ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्‍वनाथ मंदिर मामले की सुनवायी फ‍िर टली, 20 फरवरी नई तिथि मुकर्रर

वाराणसी जिले में चर्चित ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्‍वनाथ मंदिर मामले की सुनवायी शनिवार की सुबह टल गई। इस बाबत जिला जज ओमप्रकाश त्रिपाठी ने अग्रिम सुनवाई के लिए आगामी 20 फरवरी की नई तिथि मुकर्रर की है।

By Abhishek sharmaEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 01:11 PM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 01:11 PM (IST)
ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्‍वनाथ मंदिर मामले की सुनवायी फ‍िर टली, 20 फरवरी नई तिथि मुकर्रर
ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्‍वनाथ मंदिर मामले की सुनवायी शनिवार की सुबह टल गई।

वाराणसी, जेएनएन। ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्‍वनाथ मंदिर मामले की सुनवायी शनिवार की सुबह टल गई। इस बाबत जिला जज ओमप्रकाश त्रिपाठी ने अग्रिम सुनवाई के लिए आगामी 20 फरवरी की नई तिथि मुकर्रर की है। इससे पूर्व अंजुमन इंतजामिया व सुुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल याचिका पर शनिवार को सुनवाई होनी थी।  

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जिला जज ओमप्रकाश त्रिपाठी की अदालत में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से दाखिल निगरानी याचिका पर शनिवार को सुनवाई होनी थी। ज्ञात हो कि बीते चार जनवरी को इस याचिका पर सुनवाई होनी थी किन्तु एक अधिवक्ता के निधन के कारण सुनवाई टल गई थी। इसके पूर्व  जिला जज की अदालत में सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया मसाजिद तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ताओं ने इस मुकदमे में हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में जारी स्थगन आदेश का हवाला देकर निचली अदालत से पत्रावली तलब करने की अपील की थी।

वहीं इस अपील पर पक्षकार प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वादमित्र द्वारा आपत्ति जताई गई थी। दोनोंं पक्षों की बहस सुनने के पश्चात् जिला जज ने निचली अदालत से पत्रावली तलब करने का आदेश देते हुए अग्रिम सुनवाई के लिए चार जनवरी की तिथि मुकर्रर किया था। वर्ष 1991 में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ तथा अन्य पक्षकारों ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा पाठ करने के अधिकार देने को लेकर मुकदमा दायर किया था। इस मामले में वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने ज्ञानवापी परिसर तथा कथित विवादित स्थल का भौतिक एवं पुरातात्त्विक दृष्टि से भारतीय सर्वेक्षण विभाग से राडार तकनीक से सर्वेक्षण कराने की अदालत से अपील की थी।

वादमित्र के इस अपील पर सुनवाई अभी लंबित है। इस दौरान सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर मुकदमे की सुनवाई करने के सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी गई। इस बाबत इनकी ओर से दलील दी गई थी कि वक्फ न्यायाधिकरण के गठन के बाद उक्त मामले की सुनवाई का सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत को क्षेत्राधिकार नहीं है। सिविल जज ने दोनों पक्षकारों की बहस सुनने तथा नजीरों के अवलोकन के पश्चात् 25 फरवरी 2020 को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की चुनौती को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि मुसलमानों के मध्य विवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार वक्फ न्यायाधिकरण को है जबकि गैर मुस्लिम के स्वत्व की सुनवाई का क्षेत्राधिकार सिविल कोर्ट को है। सिविल जज के इस फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दायर की गई है। 

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