें विशेष देखभाल, वाराणसी के ईएसआइसी अस्पताल की डा. स्वाति वर्मा ने दी सलाह
वाराणसी में दैनिक जागरण के हैलो डाक्टर कार्यक्रम में पाठकों को फोन पर सलाह दी।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। मौसम का संक्रमण काल बहुत ही एहतियात मांगता है। खास कर गर्भवती, प्रसूता और नवजात के मामले में तो बेहद ही सतर्क रहने की जरूरत है। इस अवस्था में उनका समूचा शारीरिक सिस्टम बदला रहता है। इस हाल में ठंड और गर्मी मिश्रित मौसम उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे में शाम से लेकर सुबह तक जब मौसम में ठंड घुली हो तो गर्भवती, प्रसूता व नवजात को शीत से बचाने का जतन करना चाहिए। लापरवाही नवजात को निमोनिया की ओर ले जा सकती है। गर्भवती को या प्रसूता की सेहत भी बिगाड़ सकती है। कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. स्वाति वर्मा ने दैनिक जागरण के हैलो डाक्टर कार्यक्रम में पाठकों को फोन पर कुछ ऐसी ही सलाह दी। कहा, गर्भवती महिला को ठंडी व मच्छर से बचना चाहिए। साथ ही पोषण युक्त भोजन लें।

बच्चे को छह माह तक बच्चे को सिर्फ मां का दूध दें , दोनों ठीक रहेंगे

बच्चे को कम से कम छह माह तक नियमित रूप से स्तनपान कराना चाहिए। यह मां व बच्चा दोनों के लिए लाभदायक होता है। बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। आइक्यू लेवल बढ़ता है और बच्चा स्मार्ट होता है। आगे चलकर मोटापा व हाइपर टेंशन का भी खतरा कम होता है। मां का वजन संतुलित रहता है। अंडाशय या ब्रेस्ट कैंसर का भी खतरा न के बराबर रहता है।

- प्रसव के बाद खानपान में क्या एहतियात रखें

-सामान्य या सिजेरियन डिलीवरी के करीब एक सप्ताह बाद से हर सुपाच्य व पौष्टिक भोजन, दूध का सेवन करना शुरू कर देना चाहिए।

-माहवारी अनियमित है, सिर-कमर में दर्द व चक्कर आ रहा, क्या करें?

-मासिक धर्म में बदलाव हो या सिर-कमर दर्द व चक्कर आना तो तत्काल स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें ताकि समय रहते उचित उपचार किया जा सके।

-दूर रहने वाले मरीजों को ईएसआइसी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचना हो तो क्या व्यवस्था है?

-अगर मरीज ईएसआइसी बीमा धारक है तो 24 घंटे इमरजेंसी व लेबर रूम की सेवा ले सकता है। इमरजेंसी में कही रेफर करना होता है तो एंबुलेंस भेजी जाती है।

-मेरी पत्नी की डिलीवरी की डेट नजदीक है। क्या एहतियात रखी जाए?\\B

-प्रसूति विशेषज्ञ से दिखवा लें ताकि अल्ट्रा साउंड व जांच कर देख लिया जाए कि कोई समस्या तो नहीं है। हर हाल में कोशिश करें कि डिलिवरी अस्पताल में हो। इससे जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित रहेंगे।

-पत्नी गर्भवती है, बहुत कमजोर है, डाक्टर ने कहा प्रसव सिजेरियन से होगा, क्या करें?\\B

-सिजेरियन प्रसव में भी कोई घबड़ाने की जरूरत नहीं। जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिहाज से इसकी सलाह दी जाती है। यह जरूर है कि सिजेरियन डिलिवरी के बाद ब्लीडिंग का खतरा रहता है। इसलिए पहले से ही ब्लड डोनर की व्यवस्था रखनी चाहिए।

-ईएसआइसी अस्पताल में मरीजों के लिए क्या-क्या सुविधाएं बढ़ गईं है?\\B

-गायनी की ओपीडी के साथ ही नार्मल व सिजेरियन डिलिवरी की भी 24 घंटे सुविधाएं है। इमरजेंसी सेवा भी चल रही है। आगे चलकर एडवांस उपकरण भी आने वाले हैं।

-ईएसआइसी अस्पताल में क्या गैर बीमा धारक भी उपचार पा सकते हैं?

-गैर बीमित व्यक्ति भी यहां पर 10 रुपये की पर्ची कटाकर विभिन्न रोगों के डाक्टर से परार्मश की सेवा ले सकते हैं। उनके लिए अलग से रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था है।

सिजेरियन के बाद लें दूध व अन्य पौष्टिक आहार

डा. स्वाति बताती हैं कि अक्सर ऐसे मामले देखे जा रहे है कि जिस महिला की सिजेरियन डिलिवरी हुई उसके परिजन दूध पीने या अन्य पौष्टिक आहार सेवन करने से रोक रहे हैं, जबकि यह सही नहीं है। सप्ताह भर के बाद दाल-रोटी, साबूदाना, सोंठ के लड्डू, अछवानी आदि का सेवन कर सकते हैं। इससे मां के साथ ही बच्चे को भी पोषक तत्व मिलेगा।

chat bot
आपका साथी